Saturday, 23 May 2015

मेरी माँ की गरीबी के कारण मेरी जिन्दगी बर्बाद कर हो गयी!!

मै काजल देवी उम्र 18 वर्ष पिता मनी राम रजक ग्राम माथाडीह, पोस्ट डोमचाँच, जिला- कोडरमा, झारखण्ड की मूल निवासी हुँ।
मेरी घटना यह है कि मेरी माँ मेरी शादी एक वर्ष पहले वर्धमान में लगाई थी हमको लड़का पसंद नही था हम माँ से बोले कि हमको लड़का पसंद नही है हम यहा शादी नही करना चाहते तो मेरी माँ बोली कि अगर तुम यह शादी नही करोगी तो हम तुम्हारी शादी राजस्थान की तरफ कर देगे क्योकि मेरे पास उतना पैसा नही हम मजबुर होकर यह शादी के लिए तैयार हो गए| मेरी शादी दिनांक 9 मई 2014 को बर्धवान में योगेश रजक के बेटे ओम प्रकाश रजक के साथ हो गई, शादी के दिन हम बहुत रोएं हमको लगा कि मर जाए लेकिन यह शादी नही करे। शादी हर लड़की का सपना होता है लेकिन मेरा सपना टूट गया। जिससे मेरी शादी हुई वो उम्र में मुझसे बहुत बड़ा था।
जब हम ससुराल गये तो मेरे पति मुझसे पार्टी वाले दिन बहुत जोर जबरदस्ती करने लगे और जब हमने मना किया तो मेरे माँग का सिन्दुर मिटा दिये और चुड़ी तोड़ दिये, मंगलसुत्र भी तोड़ने जा रहे थे किसी तरह मैने अपने आपको सम्भाला उन्होने मुझे गाली दिया और वहाँ से भाग जाने को कहा उस दिन हम बहुत रोए और सबकुछ सहन करके किसी तरह एक महिना का समय काटा। एक महिना बाद हम अपने मायके आ गए और मम्मी को सारी बात कही। दो दिन बाद मेरे पति मुझे ले जाने को आये मेरी माँ भी मुझे जाने को कह रही थी, उस दिन मैने जाने से मना कर दिया इस पर खुब झगड़ा हुआ तब मेरी माँ भी साथ जाने को तैयार के लिए तैयार होने लगी। मेरे पास 900 रुपये थे वो पैसा माँ ने माँग लिया और जब मैने पैसा माँगा तो नही दिया तो मैने कहा बिना पैसे के हम नही जाऐंगे इतने पर मेरी माँ मुझे मेरे पति के सामने ही मारने लगी और गाली दी मुझे बहुत खराब लगा और गुस्से के कारण मै घर से 900 रुपये लेकर बाहर निकल गयी| मेरी माँ ने मुझे बहुत खोजा पर हम शाम को खुद वापस आ गए। जिस दिन वापस आए माँ ने मुझे खुब मारा और एक आदमी है नन्तु बंगाली उसके बारे में कहने लगी कि वही तुमको ले गया था और तुम्हारा एक लड़के से गलत संम्बंध है जबकि ऐसा कुछ भी नही है। यह सब सुनकर मै गुस्से से पागल हो गयी और अपने हाथ कि नस काट ली और नींद की 10 गोली खा लिया क्योकि अब जीने कि इच्छा नही थी। इतना सबकुछ होने के बाद भी हम अपने ससुराल गए। यहाँ मेरा पति मुझे आये दिन मारता और जलील करता था। वह कहता कि इस कागज पर अपने साइन कर दो हमे तलाक चाहिए तो मै उसे कहती तुम मेरी माँ से कहो तो कहता मै नही कहुँगा। मुझे डर था कि वो कही साइन करवा कर मुझे मार न डाले। कुछ दिन बाद मै अपने पति, ससुर, और ममिया ससुर के साथ मायके आ गई। यहाँ से हम फिर ससुराल नही गए। एक महीना हो चुका है। मेरी माँ कहती कि मैने तुम्हे बर्बाद कर दिया। दुसरी शादी करने को कहती है लेकिन हम कुछ काम करना चाहते है। फिर कुछ समय के बाद सोच समझ कर शादी करेंगे।
आपको अपनी बात बता कर बहुत हल्का महसुस कर रहे है। हमको विश्वास है कि हमको न्याय जरुर मिलेगा।

 साक्षात्कारकर्ता- ओंकार,   वन्दना देवी

 संघर्षरत पीड़िता -गुलाबी देवी                   
                                                                                            


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