मेरा नाम रूबीना वानो उम्र 19 वर्ष पुत्री बसीर अली निवासी
अजईपुर, थाना-फूलपुर, जिला-वाराणसी। मैं
इण्टरमिडिएट पास कर चुकी हूँ और घर पर रहती हूँ। लगभग 24 जनवरी, 2013 को पूर्व में मेरे
गोँव के राजू पंचम पुत्रगण नन्दू राजभर व प्रदीप पुत्र दूधनाथ राजभर आये दिन शाम
को शौच आते-जाते समय और बोली बोलते रहते थे।
दिनांक 24 जनवरी, २०१३ को शाम करीब 4:30 बजे घर से पश्चिम तरफ
खेत में शौच हेतू जा रही थी। उपरोक्त तीनों लोग अशलील बात बोलने लगे। जब मै उन
लोगों की बात की अनसूनी करके आगे बढ़ी तब राजू राजभर पीछे से आकर मेरा दुपट्टा
खिंच लिया और मेरा हाथ पकडा चाहा परन्तु मै चिल्लाती हुई वहा से भाग कर घर आयी, और अपनी माता जी व
भाई से आप बीती बात बतायी। लोक आज के डर से हम लोग चुप हो गये। दिनांक 26 मई, २०१३ को शाम के समय रोज
की भांति वे लोग उसी रास्ते पर थे। मेरा भाई इवरान गया और पूछा मैया मेरी बहन को
क्यों परेशन करते हो और उसका दुपट्टा क्यों खीचे। इतनी बात सुनते ही मेरे भाई को
मारना-पीटना शुरू कर दिये। गोँव के कुछ लोग बीच-बचाव किया और मेरा भाई भागते हुए
घर आया। मेरा परिवार परेशान हो गया। वे लोग हमारे साथ दुराचार करना चाहते थे।
उसी दिन रात करीब 9:00 बजे उपरोक्त कुछ आदमियों के साथ मेरे घर पर लाठी-डण्डे लेकर चढ़ आये और हमारे परिवार को
गाली-गुप्ता देने लगे। हम लोंग दरवाजा बन्द करके अन्दर हो गये। मेरी माता आत्मा
बाहर थी, उन्हें भी राजू
झोंक दिया। वह बाहर दरवाजे पर गिर गयी। तथा और मेरे अब्बा नसीर को भी कालर पकड़कर
झोक दिया, और हमलोगों को
भद्दी-भद्दी गालियो दिये। गाँव के काफी लोग इकठ्ठा हो गये और बीच बचाव किये और
पूरे गोँव के सामने जो मेरी इज्जत थी उसकी धज्जी उड़ा दिये। अब मै मारे शर्म के घर
के बाहर निकल नहीं पाती हूँ। वाहर जाने से डर लगता है। अब हम उन लोगों के आतंक से
माँ के साथ षौच के लिए जाती हूँ। मन हमेशा अशान्त रहता हैं। कहीं आने-जाने का मन
नहीं करता है। अपनी इज्जत के बारे में सोचती रहती हँ। रात में नीद नहीं आती है।
बराबर उस दिन की बारे में
सोचती हूँ तो हमें भय लगता है। समाज में
लोग क्या सोचेगा। उसी के तीन दिन बाद 29 जनवरी २०१३ को मेरा भाई इवरान
स्कूल से घर आ रहा था कि अजईपुर प्रा0 स्कूल के पास पंचम
प्रदीप, राजीव खडे थे और
मेरे भाई को खीच कर मारने लगे। किसी तरह छुडा कर मेरा भाई अनिल यादव के घर भाग गया
पर वे लोग घर में घुस गये, और मारना शुरू कर दिए। अनिल यादव के परिवार वालों के
विरोध करने पर वे लोग घर से वाहर भाग गये। तब मेरे भाई की जान बची।
उसके बाद मेरा भाई घर आया घर से परिवार के लोगो के साथ थाना-फूलपुर गया जहा
पर लिखित आवेदन दिया गया। जिसपर रात में ही थाने से दो सिपाही आये और पूछ-ताछ
किये। उपरोक्त तीनो व्यक्ति नहीं मिलें। पुलिस थाने से दूसरे दिन थाने पर पार्टी को बुलाये। मगर विपक्ष के लोग
नहीं आये उनके परिवार के सदस्य थाने पर गये। वहा पर पुलिस वाले मेरे भाई को डाट कर
उन लोगों के सामने सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिये और बोले घर जाओं। मेरा भाई घर
आ गया,
अब तीनो लोगों का मन और बढ़ गया। मेरे साथ उपरोक्त लोगो ने ऐसा कृत्य किया पर
पुलिस वाले उन लोगो से खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किये उन्होने मेरे भाई को डाटे।
मैं बराबर यही सोचती हूँ कि अब मेरी इज्जत कैसे बचेगी। कोई मदद करने वाला नहीं हैं।
पुलिस भी उन्हीं लोगों से मिली है। हमारा पूरा परिवार सहमा हुआ है। फिर से वे लोग
कोई अप्रिय घटना न कर दे।
हमें आप से अपनी
बात को बताकर कुछ हलकापन महसूस कर रही हॅू।
साक्षात्कारकर्ता -
दिनेश कुमार अनल़$प्रभाकर प्रसाद
संघर्षरत पीडि़ता- रूबीना बानो
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