भारत मे आज भी पुलिस के कार्य पर कई सवाल खडे हो रहे है। जहां एक ओर
पुलिस क्राइम को खत्म करने मे असमर्थ हैं। तो वही दुसरी तरफ बपने सर की खुजली
गरिबों के माथे लाद कर उन्हे बेवजह फंसा कर जेल भेज रही है। आईए सुनते है एक पीडित
की कहानी उन्ही की जुबानी।
मेरा नाम रामाश्रय राजभर पिता श्री चन्नालाल राजभर ग्राम व पोस्ट कुरु, तहसील पिण्डरा,थाना- कपसेटी, जिला वाराणसी का रहने वाला हूँ।
मेरा परिवार मे मेरी पत्नी मेरे तीन बच्चे,है। हम चार भाई है चारो एक साथ मिल जुल कर रहते है। मेरी घटना यह है।
कि मेरे गांव कुरु से चार कि0 मी0
दुर कोईलार गोँव मे एक महिला पुलिस की गाडी की चपेट मे दिनांक 03/04/13 को मृत्यु हो गई। उसके बाद उस गोँव के लोग सुबह 9:00 बजे के करीब मेरे गोँव के पास से गई सडक पर उसकी लाश को लेकर चक्का
जाम कर दिये। उस समय मै और मेरे भाई भी मजदुरी करने गये थे। जब हम लोग घर आये तो
पुरी घटना का पता चला। हमलोग निश्चिंत हो गये कि जो होना था हो गया अब क्या होगा।
पर एक माह बाद 02/05/13 को हमलोग अपने घर के बाहर दरवाजे पे
सब लोग सो रहे थे। दुसरा पहर था। रात के करिब 1:00 बज रहे होगें। मै गहरी नींद मे
था। कि तभी एक जीप और तीन बाईक से पुलिस आई। और कुछ दुर पर गाडी खडी कर मे मेरे घर
को चारो तरफ से घेर लिया। और दो पुलिस वाले ने मेरे सीने पर जोर से हाथ रखा। मै
थरथराते हुए डर से उठ गया कि कोई हमे मारने की कोशीश कर रहा है। जब ठीक से आँख
खुली तो सामने पुलिस दिखा। यह देख कर मै चैक गया। उसने मेरा नाम गरजते हुए पुछा
हमने डर से अपना नाम बता दिये तो उसने फिर पुछा हमने फिर बताया। पुछा गंगाराम कौन
है। हम बोले मेरा भाई है। वो उसे उठाने चले गये और उस तरह उसे भी उठाये और थाने
चलने को कहा तक मेरे घर के सभी लोग उठ चुके थे एक बच्चा भी सोया नही था। और पूलिस
वाले मेरे भाई को ले जाने लगे। मै पूछा कि इन्हे क्यों ले जा रहे हो उसने कहा कि
पुछ ताछ करने के लिए ले जा रहे है सुबह तक छोड देगें। यह सुनकर मेरे घर वाले रोने
लगें हमे भी डर सा लग रहा था। क्या ले गये| रात भर सब रोते रहे मै सुबह होने का इंतजार
करने लगा। सुबह होते ही मै साईकिल से थाने गया। और
साथ मे प्रधान और मेरी भाभी थी।
जब हम लोग थाने मे जा कर बडे
बाबु से पुछा तो उन्होने कहा कि ईनके खिलाफ कोर्ट से वारेंट था। ये लोग दारु शराब
पी कर पुलिस की गाडी पर पत्थरबाजी किये इस लिए हम उठा कर ले आये। अब ये कोर्ट का
मामला है। आप लोग कोर्ट मे जा कर समझिये तब हमे लगा कि ये सब कैसे हो गया। हमारे
भाई साहब एैसे नही है। तो फिर ये कैसे हो गया। और फिर हमलोग कोर्ट मे जा कर आवेदन
दे कर चले आये। और अब तक हमारे मामले मे कोई कार्यवाही नही हुआ है। हमलोग कोर्ट से
कागज निकाले तो देखे कि 11 से 12
धाराये लगा हुआ है। यह सब देख कर हमारे आँखों के सामने अंधेरा छा गया। कि हम कैसे
छुडायेंगें अपने भाई को। भाभी भी पुरी चिंता मे रह रही है। घर मे पांच छः माह से
हमलोगों को खाना नही खिला रहा है। खाने बैठते है तो भाई कि याद आ जाती । और खाना
नही खा पाते है।
हम
चाहते है कि उस पुलिस वाले को कडी से कडी सजा दी जाये मेरे भाई अगर गलती किये है
तो उसे भी सजा दी जाये पर इस तरह बिना गुनाह के किसी गरीब को फर्जी फसा कर जेल नही
डालना चाहिए।
आपको
यह सब बता कर लग रहा है कि कुछ कार्यवाही होगी। आपलोग से पहली बार मिल रहे है।
हमे अच्छा लग रही है कि कोई मेरे दर्द को
सुना।
साक्षात्कारकर्ता
- रामाश्रय राजभर
संघर्षरत पीडिता
– दिनेश कुमार अनल
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