Tuesday, 5 May 2015

अपनो ने ही किया मान सम्मान से खिलवाड़।

        आज भी हमारे भारत देश में सीधे-साधे व्यक्ति के साथ अपनत्व को भूलकर किसी के सम्मान से खिलवाड करना व समाज की नजारो से उन्हें गिराने का सीलसिला बना लिये है। मानव उन्हें करने में व सामाजिक स्तर से नीचे गिराने में खुशी महसूस करते हैं।
आइये ऐसे भी एक पीडि़त की स्व0 व्यथा कथा।
मेंरा नाम राजेश कुमार उम्र 37 वर्ष मेरे पिता का नाम मुन्नी लाल है। ग्राम-बर्विछा, पोस्ट-थानेरामपुर, थाना-फूलपुर, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ। मेरे परिवार में 2 लड़का और 3 लड़की है और पत्नी व माता-पिता रहते है मै मजदूरी का काम व हैण्डपम्प बनाने का काम करता हूँ। हमको बराबर काम भी नहीं मिलता है। मै अपने परिवार का पालन-पोषण बहुत मुश्किल से करता हूँ, चिन्ता बराबर बनी रहती है। मेरे घर 25 वर्षो से मेरे द्वारा एक माँ दुर्गा का मंदिर स्थापित किया गया है। मै बचपन से ही माँ की पूजा अर्चना करता रहा। मेरे गाँव के लोग मुझे बाबा राजेश के नाम से पुकारने लगे लोगो की छोटी-छोटी समस्याऐ मेरे पास आता था तो मै निःस्वार्थ माँ का प्रार्थना करता था। जिनके उपर माँ का आशीष होता था। मैं जैसे भी था अपने गाँव में सम्मान पूर्वक इज्जत पाता था। मै मन में खुशी का आनन्द होता था मेरे एक मित्र सोहाल पिता चानिका गा्रम-छोटी वर्जी, पोस्ट-नयेपुर थाना-फूलपुर, जिला-वाराणसी। इनका मेरे घर आना-जाना 10-12 वर्षो से लगा रहता था। मेरे मित्र सोहाल की पत्नी शीला का तवियत 8 वर्ष पहले खराब था। जिनका दवा प्राईवेट हास्पिटल से चल रहा था उनके तवियत में कोई सुधार नहीं आया मेरे मित्र की पत्नी के बिमारी को लेकर काफी पेरशानी में वे मेरे यहा आये जब उन्हे सारी बाते हमें बताई तो उसे समय हमने उनसे कहा की इनका दवा और अच्छे हास्पिटल में कराये क्योकि मै कोई ओझा-सोखा नहीं हूँ मै तो केवल दूर्गा माँ के ऊपर विश्वास करता हॅू उनकी जिद के आगे मै माँ से प्रार्थना करके उनके मंदिर से वही अगरबत्ती की राख को दिया और माँ के आशीवार्द या किसी महिमा थी कि उनकी तवियत से सुघार होने लगा उनका विश्वास बढ गया और उनको जब समय मिलता था तो वह मुझसे मिलने आ जाते थे। जबकि मै ओझाई-सुखाई नहीं करता हूँ। उनका आना-जाना देखकर उनके पडोसी जो चचेरे भाई अनीष कुमार, संतोष कुमार पुत्र सोमारू राम है अनीष की पत्नी सरिता देवी, संतोष की पत्नी रीता देवी, अनीष की पत्नी सरिता देवी की तबियत घटना के तीन दिन पहले से खराब था जब उसे पता चला कि सोहाल राजेश बाबा के वहा जाते तो सरिता जिसका पारिवारिक दुश्मनी चल रहा था मौका पाकर भूत का झूठा नाटक बनाकर चिल्ला-चिल्ला कहने लगी की सोहाल व उसकी पत्नी शीला देवी मेरे ऊपर बाबा राजेश से मिलकर भुत करवाये है जबकि ऐसा कुछ नहीं था मै राजेश बाबा न तो कोई ओझा है न सोखा है मै केवल माँ के ऊपर विश्वास व आस्था रखता हॅू। मैं दिनांक 24 अक्तूबर, 2014 की मनहूस व भयानक रात मैं अपनी जिन्दगी में कभी नहीं भूल सकता मै अपने परिवार के साथ सोया था रात कें 12:00 बज रहे थे कि अचानक एक मैजिक गाड़ी से सरिता के साथ 15-20 लोग मेरे घर आये और मेरा दरवाजा खटखटाये तो मेरी नींद खुली तो मैने देखा कि इतने लोग मेरे घर क्यों आये है। इतने पर बिना कुछ कहे माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए कहते लगे ये साले तुम भूत करके लोगो की जिन्दगी खराब करते हो उस समय मै डरने लगा मेरा शरीर थर-थर कापने लगा मै घबरा रहा था इतने में नखरा बनाई सरिता मेरा गला पकड़कर गमछा से कसने लगी कहती थी कि कहो तुम ही भूत किये हो उस समय मेरा शरीर कापने लगा और मेरी बुढी माँ और मेरे विकलांग पिता मेरी दशा देखकर मुझे छुडाने की कोशिश किये तो उन्हे भी धक्का देकर नीचे गिरा दिये। इससे आज भी उनके शरीर में दर्द होता है इतना ही नहीं मुझे लोग अपने घर ले जाने के लिए कह रहे थे तो मै बोला की सुबह होगी तो मै आप के घर आऊॅगा। लेकिन अनीष, सन्तोष के साले प्रदीप जो सर्बीपुर का निवासी है|
