मेरा नाम धाना देवी उम्र 45
व है। मेरे पति मक्खन लाल है। वह राजगीर का काम करते थे, लेकिन एक वर्ष पूर्व कानपुर में ट्रेन से उतरते वक्त उनका पुरा पैर ट्रेन
से कट गया जिससे वह अभी कुछ नहीं करते है। मैं दुसरे के घर में चुल्हा-बर्तन करके
अपना घर चलाती हूँ। मैं 37-ए करबला, थाना-खुल्दाबाद, जिला-इलाहाबाद की रहने वाली हूँ।
मेरे
तीन लड़के थे लेकिन पुलिस वालो के वजह से मेरा छोटा लड़का सुरेश उर्फ पल्टू भारतीय 17 वर्ष अब इस दुनियाॅ में नहीं रहा यह कहते हुए वह रोने लगी कि हमारे
बेटे को पुलिस ने मार डाला वह मेरे जीने का सहारा था, उसने कुछ भी नहीं किया था वह बेकसुर मारा गया। मैं नही जानती थी, कि मैं अपने बच्चें को इस तरह से खो दॅूगी यह कहते हुए वह चुप हो
गयी। थोड़़ी देर बाद वह बोली कि वह मनहुस दिन 30
जुलाइर्, 2012 को 2:00 बजे दिन सोमवार का दिन मेरे बच्चें के लिए काल बन जायेगा, मै यह बात नहीं जानती थी। रोज की तरह मैं और मेरी बेटी कसम गये थे, उस समय सुबह के 10:00
या 10:30
बजे थे, कुछ पुलिस वाले मेरे घर में आये (घर के
बाहर का चैनल खुला रहता है) गली और चैनल के रास्ते से कमरे के दरवाजो का ताला
तोड़कर घर में धुसकर खुब तोड -फोड़ किया घर के सभी बक्शो का ताला आलमारी का लाकर सब
कुछ लाठी डन्डो से तोड़ डाला था। यहा तक कि घर के किचन में घुसकर चुल्हा व वर्तन को
तोड़-फोड़ डाला, हम लोग इन सब बातों से अन्जाम थे।
मेरा बेटा भी उस समय घर पर नहीं था। जब मैं काम से वापस आयी तो
आस-पास के लोगो से पता चला कि पुलिस वाले मेरे घर आये थे और तोड़-फोड़ करके चले गये।
यह सुनकर मैं घबरा गयी, मैं दौड़ी भागी घर पर आयी तो घर का हाल
देख घबरा गयी मुझे समझ में नहीं आ रहा था, कि
मैं क्या कहू सब समान बिखरा पड़ा हुआ था। उसी दिन पता चला कि मेरा पट्टीदार शनि
पुत्र राजू भारतीय चोरी करते रंगे हाथ पकड़ा गया था। उसने ही थाने में मेरे बेटे का
नाम लिया उसी की तलाश में पुलिस घर आयी थी। यह बात सुनकर मैं बौखला सी गयी। वह लोग
मेरे बच्चें को क्यों ढुढ़ रहे है। वह चोरी नहीं कर सकता हम तो मजदूरी करके अपना
दिन गुजारने वाले है। मुझे इस बात का विश्वास नहीं था, उसे झूठा फसाया जा रहा था। पट्टीदार के यहा से हमारे सम्बन्ध अच्छे
नहीं है। इसी कारण उसने मेरे बेटे का नाम लिया। अभी यही सब मैं सोचते हुए बिखरे
सामानो को समेट रही थी, वह घबरा गया था, तभी मैनें उससे कहा तू दूर चला जा पुलिस तुझे चोरी के आरोप में तलाश
कर रही है।
उस समय उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़कर कहा माँ मैने चोरी नहीं की है, तो मै क्यों भागू उसकी बात सुनकर मेरी आँख मैं आँसू आ गया, कि इसे उन पुलिस वालो से कैसे बचाऊँ जब
उन्होने घर की हालत यह कर दी तो मेरे बच्चें के साथ क्या करेगें यही चिन्ता मुझे उस
समय खाये जा रही थी। सामान को समेटते हुए मै फिर घर के चुल्ला बर्तन में लग गयी, लेकिन यह बात दिमाग से नहीं उतर रहा था कि मेरे बच्चें का क्या होगा
मै बार-बार उससे कहती तो वह कहॅता मैने कोई चोरी नही की। उसी रात करीब 10:00
या 10:30
बजे मैं और मेरे पति और मेरी बेटी मोनी खाना खाकर एक ही कमरो में सोये थे, अभी पहली ही नीद लगी थी तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर मैं उठी और
देखी तो दरवाजे के बगल की खिड़की के बाहर दो पुलिस वाले खडे़ है और दो दरवाजे के
बाहर कुण्डी खटखटा रहे थे। उस समय मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी थी। मन तेजी से
