मैं बबलू कुमार पिता श्री अर्जून कान्दू ग्राम-महथाडीह
प्रखण्ड डोमचांच,
जिला-कोडरमा का
मूल निवासी हूँ।
मेरी घटना यह है कि मैं बाहर में रहता हूँ और बाहर ही रह
कर कमाता हूँ मै कभी-कभी अपने घर आता हूँ और इसी बीच 22 मार्च को घर आया तो मै घर पर ही था मेरी किसी व्यक्ति या किसी से किसी भी
तरह का कोई झगड़ा नहीं है। मैं आज तक पुलिस थाना इत्यादि कभी नहीं गया। अचानक एक
दिन मेरे चाचा कैलाश कान्दू के छत पर कोई मिट्टी फेका दिया। इसी बात को लेकर मेरे
चाचा हमारे घर वालो से और हमसे उलझ गए, हम कुछ नही किये इसके बावजूद वो थाना मे जा कर आवेदन दे दिये कि मेरी पत्नी
के साथ मेरा भतीजा लोग मार-पीट किया है और आवेदन दे कर चले आए। इसके बारे में मुझे
कोई जानकारी नही थी हम घर से बाहर निकले तो मेरे चाचा सब बात कर रहे थे। कि पुलिस
को पाच हजार रूपये दे कर आए है दोनो भाई को मारने के लिये हम सुन लिये और सुन कर
डर गये हमे भय हो गया। हमे समझ में नहीं आ रहा था कि मै क्या करूँ उस दिन पुलिस तो
नहीं आया लेकिन दूसरे दिन 11:00 बजे हम खाना खा कर घर में सो रहे थे इसी बीच पुलिस मेरे
घर के अंदर घुस गई और हमें उठा कर वाहर निकाला और बोला कि थाने चलो और हमें बाहर
ले आया। हम बोले सर कपड़ा पहन ले या इसी तरह चले। पुलिस वालो ने मुझे कपड़ा पहनने
दिया और कपड़ा पहनने के बाद हमे और मेरा बड़ा भाई हेमन्त को गाडी में बैठाया और थाने
ले गया।
हमे समझ में नहीं आया कि वे किसी भी तरह का कोई
गिरफ्तारी वारेंट हमें नहीं दिखाया और नही किसी से हस्ताक्षर कराया। थाने ले जाकर
गाली देते हुए बोला साला बहुत चर्बी हो गयी और वे हमें मारने लगे और कहते हुए दो
चार झापड़ कान के नीचे जड़ दिया। उसके मारने से मेरा दिमाक चकरा गया और हमको लग रहा
था कि हम जमीन पर गिर जायेगे पर किसी तरह अपने आप को सम्भाले इसी बीच मेरे घर वाले
घबडाने लगे और पुलिस को पैसा दे कर किसी तरह हमको छुडाये और हमें पुलिस 4:00 बजे छोड़ दिया
इस पूरी घटना से मेरा पूरा परिवार डर गया और सब रोने पटकाने लगा था। हम चाहते है
कि हमें न्याय मिले और दोषी को सजा मिले।
हमे अपनी बात को बताकर मेरे मन को हल्का पन महसूस हो रहा
है।
साक्षात्कारकर्ता - ओंकार व वन्दना
संघर्षरत पीड़ित
- बबलू कुमार
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