 मुझे मारते-पीटते गाड़ी में बैठाकर अपने घर लाये बन्धक बनाकर रखे जितना जी मे आये उतना माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गाली दिये उस समय मेरे घर की याद बहुत आ रहीं थी। मै यही सोच रहा था कि अगर यह लोग हमको मार देगे तो मेरे बच्चों और मेरे विकलांग पिता का क्या होगा। उस समय मै रो-रो कर यही कह रहा था मैं अपने माता-पिता व बच्चों की कसम खाकर कर रहा हॅू कि आप लोग जहा कहो जिस स्थान पर कहो मैं सही साबित करने के लिए कसम खाने के लिए तैयार हॅू। अगर आप को लगता है कि हमने बहुत गलत किया है तो इसकी सच्चाई जानने के लिए कोई जानकार ओझा-सोखा को लेकर गाव के लोगो के साथ पंचायम का दिन निश्चित करे अगर हमने ऐसा किसा है तो मै उसका सजा भूगतने के लिए तैयार हूँ। लोगो मुझे 3:00 बजे रात छोडे मै रोते-बिखलते अपने घर आया और अपने मान सम्मान स्वाभिमान के बारे में सोचते हुए निश्चिन्त हो गया। घर पर मेरे परिवार में लोग रो रहे थे अपने परिवार को देखते हुए मै भी रोने लगा फिर भी अपने आप को सभाला। 25 अक्तूबर, 2014 की सुबह सरिता को लेकर जब लोग वाराणसी के किसी तांत्रिक पुजारी के पास गये तो वह बताये कि इनके ऊपर राजेश बाबा के माध्यम से कोई भूत नहीं किया गया है तो वह औरत भी बतायी कि मैं नखरा करके उसे बेइज्जत करना चाहती थी क्योंकि मेरा पड़ोसी बार-बार उनके यहा जाता था वह मुझे अच्छा नहीं लगता था जब लोगो के सामने सच्चाई का परदा खुला तो सभी लोगो लज्जीत के मारे सर नीचा हो गया। इसके पहले अनीष का शाला प्रदीप, राजेश बाबा को जान से मारने व घर के परिवार के लोगों को खत्म करने की कसम खाई थी।
जब इसकी सूचना सोहाल को मिली तो सोहाल बाम्बे से गाड़ी पकडकर दिनांक 2 नवम्बर, 2014 को अपने घर आये तो पंचायत के माध्यम से भूत के लेने का पंचायत दिनांक 5 नवम्बर, 2014 को रखे सोहाल ने कहा कि तुम लोग एक साथ दो-दो परिवार के साथ उनके मान सम्मान मर्यादा इज्जत सबका खराब करने कि कोशिश कि है इसलिए तुम लोगो को पंचायत के सामने कबूल करना पडेगा कि भूत किसने किया है अगर मेरा भूत है तो मै अपना भूत लेने कि लिए तैयार हॅू। 5 नवम्बर, 2014 के पंचायत में कोई विपक्षी नहीं आये जिसमें 16 नवम्बर, 2014 को विपक्षी द्वारा पंचायत रखा गया इसमें भी प्रदीप को बुलाया गया जिसमें पुरा खेल रखा था वह नहीं आया मान सम्मान को देखते हुए मान हानि कर रिर्पोट कठिराँव चौकी पर दर्ज किया पर दोषी व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ मै। राजेश बाबा अपनी इतनी उम्र इज्जत सम्मान से विताया हॅू।
मुझे कोई कुछ नहीं कहता था सभी मेरा सम्मान करते थे इनकी वजह से मै समाज में मेरा सम्मान गिर गया जो सर मै उठा कर चलता था आज वह सर झुकाकर चलना पड़ता है उन लोगो की इस हरकत को देखकर गाँव के लोग मुझे बोली भी बोलते हे तै उनकी बात सुनकर चुपचाप चला जाता हूँ। उस समय ऐसा लग था कि अपने मान सम्मान को बचाने के लिए यह गाँव छोड़कर चला जाऊॅ, लेकिन क्या करू मजबुर हॅू। आज भी इस घटना के बारे में सोचता हॅू तो रात में नींद नही आती मन धबराने लगता है भूख नहीं लगती पूरा बदन थर-थर कापने लगता है।
अब मै चाहता हॅू कि जो मेरा इज्जत के साथ खिलवाड किया है उसके ऊपर मानहानी कि तहत मुकदमा हो मुझे न्याय मिले आप को अपनी आपबीती बात को बताकर बहुत अच्छा लगा और मन हल्कापन महसूस हुआ।

साक्षात्कारकर्ता - दिनेश कुमार अनल व प्रभाकर प्रसाद               
संघर्षरत पीडि़त- राजेश कुमार



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