Saturday 28 March 2015

गरीब असहाय लड़की के ऊपर तेजाब फेककर जान से मारने की कोशिश!

आज भी हमारे भारत देश में इन्सानियत को तार-तार करते हुए जीवन भर के बन्धन को तार-तार करते हुए असहाय लड़की को बार-बार प्रताडि़त करने व उसके ऊपर ज्वलन पदार्थ फेकने का शौक रखते है। उनको मानो रिस्ते का व्यापार करने में व यातना देने में सुख की अनुभव करते है। वे कानून को खिलौना समझते है। 
                      आइये ऐसी ही घटना पीडि़त की जुबानी सुने।
मेरा नाम अराधना उर्फ पूजा मुसहर उम्र 25 वर्ष मेरे पिता का नाम सन्त राम मुसहर मेरे परिवार में तीन भाई और दो बहन है। जो ग्राम-चकन्दर पुर (बसनी दल्लूपुर), थाना-फूलपुर, ब्लाक-बड़ागाँव, जिला-वाराणसी रहने वाली हूँ। मेरी शादी दिनांक 6 जून, 2009 में विनोद मुसहर पुत्र वोघई ग्राम-आलम खातूनपुर, थाना-धीना, जिला-चन्दौली के साथ पुरे रीति-रिवाज के साथ की गयी थी जिसमें मेरे पिता सन्तराम मुसहर द्वारा शादी में हण्डा, परात, साईकिल, घड़ी, रेडि़यों किसी प्रकार कर्ज लेकर दिये थे। मेरे पति व मेरे बस्ती के लोग हमारे गाँव के दबंग व्यक्ति ठाकुर रणविजय सिंह के राईस मिल पर व उसके खेत में काम करते है। जिनकी मजदूरी उन्हें महीने में 1000 रुपयें के दर से दिया जाता है।  
मेरे ससुराल के सभी परिवार एक ही में रहते है। ससुराल में जाने के बाद मैं दूसरे दिन सुबह उठी तो घर के लोग मजदूरी करने ठाकुर के खेत में चले गये, मैं घर का काम करके खाना बनाने लगी जब शाम को सभी लोग घर आये तो मै उन्हे खाना खाने के लिए बोली सभी मुझसे मूँह मोड़ते हुए कहाँ कि 12:00 बजे सोके उठी हो हम लोगो को काम पर नहीं जाना था। दुसरे दिन से मैं भोर में तीन बजे उठ जाती थी और खाना बनाती फिर परिवार को खिला-पीलाकर उनके साथ काम पर चली जाती थी। एक महीने तक इसी प्रकार घर व खेत में काम करती रही खाने को जो भी रूखा-सुखा मिलता था मैं किसी से नहीं कहती कभी-कभी भूखो सो जाती थी। उस समय माता-पिता की बहुत याद आती थी लगता था मै विल्कुल अकेली हूँ। इस दुनिया में मेरा कोई नही है। ऊपर से मेरी सास लाच्छन लगाती थी कि तीन बच्चा गिराकर मेरे बेटे के साथ आयी थी। उसका जीवन खराब करने उनकी बात सूनकर मेरा पूरा शरीर कापने लगा मै फूट-फूट कर रोने लगी। फिर भी मैं कुछ नहीं बोलती पूरे गम को अपने आँचल में छिपाकर कर रखती रही। जब मेरे माता-पिता गये तो लोग उनके साथ मेरी विदाई कर दिये मै अपने पिता के साथ बसनी आ गयी मै अपने ऊपर आप बीती घटना को अपने माता-पिता से नहीं बताई कि वे सुनेगे तो उन्हें तकलीफ होगी|
 मेरे माता-पिता एक महीने बाद मेरी विदाई कर दिये जब मै वहाँ गयी तो लोगों की वही रवैइया (व्यवहार) रहा वहाँ मेरी सास, ससुर, ननद, सुभावती व मेरे पति विनोद मुसहर गाली देते थे कि तुम्हारे पिता शादी में कुछ भी नहीं दिये यही ताना मारकर रोज मारते-पीटते गाली देते थे, मै सब कुछ वरदास करती रही बीच में मेरा बड़ा लड़का उस समय चार वर्ष का था और छोटा बच्चा 18 माह का मैं कभी-कभी सोचती थी। कि कही जाकर अपनी जान दे दूँगी