घबरा रहा था, कि अब भी हिम्मत करके दरवाजा खोला, दरवाजा खुलते ही वह लोग मेरे बेटे को पकड कर ले जाने लगे मैनें उनसे
कहा साहब मेरे बच्चें को क्यों ले जा रहे है उसने कोई चोरी नही की है, मेरा बेटा भी उनसे गिडगिड़ा रहा था, लेकिन
वह लोग सब्जी मण्डी चौकी के पास कुछ सुने ही मुझे गन्दी-गन्दी गालियां देते हुए
उसे ले गये।
मैं उनसे गिड़गिडाते हुए उनके पीछे सड़क तक गयी, लेकिन उन्होने मेरे बेटे को नहीं छोड़ा उसे मोटर साइकिल पर बैठाकर ले
कर चले गये। उस समय बिजली नहीं थी चारो तरफ अंधेरा छाया था, बारिश भी हो रही थी, उस समय मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, कि मैं किसे मदद के लिए बुलाऊ मेरे दोनों बड़े बेटे राकेश और मुकेश घर
से दूर रहते है। आस-पास भी सन्नाटा छाया था। इतनी रात को कौन मुझ दुखियारी की मदद
करेगा यही सोच कर घर वापस आ गयी, लेकिन पता नहीं मेरे लाल के साथ क्या कर
रहे होगे। अभी यह बात सोचती हूँ तो बहुत तकलीफ होती है यह कहते हुए उसके आँख से
आसू निकलने लगा उन लोगों ने मेरे बच्चें को बहुत मारा था। वह कितना तड़पा होगा यह
कहते वह बिलखकर रोने लगी। उस समय फिक्र से नीद नही आ रही थी कुछ समय बीता तो पास
के पप्पू के यहा गयी उनसे बोले पुलिस मेरे बच्चें को उठा ले गयी, घबराओ मत सुबह थाने चलेगे उनकी बातो से मुझे कुछ सहारा मिला कि सुबह
होते ही थाने जाऊॅगी, मैं घर वापस चली आयी थोड़ी देर में
उजाला हो गया उस समय सुबह के पांच या साढे पाच बजे थे आस-पास की औरते शौच के गयी
तो उन्होने बताया कि (बेनीगंज ए.डी.सी) महाविद्यालय में दो लाश पड़ी थी। यह बाते
मैने सुनी लेकिन मुझे इस बात का अहसास नहीं था, कि
वहा मेरे पल्टू की लाश है। मैने मोनी से कहा कि खाना बना दो मैं थाने लेकर पलटू के
पास जाऊॅगी यह कहकर मै थाने जाने की तैयारी में जुट गयी, सिर्फ अपने बेटे से मिलने की ललक लगी थी। अभी इसी तैयारी में लगी थी
तभी कुछ लोगो ने आकर कहा कि वहा पलटू की लाश पड़ी है यह सुनकर मै चीख पड़ी उस समय
मेरे आँखो के आगे अंधेरा सा छा गया ऐसा लगा मेरी दुनियां उजड़ गयी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था, कि
मैं क्या करू मै पालग सी हो गयी थी।
आप-पास के लोगों ने मुझे
सम्भाला यह कहकर वह रोने लगी वोली मेरे बच्चें के जाने के बाद मै पूरी तरह से टुट
गयी हूँ। रोते बिलखते आस-पास के लोग मुझे पकड़कर उसके पास ले गये, उस समय जैसे मुझे होश ही नही रहा, जब
मेरी निगाह पल्टू परपड़ी तो मैं दौड़कर अपने बच्चें को जगाने लगी। लेकिन वह नहीं
जागा पुलिस ने उसे बहुत बेरहमी से मारकर
उसकी जान ले ली। यह कहकर वह रोने लगी उसके बदन में जगह-जगह निशान थे, मेरा बच्चा कितना लड़पा होगा, वह
बेकसुर मारा गया। पुलिस ने उसकी जान ले ली बस यही सोचती हूँ।
अगर वह भाग गया होता तो शायद वह बच जाता लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहाँ काफी भीड़ थी।
लेकिन मेरी तो दुनियां उजड़ गयी। आस-पास के लोगो ने फोन करके मुकेश को बुलाया थोड़ी
देर में करेली थाने की पुलिस आयी। फिर इसके बाद खुल्दाबाद थाने की वह लोग यह मान
ही नही रहे थे, कि पुलिस वाले ने मेरे बच्चें को मारा
है। वहाँ से बिना पंचनामा कर उसकी लाश को पोस्टमार्टम के लिए एस.आर.एन. मेडिकल
कालेज चली गयी, लोगो ने चक्का जाम किया माग की पलटू और
अजय की मौत कैसे हुई लेकिन पुलिस वाले इस बात का सभी जवाब नही दे रहे थे|
उनका कहना था कि इन दोनो ने चोरी के पैसे का बटवारा करने के कारण एक
