Saturday 23 May 2015

जिससे माँगा न्याय, उसी ने उलझा दिया हमें!!

जिससे हमारा समाज कठिनायां के दबाने का काम सदियों से करता आया है, और बड़ी तरह के आरोपो को कद मढ़ कर बदनाम किया है। समाज के साथ-साथ रक्षक भी भक्षक बन गये है। इसी तरह की एक घटना है जो बता रही है राघा देवी अपने बयान में।
मैं राधा देवी पति श्री बासुदेव शर्मा ग्राम-पचमा, पोस्ट-बासोडीह प्रखण्ड, थाना-सतगवां जिला-कोडरमा की मूल निवासी हूँ।
मेरी घटना यह है कि मेरे पति बहुत अच्छे थे। जब हम लोग शादी किये थे, पुरा माहोल खुशनुमा था। पुरा जीवन खुशहाल था पर मेरे पडोसियों को मेरी खुशी रास नहीं आयी और वे लोग हमारे पति से तरह-तरह की बाते करने लगे। अचानक हुआ यह कि मेरे पति हमें मारने-पीटने व गाली-गलौज कर हर तरह से प्रताड़ित करने लगे। 2010 में मेरे पति हमें चेन्नई से सतगागवां कोडरमा ले आये और यहाँ भी हमें प्रताड़ित करने लगे मेरी तीन बेटी और एक बेटा है। मेरा बेटा मेरे पति के साथ चेन्नई में रहता है, और मेरी बेटी सब मेरे साथ रहती है। मै पति के प्रताडना से तंग आ गई हॅू। हाल ही में 6 सितम्बर 2012 की मेरे पति चेन्नई से आये थे। तब भी सब ठीक था। 7 सितम्बर को मेरे पति मेरे चचेरे ससुर रामवचन मिस्त्री दोनो शराब की बोतल ले कर मेरे घर पर आये, और बैठ कर दारू पिये। इसी बीच मेरी चचेरी सास मीना देवी भी आ गयी, और मेरे घर का दरवाजा बंद कर दी। हम पूछे काहे बंद कर रहे है बोली अभी पता चल जायेगा। तो मेरे दोनों हाथ पकड़ ली, और मेरे पति व मेरे चचेरे ससुर बास का मोटा डंडा लेकर हमें मारने और पीटने लगे। मैं पूरे आँगन में लेटने लगी और मार से मेरा हाथ टुट गया। मेरा पूरा शरीर फुल गया। मै पूरी तरह बेहोश हो गयी। यह देखने के बाद भी मेरे पति हमें मारते रहे, मेरी बड़ी बेटी को भी मार-मार कर हालत खरब कर दिया। हमें बेहोश देख कर मेरी बेटी ने छत पर चढ़ कर ईटा उठा ली, और बोली की मेरी माँ को छोड़ो तब जा कर मेरे पति हमे छोडे। मैं किसी तरह अपने आप को सम्भाली और लग रहा था कि हम मर जाये पर क्या करे बेटी को कैसे छोड़ सकते है। इस लिए हम रिक्सा ले कर थाने गये वहाँ एफ0आई0आर0 दर्ज करवाने के लिए। बड़ा बाबू हमको देख कर बोल रहा था कि कौन तुम्हारा यह हाल किया है हम साले का टाग तोड़ देगें। उसके इस बात से ऐसा लग रहा था मानो मेरा सब कुछ सही है यह सुनकर हमको ऐसा लगा कि यह मेरे साथ इंसाफ करेगें और उन्होंने पूरा कार्यवाही की इंजोरी रिपोर्ट वगैरह सारा चीज बनवाये और फिर हमको घर छोड़ दिये, पर मेरे केस में कोई कार्यवाही नहीं किये। बड़ा बाबू हमको फोन किये और बोले बेटी को लेकर थाने आव फिर हम अपनी मझली बेटी को लेकर थाने गये। बड़ा बाबू सफेद कागज पर हस्ताक्षर करवा रहे थे। हम मना किये तो बड़ा बाबू हमको समझाने लगे कि दो लोगो को छोड कर अपने पति पर ही केस करो।
हम गुस्सा से उनके केस नम्बर लिए और कोर्ट में आवेदन बनाकर एस0पी के लिये तो एस0पी0 ने डी0एस0पी0 को भेज कर मेरे केस का जांच करवायी जा। कुछ समय बाद बड़ा बाबू साफ बोल दिये कि हम कुछ नहीं किये। हम मना भी नही किये है, और यह बोल कर साफ निकल गये।
फिर बड़ा बाबू कई बार हमें फोन कर बोले कि राम बचन को देखेगी तो हमे फोन करना। हम कई बार फोन किये पर बड़ा बाबू राम बचन का फोन नहीं लगा। इस तरह से हम परेशान हो गये। 26 मार्च को मेरे पति चेन्नई से आये, और दारू शराब पीकर गाली गलौज करके हमको मारे और घर के दरवाजा और खिडकी तोड़ दिये। हम तुरन्त बडा बाबू को फोन किये तो बड़ा बाबू पूछ रहा है। हम तुम्हारी बेटी के बारे में कुछ सुन रहे है। वे औरत बोल रही थी। हम बोले कि हमारे घर में मेरे पति मेरा दरवाजा तोड़ रहे है, और आपको मेरे बेटी को गलत साबित करने की चिन्ता लगी है। इस तरह दो तीन बार हम उनको फोन किये। जब मेरे पति दरवाजा तोड़ने की कोशिश करते हम फोन करते तो वो हमे इसी तरह का बात बोले कर दर किनारे कर देते। इस तरह हम तंग आ गये है और मेरे पति लगातार पागल की तरह हमे बीच रोड पर खड़ा होकर गाली देते है कहते है हम एस0 पी0 डी0 एस0 पी0 सब को खरीद लिए है। देखगें तुम कहा-कहा केस करेगी। हमको कुछ नहीं होगा। थाने की लापरवाही व कार्यवाही से उदासीनता को देख कर हमे लग रहा है कि अब हमें न्याय नहीं मिलेगा। थाना प्रभारी भी गलत तरिके से पेश आता है, उसके पास जाने का मन नहीं करता पर क्या करे कानून का रखवाला जो बन बैठा है जाना पड़ता है पर न्याय की उम्मीद से नहीं सुरक्षा की उम्मीद से जाते है कि कही कुछ तो सुरक्षा मिले।
मैं चाहती हॅू कि मेरा पति सुधर जाये और वो ठीक ढंग से मेरे साथ रहे और नहीं सुधरता है तो मेरा जो हम अधिकार है वे हमे मिले। आपके पास आये है। अपनी घटना आप को बता कर हमको लग रहा है कि हमको न्याय मिलेगा। हम बड़ी उम्मीद से आपके पास आये है।

 lk{kkRdkjdrkZ & vksadkj fo’odekZ]    oUnuk nsoh
la?k”kZjr ihfM+rk     &      jk/kk nsoh                                                                   
                 


No comments:

Post a Comment