लेकिन बच्चों का मुह देखकर दया आ जाती थी उनको ही अपना जीवन का आधार मानकर जीती रही। ससुराल वालो के द्वारा जोर जुर्म को सहती रही अपने माइके भी मै अपने दुःखो का वया नहीं करती थी कि लोग परेशान हो जायेगे। मेरे ऊपर जो दु:ख पड़ता है। मै? खुद सह लूगी कभी-कभी रोते विलखते सुवह हो जाता, बिना खाये पीये लेकिन बच्चों को देखकर अपने आपको को मना लेती एक दिन मेरे पति के साथ मेरे परिवार वाले मानवता व इंसानियत को ताख पर रखते हुए सुबह 6:00 बजे शुक्रवार के दिन सभी लोग पकड़कर मारने लगे उस समय मै जोर-जोर से रो-रोकर चिल्ला रही थी कि कोई छुड़ाने नहीं आया मेरा बच्चा मेरी गोद में था मै दर्द से विलखती व रोती रही। इतने से भी लोगो का कलेजा नहीं भरा मेरे ऊपर गैलन में भरी तेजाब कमर के नीचे फेके मै इतना दु:ख नहीं सह पा रही थी| तेजाब मेरे बच्चे के कमर पर भी पडा वह भी छटपटाने लगा रोने-चिल्लाने लगा। मुझसे वर्दाश नहीं हो पा रहा था तो मै। दौड़ते भागते हुए अपनी जान बचाने के लिए धीना थाने पर गयी मौके पर पुलिस आई तो ठाकुर के कहने व वहकावे में आकर सुलह करते हुए सबको छोड दी।
मै तड़फ रही थी दर्द वरदास नहीं हो रहा था मुझे न मेरे बच्चे को कोई दवा भी नहीं दिलाया। दुसरे दिन मेरे जेठ सन्तोष मुसहर मेरे पिता को मोबाइल से फोन करके बताया कि आपकी लड़की हास्पिटल मे भर्ती है। उसका मुह देखना हो तो चले आइये मरे माता-पिता मेरा सन्देश सुनकर रोते-विलखते मेरे ससुराल पहूचे वहा मेरी दशा देखकर आवाक हो गये उनकी आँखो से आसू देखकर मै और जोर-जोर से रोने लगी मुझसे चला नही जा रहा था। मेरे पिता किसी प्रकार से वहा से बसनी लाये पैसे के आभाव में दवा भी नहीं हो पाया रहा था। मै चारपाई पर ही पड़ी रहती थी। उस समय केवल मृत्यु नहीं हुई लेकिन सब दर्द का एहशास हो गया। इसी बीच मानवाधिकार कार्यकर्ता दिनेश कुमार आये और हम लोगों को मानवधिकार जननिगरानी समिति दौलतपुर वाराणसी लाये वहा से संस्था के द्वारा हमें व हमारे बच्चे को कबीर चैरा हास्पिटल में भर्ती कराया गया। मै हास्पिटल में काफी दिन तक रही वहा दवा का सारा खर्च व देख-रेख मानवाधिकार कार्यालय के  कार्यकर्ता द्वारा किया जा रहा था। उस समय मुझे लगा कि आज की दुनिया में गरीवों की दुःखो को सुनने वाले कुछ लोग हे। उन लोगों को देखकर मै बहुत रोती थी वे बार-बार मुझे समझाते थे। आज भी मै घटना के बारे में सोचती हू। तो पूरे शरीर में आग सी लग जाती है। पुरे रोगटे खडे हो जाते है। मेरा पुरा शरीर कापने लगता है। मन घवराने लगता है। रात में डरावना सपना दिखाई देता है। रात में नींद नहीं आती सर दूखने लगता है। मै इस समय अपने पिता के पास बसनी रहती हूँ।
 अब मै उस घर में कभी नही जाऊॅगी अब मै चाहती हू कि एैसे पापी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो ताकि ऐसी हालत किसी और के साथ न हो सके। आपको अपनी बातों को बताकर मन हल्कापन महसूस कर रही हूँ।
संघर्षरत पीडि़ता-  अराधना                                            
साक्षात्कारकर्ता - छाया कुमारी           