दुसरे की जान ले ली, यह सब सुनकर उस समय मुझे बहुत गस्सा आ
रहा था, यह लोग मेरे बच्चें की जान लेकर झूठ
बोल रहे है। मेरे बेकसुर बेटे को चोर बता रहे है। अभी भी यह सोचती हूँ, तो बहुत गुस्सा आता है, अगर
वहा पर एकत्रित भीड़ न देखते तो दुसरे थाने की पुलिस (डाग स्क्वायड) खोजी कुत्ता की
जाच के लिए बुलाया न होता तो शायद यह बात सामने न आती वह कुत्ता जहा लाश पड़ी थी, वहा से बात पुलिस सहायता केन्द्र जहा उन्हें पुलिस ने बुरी तरह मारा
था। पुलिस ने अपना सबूत छिपाने के लिए जमीन की मिट्टी को बिखेर दिया और ग्राउण्ड
की दिवाल पर पडे़ गोलियों के निशान को चूना से रंग दिया। यह सब बाते सुन-सुन कर
मुझे बहुत दुःख हो रहा था। कि आखिर में मेरे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उसको अपनी जान गवानी पड़ी। बुधवार (01.08.2012) को मेरे बच्चे की लाश मिली पुलिस वाले उस समय हम लोगो को गाली देते
हुए कहा कि लाश को ले जाकर जला दो नहीं तो अच्छा नहीं होगा। हम लोग इसके लिए तैयार
नहीं थे। तो वह हम लोगों को डराने धमकाने लगे कि सीधा शमशान घाट ले जाओं और लाश को
चला दो हम लाश को घर नहीं ले जाने देगे। हम कमजोर और बेसहारा लोग क्या करते थक हार
कर उसकी लाश को नीवा घाट ले जाकर गाड़ दिये (अविवाहित होने के कारण) उसके बाद तो
जैसे सब कुछ खत्म हो गया। वही मेरे जीने का सहारा था, मेरे पति से घर से कोई मतलब नहीं रहता है। मेरे बच्चें बहुत ही
मुसीबत से पले बढे है।
यह कहकर वह तेज से रोने लगी
मैने बहुत दुख उठाया है। लोगों का जुठन साफ करके अपने बच्चे का पेट भरा है, मैं गरीब अपने बच्चों को ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं पायी। बड़ा बेटा राकेश 27 वर्ष मुकेश 25 वर्ष बेटी मोनी 15 वर्ष की गरीबी के वजय से जितना बन पाया पढ़ाया फिर सब मेरी परेशानी
देखकर अपनी मजदूरी में लग गये बहुत परेशानी से पलटु को कक्षा 12 तक पढ़ाया उसके बाद वह नौकरी की तलाश कर रहा था, कभी पोलियों की दवा पिलाता था
और कभी शादी ब्याह में लड़के के साथ जाकर खाना खिलाता था, दोनो बच्चें घर से दूर रहते थे, पल्टु
मोनी मेरे साथ रहते थे, अभी इसके जाने के बाद मुकेश और उसकी पत्नी हमारे साथ रह रही है, जवान
बेटी को अकेले लेकर कैसे रहॅू अब मैं इस घटना के बादइतनी थक चुकी हूँ कि किसी काम
को करने का मन नहीं करता है लेकिन गरीबी इन्सा को इस कदर मजबूर कर देती है। कि
हरहाल में हमें काम करना पड़ता है। जवान बेटी का बोझ अभी सिर पर है। दिन रात यही
फिक्र खाये जा रही है, बेटे का चेहरा हर समय आँखो के सामने
घुमता रहता है, वह बहुत सीधा था, रात को जब सोती हूँ तो नींद नहीं आती है मन हमेशा घबराता रहता है, ऐसा करता है, कि खुब रोऊ, कही आने जाने का मन नहीं करता है, सब
कुछ बिखर गया। मन में यही पछतावा रह गया कि अगर वह घर से दूर चला जाता, तो शायद वह बच जाता। इस घटना के बाद मै बहुत बीमार पड़ गयी थी। मैं
चाहती हूँ जिन लोगो ने मेरे लड़के को बेकसुर मारा है उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी
कार्यवाही हो जिससे मुझे और मेरे परिवार को न्याय मिले मेरा लड़का तो वापस नहीं
आयेगा लेकिन उसके आत्मा को शान्ति मिलेगी।
आपसे
यह सब बाते बताकर मन में कुछ हल्कापन महसूस हुआ। मेरे साथ जो हुआ है, वह किसी और के साथ ऐसा न हो, और
उन लोगों के खिलाफ उचित कार्यवाही किया जाय।
साक्षात्कारकर्ता- फरहत शबा खानम्
संघर्षरत
पीड़िता-धाना देवी