मेरा
नाम आशा देवी उम्र-27 वर्ष पति श्री बबुन यादव ग्राम-गोरहन, पोस्ट-गोरहन, थाना-धनवर, जिला-गिरिजर
(झारखण्ड) का रहने वाली हूँ। मेरे पति मजदूरी करते है। समाज की चलन के कारण मेरा
विवाह 12 साल के उम्र में ही कर दिया गया था।
मेरे सारे सपने टुट गये और मैं ब्याह के पति के घर गयी। वहाँ से फिर मैं अपने
मायके चली आई 12 साल बाद मेरी गवना हो गया और मैं
ससुराल चली गयी। सब कुछ ठीक था। मैं पुरे जीवन पति के साथ गुजार रही थी। समय गया
बीतता गया मेरे परिवार में कोई बच्चा नही होने के कारण सास गाली देती थी। पास-पडोस
के लोग भी गन्दी नजर से देखते थे।
यह सब सुन कर हमे लगता था कि
मैं क्या करुँ। कहाँ से बच्चा लाऊँ ये तो भगवान के हाथ में है। इस बात को लेकर
गाँव में कई बार पंचायत हुआ कि लड़का दुसरा शादी करेगा और हमको छोड़ देगा। पर हम इस
बात को मानने के लिए तैयार नही थे। पंचायत में हर बार हम यही कह कि हमे भी रखे और
मेरा हिस्सा का जमीन दो पर वो नही मानता था। इस तरह दिन बितते गया। मेरी सास एक
दिन हमको घर से मार-पीट के निकाल दी उस दिन मैं खुब रोई दो दिन तक भुखी-प्यासी रही
मुहल्ले में किसी से भी खाना माँगती तो सब बाँझी बोल कर गाली देकर भगा देता था। यह
बात हमें काँटा सा चुभता था। मैं घर का सारा काम करती थी। खेती-बारी जो भी होता
मैं सब करती थी। एक बार घर के खेती के काम को लेकर मैं खेत गयी थी। काम करने खेत
में हमको साप काट लिया। मैं उसी तरह जल्दी-जल्दी घर आयी पर किसी ने मेरा कोई खबर
नही लिया। मेरी ननद बोल रही थी। साप काट लिया ठीक अब तो मरेगी मेरा भाई दुसरा शादी
कर लेगा। इस बात की बोलते हुए वो मेरी सास को इलाज कराने के लिए मना कर दी। मैं रो
रही थी, दर्द से मेरा जान जा रहा था। इन लोगों ने
मेरे मायके फोन कर दिया कि आशा को साप काट लिया है। आपलोग यहाँ चले आईये मेरे घर
वाले आये और हमें ले गये और वहाँ इलाज करा कर हमें ठीक किया। उसके बाद वो लोग हमें
कभी लेने नही आया। मेरे गाँव के अन्य लोग आते जाते थे और खैर खबर लाते थे। गाँव
वालों ने हमें विदा करा के ले जाने के लिए बोले पर वो हमें कभी नही ले गये। इस तरह
तीन बीत गया। तीन माह बाद हमे पता चला कि मेरा पति दूसरा शादी कर लिया जब मैं ये
सुनी तो हमें लगा कि अब मेरा इस दुनियाँ में कोई नही है। यह सुन कर मैं वहाँ चली
गयी पर उन लोगों ने हमें भगा दिया और जान से मारने की धमकी दी।
अब मैं अपने पिता जी के यहाँ गाँव-अलखडीह पोस्ट-मस्केडीह, थाना-चलकुस्सा, जिला-हजारीबाग
में रह रही है। पिता जी गुजर चुके है। मेरा ये हाल देख कर माँ रोते रहती है। हमें
लगता है कि अब मेरा क्या होगा।
मैं
चाहती हूँ कि मेरा पति हमें ले जाये और मेरा हिस्सा का खर्च हमें दे हमे जीवन
चाहिए मैं अपने पति का मुख देखना चाहती हूँ। पर उनके साथ रह कर अपना जीवन बिताना
चाहती हूँ।
आपको
यह सब बता कर लग रहा है कि अब हमें न्याय मिलेगा।
साक्षात्कारकर्ता
– ओंकार
संघर्षरत पीडिता -आशा देवी
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