Friday 27 March 2015

पुलिस की लापरवाही से दबंग व्यक्तियों द्वारा मुसहर के ऊपर किया गया अत्याचार!

आज भी हमारे भारत देश में पुलिस की गुण्ड़ा गर्दी से दबंग व्यक्ति के मनोबल को प्रोत्साहन करने का ठेका ले रखी है भारत के संविधान को खिलौना समझते हुए, गरीब व्यक्ति की स्व व्यथा कथा उनकी जुबानी सुने।
मेरा नाम मुरली मुसहर उम्र 35 वर्ष मेरे पिता का नाम बुझन्न मुसहर ग्राम-थानेरामपुर पो0 थानेरामपुर, थाना-फुलपुर, जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ। मेरे परिवार में मै व मेरी पत्नी व बच्चें रहते है। मै गरीब असहाय बेरोजगार जाति का मुसहर हुँ और किसी प्रकार मजदुरी करके अपना व अपने परिवार का पेट पालते हुए खुशी पूर्वक रहता था। हम लोग आपस में मिल-जुल कर रहते थे। हमारे घर का घरेलु सामान खत्म हो जाने पर मेरी पत्नी ने सुबह कहा कि आज घर में कुछ भी सामान नही है जाओं दुकान से कुछ सामान लेकर आओं हम लोग बना-खाकर काम पर चलते है जब मै पैसा लेकर मीराशाह मडियाहूँ वाले रोड़ पर किराना के दुकान पर पहुँचा ही था कि विकाश सिंह, दिलिप सिंह हमको भद्दी-भद्दी गाली देते हुए मारने लगे और कहने लेगे कि यही हमारे खेत में पानी खोला है यह बात सुनकर जब मैं बोल रहा कि मै पानी नही खोला हूँ तब से विकाश सिंह दिलिप सिंह मुझे लात घूसों से मार कर गिरा दिया।
  फिर मै रोते हुए कह रहा था कि मै पानी नही खोला हूँ तो बोले साले तुम ही पानी खोले हो और फिर मारने लगे मै पैर पकड़कर रोते हुए गिड़गिड़ा रहा था कि मै पानी नही खोला हूँ फिर वे बोले कि अगर अब तुम ताल की तरफ जाओंगे तो जान से मार डालूँगा| यह बात सुनकर मै डर के मारे घर गया और पत्नी से आपबीती सुनाया तो मेरी पत्नी ने गाँव के लोगो के यहाँ गए तो मेरा आवेदन थाने में दिया गया तो थाने से दो सिपाही गाँव में आये और पूछ कर चले गए लेकिन कुछ नही बोले।
हम लोग गाँव से 12 लोग थाने पर गये थे तो दरोगा ने पुछा कि आवेदन कौन लिखा है तो हम लोग बता दिये कि मानवाधिकार कार्यकर्ता ने तो हम लोग उनका नम्बर दे दिये। दरोगा साहब ने मानवाधिकार कार्यकर्ता से बात किये दरोगा साहब ने कहा इन लोगो को बुला लो NCR हो जायेगा तो धारा नही लग पायेगा, इसके बाद कार्यकर्ता भी फोन से कहते थे कि वही रहो घर मत आना हम लोग शाम तक थाने में रहे लेकिन दरोगा हम लोगो का FIR नही लिखा|
दरोगा साहब अगले दिन आने के लिए कहाँ जब हम घर आये तो दर्द के मारे कहर रहे थे रात मे नींद नही आ रही थी| रात मे भय बना रहा कि कही वह दबंग व्यक्ति मुझे न मार डाले यह सोच सोचकर मानों रात पहाड़ की तरह हो गयी है| सुबह होने वाला नही लग रहा था किसी तरह रात बिताकर फिर सुबह फुलपुर थाने गये तो दरोगा साहब ने कहाँ कि तुम साले लोग यहाँ से भाग जाओं नही तो तुम लोगो को बन्द कर दुगाँ खाने के लिए पैसा नही है तुम लोग कैसे केश लड़ोगे यह सुनकर मेरे मन में तमाम तरह कि सोच आने लगी कि क्या गरीबों के लिए कानून नहीं है यही हमारे देश का संविधान है कि एक गरीब मुसहर को मारने के बाद दरोगा साहब द्वारा गाली देकर भगा दिया जाता है| थाने से आये फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता से बातचीत करके कचहरी एस.एस.पी आफिस चलने का निर्णय लिया गया, वहाँ गये एस.एस.पी आफिस में आवेदन दिया गया लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नही हुई अभी भी दबंग व्यक्ति चाहे जब जिसको मारने का मन करता है पुलिस के लापरवाही के वजह से मारपीट कर घुमते है उनके ऊपर पुलिस वाले कोई कार्यवाही नही करते।
अब मै चाहता हूँ कि जो दबंग व्यक्ति मुझे मारे पीटे है उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही हो और मुझे न्याय मिले। मै आपको अपनी आपबीती बताकर बहुत हल्कापन महसुस कर रहा हुँ   |                                                                       
संघर्षरत पीड़ित -मुरली मुसहर
साक्षात्कारकर्ता - दिनेश कुमार व प्रभाकर प्रसाद

कानून का उल्लंघन करते हुए मुसहर की जिन्दगी से खिलवाड करना!

आज भी हमारे भारत देश में अतिवंचित समुदाय मुसहर समुदाय के लोगो को अन्याय बिना जूर्म के थाने में बन्द करके व अपने वर्दी की शान में कानून का उल्लंघन करते हुए मुसहर की जिन्दगी से खिलवाड करना व उनके जीवन को बरवाद करने का ठेका ले रखी हैं जिसमें संविधान का पन्ना भी जर्जर होकर आवाज देती है कि आज भी ये खाकी वर्दी बाले पैसे वालो से मिलकर उनकी बातो को मानते है।
आईये ऐसे ही एक पीडि़त की जुबानी से सुने।
मेरा नाम मुन्ना मुसहर उम्र 30 वर्ष मेरे पिता का नाम स्व0 बुझारत मुसहर हैं मेरे परिवार में एक लड़का 2 लड़की व पत्नी रहती हैं। मै ग्राम-लखनपुर, पोस्ट-लखनपुर, थाना-चोलापुर, जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ। मैं गरीब बेरोजगार जाति का मुसहर हूँ, मैं बनी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों का भरण-पोषण करता हूँ। फिर भी हम लोगो बडी सुकून से अपने जीवन को हॅसी-खुशी से बिता रहे थे। कि अचानक मेरे जीवन में अन्धेरा सा छा गया। मै 9 अगस्त, 2014 की रात मनहूस दिन कभी नहीं भूल सकता, उस समय मै मैजिक से बनारस कबीर मठ लहुराबीर में बनारस कन्वेशन में जा रहा था जो मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ता द्वारा कार्यक्रम में आने का सूचना दिया था मै खुशी मन से कार्यक्रम में भाग लेने जा रहा था कि चोलापुर थाने के सामने सोनू सिंह, अजय सिंह व थाने के दरोगा, सिपाही मैजिक गाड़ी को रोककर थाने के अन्दर मुझे ले गये और वहाँ हमको भद्दी-भद्दी गाली देते हुए बोले कि तुम यहाँ से अपना घर छोड़ कर भाग जाओं, यह बात कहते हुए सोनू सिंह व अजय सिंह व दो सिपाही हमको मारने-पीटने लगे और बोले कि तुम यहाँ से भाग जाओं नही तुमको फर्जी केस में फसा कर थाने में बन्द कर देगे। यह बात सुनकर मैं डर के मारे काँप रहा था कि कही पुलिस वाले इन लोगो से मिलकर मुझे फर्जी केस में न फसा दे यह सोच-सोचकर रो रहा था कि साहब हम कोई गलत काम नहीं कि यह है साहब छोड़ दो लेकिन पुलिस वाले मुझे भद्दी-भद्दी गाली देते हुए हमे थाने में बन्द कर दिये।
इसके बाद सोनू सिंह व अजय सिंह जे0सी0वी0 को ले जाकर हमारा घर गिरवाने लगे। मैं थाने में सोच रहा था कि कही मेरी पत्नी व बच्चे को भी पुलिस वाले से मिलकर सोनू सिंह व अजय सिंह हमको थाने में बन्द न करवा दे। यह सोच सोचकर हम मेरा दम घुट रहा था। आँखों से आसू रूकने का नाम ही नही रुक रहा था। मन ही मन में सोच रहा था कि कही मुसहर होने व गरीब होने के कारण तो ऐसा नहीं हो रहा हे यह सब सोच रहा था कि शाम के 5:00 बजे एक जीप पुलिस वाले के साथ मेरी पत्नी थाने पर आयी उसे देखते ही मेरे रोगटे खडे हो गये कि मेरी पत्नी को पुलिस वाले क्यों लाये है। थाने में मेरी पत्नी को वाहर बैठाये थे और बोले कि अभी तुम यहाँ बैठो इसके बाद जे0सी0बी लेकर सोनू सिंह व अजय सिंह लखनपुर मुसहर बस्ती मेरे घर पर गये। जे0सी0बी लगाकर मेरा घर गिरवा दिया, मेरी झोपड़ी में रखे सारे सामन को कुअे में डाल दिये, जिसमें मै दिनांक 7/6/2014 को भट्ठा मालिक से 20,000 हजार रुपये एडवांस के रुप में लिया था कि हम आप के यहा 20 जोड़ी मजदूर लाकर ईट पथाई का काम करेगें। इसी बीच दिनांक 7/8/2014 को झोले में रखा पैसा घर का अनाज दो भर की सिकड़ी सब कुछ ले गये घाव की चोंट के कारण मै कही नहीं जा पा रहा था किसी तरह मै गाडी पकड कर रौनाबारी आया वहा के लोग मुझे एस0एस0पी आफिस आवेदन दिलाये के लिए ले गये। जब मैं अपना आवेदन लेकर एए0एस0पी आफिस में गया तो चोलापुर थाना के दरोगा वहा पहले से मौजूद था। उसे देखकर मुझे डर लगने लगा कि कही यहा भी पुलिस वाले मुझे मारने पीटने न लगें। मै किसी तरह हिम्मत जुटा के एस0एस0पी0 को आवेदन दिया। बगल में दरोगा खडा होकर मुस्कुरा रहा था। आवेदन देने के बाद हम रौनाबारी वापस आ गये। धीरे-धीरे एक सप्ताह हो गया इसके बाद मै आई0जी के कार्यालय में आवेदन दिया। लेकिन वहाँ भी कोई सुनवाई नहीं हुई तब मै डर रहा थ कि सोनू सिंह व अजय सिंह कही मेरी पत्नी व मेरे बच्चें को न मार दे।
यह सोच-सोच कर रात में नींद नहीं लगती कुछ खाने का मन नहीं करता हमेशा सोचता हॅू कि मेरे पत्नी मेरे बच्चे किस हाल में होगे यही सब सोच रहा था कि मेरी पत्नी किसी तरह वहाँ से जान बचा कर रौनाबारी मेरे पास आई सब बाते बताते-बताते रोने लगी। उसके साथ मै भी रोने लगा बच्चों व पत्नी की दशा देखते हुए मै परेशान हो गया और सोचने लगा कि क्या हम गरीब को रहने खाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है क्या हम लोग समाज में जीने योग्य नहीं है। क्या हम लोग को हमारा अधिकार नहीं मिल सकता फिर मैं अपने परिवार को सन्तावना देते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को सोचते हुए आये कोई पहल नहीं किया अब मै चाहता हॅू कि जो मेरे अधिकार का हनन हुआ है जो दबंग व्यक्ति मेरे परिवार के ऊपर अत्याचार किये है। उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो और मुझे न्याय मिले।
मैं आपको अपनी बातो को बताकर बहुत हल्कापन महसूस कर रहा हॅू और आशा कर रहा हू कि हमें न्याय मिले ।
संघर्षरत पीडि़त -   मुन्ना मुसहर
       साक्षात्कारकर्ता   -  प्रभाकर                      

                               

Thursday 26 March 2015

दबंग दोवारा गरीब परिवार का घर गिराकर उसको घर से वेघर करना!

आइये उस भारत की संविधान के नियमों का उल्लंघन करने वाली हमारे देश  की भारतीय पुलिस गरीब निर्दोश व्यक्ति को दबंग व्यक्ति के इसारो पर चन्द पैसो की लालच में गरीब बेरोजगार लाचार महिला को जबरदस्ती वर्दी का रौब दिखाकर जमीन से वेदखल करना व उन्हे फर्जी केश में फसाने का ठेका ले रखी है जो भारती सविधान का उल्लंघन करना व कानून कठपुतली बनाने वाली पुलिस व गरीब परिवार के बच्चों, सहित घर से बेघर कर पैसे के बल पर कर्ज से बने बनाये घर को जेसीबी से गिराकर दबंग व्यक्ति को जमीन दिलाने का ठेका ले रखी है।
आइये ऐसी घटना जो गरीब मुसहर महिला की स्व व्यथा कथा उसकी जुबानी सुने।
मेरा नाम माला मुसहर उम्र-36 वर्ष मेरे पति का नाम मुन्ना मुसहर ग्राम-लखनपुर, पोस्ट-लखनपुर, थाना-चोलापुर, जिला-वाराणसी कि मूल निवासिनी हुँ। मेरे घर पर चोलापुर के पुलिस वाले आये और बोले कि तुम लोगों को बड़े साहब बुलाये है, यह सुनकर मैं डरने लगी तब पुलिस वाले गाली देते हुए बोले चलो गाड़ी में बैठो डर के मारे जीप में जाकर बैठ गई वह बच्चें को लेकर थाने में पुलिस वालों के साथ आयी तो देखी थाने के अन्दर मेरे पति मुन्ना मुसहर को पुलिस वाले बन्द किये थे। जब मैं अपने पति से मिलने लगी तो पुलिस वाले मुझे भद्दी-भद्दी गाली दे रहे थे और कह रहे थे कि तुम यहाँ से लेकर इसे भाग जाओ नही तो तुम्हारे पति को फर्जी केश में फसा दूँगा यह कहकर पुलिस वाले अपने गाड़ी से हमारे घर पर छोड़ जब मैं घर पर पहुची तो देखी कि मेरा घर जेसीबी लगाकर गिरा दिया गया है।
यह देखकर मैं रोने, चिल्लाने लगी मुझे लग रहा था, कि हम लोग मुसहर होने के कारण ऐसा तो नहीं हो रहा है। यह सोच-सोच कर गला सुखा जा रहा था और आँखो से आँसु रुकने का नाम नही ले रही थी। वही मेहनत मजदूरी करके घर बनाये थे। उसमें रखे सभी सामाज, आनाज दो भर की सिकड़ी, पायल, नथुनी घर में रखे दो लाख रुपये दिनांक 7 अगस्त, 2014 को भट्ठा मालिक एडवांस के रुप में लिया था कि हम आप के यहा पति/पत्नी व 20 जोडि़या ईट पाथने के लिए मजदूरी करेगें।
इसी बीच सोनू सिंह अजय सिंह हमारे घर में रखे सारे सामान लूट ले गये इसके बाद मेरे पति रौनावारी मुसहर बस्ती में गये और वहां से शिव प्रताप चौबे द्वारा लिखा पढ़ी हुई फिर भी कुछ नही हुआ। मैं अपने बच्चों के साथ लखनपुर बस्ती में ही थी। कि साम के समय सोनू सिंह, अजय सिंह हमारे डेरे पर आकर गन्दी-गन्दी गाली देते हुए कह रहे थे कि तुम यहाँ से भाग जाओ बन्दुक दिखाकर कह रहे थे। तुम सब लोगों को मार डालूगा।
मेरा कुछ नही होगा यह सुनकर रात में खुले आसमान में बच्चों के साथ सोती थी। तो हमेशा भय बना रहता था कि कहीं सोनू सिंह, अजय सिंह आकर मेरे बच्चों को जान से न मार डाले यही सोचते-सोचते सुबह हो गयी। फिर सोनू सिंह, अजय सिंह आये भद्दी-भद्दी गाली देते हुए सोलह सुअर भी बेच दिये आजिविका चलाने का एक माल सहारा था।
उसे भी दबंग व्यक्तियों द्वारा बेच दिया गया में अब क्या करू चोलापुर के थाने के सिपाही व एस.ओ द्वारा दबंग व्यक्तियों द्वारा मुझे घर से वेघर कर दिये इसकी शिकायत वाराणसी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से किया गया। लेकिन एस.एस.पी आफिस में चोलापुर एस.ओ को देखे और एस.ओ मुझे देखा तो मुस्कुरा रहा था। तभी मैं समझ गयी कि कुछ नही होगा। इसके बाद आई.जी के यहाँ आवेदन दिया गया जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई। मैं निराश हो गयी कि आज की दुनिया में गरीबों की रक्षा करने वाले पुलिस जब दबंग व्यक्ति से मिलकर गरीबों की झोपड़ी गिराने व उन्हे घर से बेघर करके अपनी आप को देश के रक्षक मानते है क्या यही देश के रक्षक है आज भी जब भी घटना को याद करता हूँ तो रोंगटे खडे हो जाता है जब भी पुलिस वालो को देखता हूँ तो गुस्सा आता है लेकिन मैं क्या करू  मजबूर हूँ।
अब मैं चाहती हूँ कि दोषी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो और मुझे न्याय मिले। मैं अपनी बातो को बताके मेरे मन को हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।

संघर्षरत पीडिता   -   माला मुसहर  
साक्षात्कारकर्ता    - दिनेश कुमार अनल और प्रभाकर 


गरीब असहाय विकलांग परिवार के ऊपर दबंग ब्यक्ति दोवारा उसके जीवन से खिलवाड़ करने !

आज भी हमारे भारत देश में गरीब असहाय विकलांग परिवार के ऊपर दबंग व्यक्ति उनके जीवन से  खिलवाड़ करने का पेशा बना लिए है। उन्हें गरीब व्यक्ति का शोषण व यातना करने में खुशी महसूस होती है। आज हमारे देश में गरीबो को हेय दृष्टि से देखा जाता है। आइये ऐसे पीडि़त विकलांग व्यक्ति की व्यथा उनकी जुबानी सुने।
मेरा नाम बबलू राजभर उम्र 19 वर्ष मेरे पिता का नाम स्व0 फूलचन्द राजभर ग्राम-बसनी पो0 बसनी थाना-बड़ागाँव जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में मेरी बुढ़ी माँ, भाई व भाभी रहती है। मै बायें हाथ से व पैर से विकलांग हूँ। मै गरीब असहाय बेरोजगार व जाति का राजभर हूँ मेरी माँ प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र बसनी में प्रशिक्षित दाई का काम करती है। गरीबी के कारण मै प्राइवेट हास्पिटल पिन्टू पंडि़त के यहाँ झाडू लगाने का काम करता था मुझे काम किये 1 माह हुआ था मेरी मजदूरी नही दिये मांगने पर कहते थे अभी काम करो हम तुम्हारी मजदुरी दे देंगे मै कुछ नही बोलता था अचानक मेरे जीवन में ऐसा हादसा आया कि मै समझ नही पाया जब मै झाडू लगाकर अप्रैल 2014 को नहाने चला गया उस समय हास्पिटल से थोडे दुर विशेकपुर गाव से नहाकर जब मैं हास्पिटल में आया तो सी. पी. सिंह , पंकज, पिन्टू हमें पकड़ लिए और अनायास बिना कुछ कहे मेरी तलाशी लेने लगे, उस समय मै घबरा गया ।
 मेरा पुरा शरीर काँप रहा था कि आखिर लोग पहले हमें मानते थे आज क्या हुआ कि लोग मुझे गाली देकर मेरी तलाशी क्यों ले रहे है। उनके तलाशी लेने पर मेरे जेब से केवल एक नहाने का साबुन निकला था फिर वो तीनों मुझे मारने लगें उस समय मै बहुत डर रहा था पुरा शरीर काँप रहा था जब लोग पुछे कि बताओं 5000 रुपये चुराकर तुम कहा रखे हो उस समय मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी मुझे ऐसा लग रहा था, मुझे बहुत चिन्ता हो रही थी और मेरे होश उड़ गये। जब मै बताया कि साहब हमने कोई पैसा नही लिया उस समय लोग मुझे और तेज से मारने लगे, मै रो-रोकर अपनी माँ को पुकार रहा था और अपने को छोड़ने की गुहार उन लोगों से कर रहा था, लेकिन उन बेरहम व्यक्ति को मेरे विकलांगता पर भी तरस नही आया इतना सब कुछ करने के बाद भी उन्हें संतोष नही हुआ और मुझे कमरे के अन्दर ले जाकर जबरदस्ती कुर्सी पर बैठाकर दरवाजा बन्द कर दिये तथा मेरे सर में सुई भोंक कर ये पुछ रहे थे कि पैसा कहाँ रखे हो, मै बार-बार कहता रहा मै ऐसा काम नही किया जब लोग मेरे सर में सुई भोक रहे थे।
 उस समय मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मै दर्द से कहर रहा था सोच रहा था कि कोई भगवान बनकर आये और ऐसे पापी व्यक्ति से मुझे छुड़ाये लेकिन ऐसा नही हुआ वे बेरहम मेरे साथ जातियता करते हुए मेरे कपड़े उतरवा दिये और लिंग में जोर-जोर सुई लगाकर बार-बार कह रहे थे कि मेरा पाँच हजार रुपये दो उस समय दर्द इतना हो रहा था कि मेरी आवाज को सुनकर हास्पिटल व अन्य लोग इक्ट्टठा हुए और बोले की बच्चे को क्यो मार रहे हो यह क्यों चिल्ला रहा है उसी समय मेरी माँ आ गयी जबरदस्ती दरवाजा खुलवायी जब मेरी माँ शोभना देवी जब मेरी दशा को देखी तो जोर-जोर से चिल्लाने लगी मेरी माँ उस समय वहाँ कुछ नही बोली मुझे उठाकर प्राइवेट हास्पिटल प्रमोद डा0 बसनी के यहां ले गयी वहाँ डाक्टर द्वारा सुई दवा मेरी माँ कर्ज लेकर किया, घटना के दुसरे दिन अपने माँ के साथ थाना-बड़ागाँव गये तो वहाँ मेरी एफ0 आई0 आर0 दर्ज किया और मेरा मेडिकल पुलिस द्वारा प्रा0 स्वा0 केन्द्र बसनी द्वारा बनवाया गया और पुलिस के द्वारा दोषि व्यक्ति को दुसरे दिन थाने पर बुलवाया गया जब दोषि व्यक्ति थाने गये तो थाने पर मै और मेरी माँ थाने पर मौजुद थे दोषी व्यक्ति हमे और मेरी माँ को जान से मारने की धमकी दे रहे थे, उस समय हम लोग डर गये मेरी माँ से जाकर पुछे साली एफ0 आई0 आर0 की हो। मेरी माँ बोली मेरे बच्चे को इतनी बेरहमी से मारे और 10000 रुपये की माँग कर रहे हो कैसे कोई गरीब अपने को सुरक्षित समझे पुलिस वाले उन लोगों को एक घण्टे बन्द किये थे और हम लोगों को घर जाने से पहले छोड़ दिये दुसरे दिन दोषि व्यक्ति हमारे घर आये और माँ से बोले हम दवा का सारा पैसा दे देंगे तुम सुलह कर लो लेकिन मेरी माँ सुलह नही कि हमारे घर में सभी भाई बहन विकलांग है मेरी माँ बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलाती है।
आज भी घटना को याद करता हूँ तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते है। मन में चिन्ता बनी रहती है उन व्यक्ति को देखकर आज भी भय बना रहता है। अब मै चाहता हूँ कि मेरे साथ जो दबंग व्यक्ति शोषण किये है उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही किया जाय और मेरे साथ न्याय हो। आप को अपनी आपबीती बताकर बहुत हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।
            संघर्षरत पीड़ित  -      बबलू
      साक्षात्कारकर्ता - दिनेश कुमार अनल व प्रभाकर

Friday 13 March 2015

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बसनी में ऐनम द्वारा छुटाछुत के कारण रेफर किया गया !

आज भी हमारे भारत देश में गरीब असहाय के साथ जातिगत भेद-भाव किया जाता है। यहाँ तक कि छुआछुत व भेद-भाव करते हुए गरीब मुसहर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से दवा की सुविधा सुनिश्चित न कराकर उन्हें हास्पितल से बाहर किया जाता है। आइऐ ऐसी ही एक यातना पीड़ित की जुबानी सुने।
मेरा नाम शान्ति देवी उम्र-42 वर्ष मेरे पति का नाम भइया लाल है मैं ग्राम-निन्दनपुर, पोस्ट-खटौरा, थाना-फुलपुर, जिला-वाराणसी की रहने वाली हूँ। मेरे परिवार में चार लड़की, दो लड़के रहते है। मैं जाति की मुसहर महिला हूँ। मैं बनी मजदूरी करके तथा दोना पत्तल करके बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का खर्च चलाती हूँ, फिर भी सुख चैन से अपने परिवार के बीच रहती थी। मेरी बेटी सुदामा देवी अपने पति के साथ मेरे घर पर रहती है। उसके पेट में जब बच्चा था तो आँगनवाड़ी द्वारा पोषाहार मिलता था आशा द्वारा आयरन की गोली व टी0टी0 का सुई गाँव में लगाया गया था। उसकी स्थिति ठीक-ठाक थी|
 30 मई, 2014 का वह मनहूस दिन कभी नही भूल सकती कि मेरी बेटी के पेट में दर्द बहुत अधिक हो रहा था तो मैं गाँव की आशा प्रभावती को सूचना दिया सूचना पाकर आशा मेरे घर पर आई और अपने साथ टैम्पो से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बसनी ले गयी जिसका भाड़ा मैं 100 रुपये दी जब मैं अपनी बेटी को हास्पिटल लेकर गयी तो वहाँ की ऐनम से आशा व उसके पति बोले कि इसे भर्ती कर लिजिए लेकिन ऐनम बिना जाँच किये व बिना हुए मेरी बेटी को रेफर कर दी और बोली मुसहिन है और साफ-सफाई भी नही है, मैं इसका बच्चा यहाँ पैदा नही करुँगी वह झूठ बोलकर और छुआ-छुट की भावना रखते हुए हास्पिटल से बाहर निकाल दी दस समय हम लोग घबराने लगी कि अब हम अपनी बेटी को कहाँ लेकर जाये उस समय मेरे पास पैसे भी नही थे जबकि मेरी बेटी के बच्चे का उस समय हास्पिटल में सर बाहर निकल रहा था वह दर्द से कराह रही थी उसकी पीड़ा देखकर मैं रोने लगी और ऐनम से हाथ जोड़कर बोली बहन जी हम ऐसे हालात में अपनी बेटी को कहाँ लेकर जाऊगी |
अब आप ही मेरी बेटी का प्रसव करिये तब ऐनम डाट कर बोली कि कबीर चैरा लेकर जाओं उस समय मुझे ऐनम के व्यवहार पर बहुत गुस्सा आया लेकिन क्या करती मजबूर थी। मैं इधर बेटी की दशा देखकर अपने आपको नही रोक पाई मन घबरा रहा था कि मेरी बेटी को कही कुछ हो न जाये मैं कबीरचौरा भी नही देखी थी| मेरे पक्ष में आशा भी बहुत कही लेकिन ऐनम उसकी भी नही सुनी ऐसी गम्भीर हालात में मेरी बेटी को एम्बुलेंश से आशा के साथ कबीरचौरा भेजा गया था मैं घबरा रही थी कि मेरे पास पैसा भी नही है मैं क्या करुगी उस समय मेरे पति भइया लाल 4000/- रुपये 10 रुपये सैकड़े के हिसाब से सुती पैसा लेकर आये जब एम्बुलेंश में बैठाकर बाबतपुर के आगे पहूँचे तो मेरी बेटी का दर्द और बढ़ गया वह जोर-जोर से रो रही थी मैं भी उसकी दशा देखकर रो रही थी जब गाड़ी हरहुआ पहुँची तो एम्बुलेंश में ही मेरी बेटी को लड़का पैदा हो गया बसनी से हरहुआ पहूँचने में 20 मिनट का समय लगा था| उस समय हम लोग आनन-फानन में हरहुआ हास्पिटल में ले गयी वहाँ मेरी बेटी को भर्ती कर लिया गया और तीन दिन तक भर्ती किये थे वहाँ मेरा 4000/- रुपये खर्च हुआ था। जब एम्बुलेंश हरहुआ से मेरी बेटी को लेकर तीसरे दिन मेरे घर आया तो 50 रुपये लिया था। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बसनी की ऐनम मेरे साथ जातिगत व भेद-भाव आज भी है| हम गरीब मुसहर की सुनवाई सरकारी हास्पिटल में नही होती हम लोगों को धेय दृष्टि से देखा जाता है।
आज की घटना को याद करती हूँ तो मेरे आँख से आँसु आ जाता है। सर में दर्द होने लगता है। मन घबराने लगता है। रात में नीद भी नही आती, ऐनम पर बहुत गुस्सा आता है। अगर मैं उसकी बराबरी की होती तो उसे मुह तोड़ जबाब देती। लेकिन क्या करती मजबूर थी। 
अब मैं चाहती हूँ कि ऐसे ऐनम के खिलाफ कानुनी कार्यवाही किया जाय ताकि ऐसी घटना के दूसरो के साथ न हो सके और ऐसी निष्क्रीय ऐनम को हास्पिटल से बाहर निकाला जाये। अभी 1400/- रुपये का चेक भी नही मिला।
आपको अपनी कहानी बताकर बहुत हल्का पन महसूस कर रही हूँ।
संघर्षरत पीड़िता -  शान्ति देवी
साक्षात्कारकर्ता -  दिनेश कुमार अनल