मेरा नाम कुसुम
देवी, उम्र-25 वर्ष है। मेरे
पति का नाम साहब लाल है, जो गुजरात के आनंद शहर में प्रेस की दुकान किये
है। मैं पढ़ी-लिखी नही हूँ। मेरे पास एक पाँच महिने का छोटा बच्चा है। मेरे पिता का
नाम भाईलाल है,
जो बहुत गरीब है। मैं एक वर्षो से अपने पिता के घर रह रही हूँ। मेरी शादी
ग्राम-राजेपुर,
पोस्ट-सिरकोनी, ब्लाक-रामपुर, तहसील-केराकत, थाना-जफराबाद, जिला-जौनपुर में
हुयी है। इस समय मैं खररियाँ खास (साधोगंज) में रह रही हूँ।
आज से चार वर्ष पूर्व अप्रैल के महिने में मेरी
शादी राजेपुर के साहबलाल से हँसी-खुशी हुयी। उस समय मुझे देखने मेरी सास, जेठान मेरे घर
आयी। बचपन में खाना बनाते समय मेरा बाया पैर बूरी तरह जल गया था, जिससे चलने में
आज भी लड़खड़ाहट होती है। इस वजह से पिता जी ने पति भी एक आँख से विकलांग खोजे, ताकि शादी के बाद
कोई कुछ कहे न। एक महिने बाद मेरा गौना हुआ। गौने में पिताजी अपने औकात भर टी0वी0, साईकिल, पंखा, अँगूठी और बर्तन
आदि सामान दिये। उस समय पति गुजरात थे। ससुराल जाने पर दस-पन्द्रह दिन सब ठीक रहा, लेकिन उसके बाद
सास और जेठान मुझे ताने मारने लगी, बोली इसका पिता कंगाल है, दहेज कुछ नही
दिया, ऊपर से लंगडी घोड़ी
गले बांध दिया। उनकी बाते सुनकर मैं बहुत दुःखी होती, मन ही मन
गुस्साती और फिर रोती।
एक दिन तो उन लोगों ने हद ही कर दी, बोली तुझे
इसीलिये मेरा बेटा त्यागकर बाहर है, तू इसी तरह रहेगी तथा मुझे कुतियाँ, कमीनी और मेरे
बाप को भद्दी-भद्दी गाली देने लगी। जब मैने उनसे कहा कि आप मुझे मारे, गाली दे, लेकिन मायके
वालों को कुछ न कहे। इतने पर जेठान और सास बोली जुबान लड़ाती हो कहते हुए मुझे बाल
उखाड़कर मारने लगी। मैं रोती रही मुझे किसी ने बचाया नही और उल्टा पति को फोन कर दी, बोली तुम्हारी
पत्नी अपने मन की हो गयी है। उसके कुछ दिन बाद पति अपने किसी दोस्त को भेजकर अपने
पास बुला लिये। वहाँ जाने पर अपने पति के साथ सुरक्षित हूँ, लेकिन मुझे क्या
पता था कि मेरी यहाँ भी दुर्गती होगी। वहाँ उनके मौसीया सांस की लड़की रीता मुझे
देखने आयी और देखते ही बोली साहब लाल ये किस कुड़ेदान का कचरा उठा लाये हो, ये तुम्हारे किसी
लायक से नही है। मैं जब उनकी बाते सुनी तो अन्दर जाकर अपने किस्मत पर रोने लगी।
रीता आये दिन मेरे घर आती और मेरे पति को मेरे सामने चढ़ाती-बढ़ाती।
कुछ दिन तक मैं उनकी बाते सहन कर लेती, लेकिन जब मेरे
पति उनकी बाते सुनकर मुझे मारने लगे, गाली देने लगे तो एक दिन मैंने उनसे कहा कि आप
मेरे पिछे क्यो पड़ी हो। मेरी जिन्दगी क्यो बर्बाद कर रही है। उनसे मैने सवाल-जवाब
किया तो उनके पति मुझे जाति सूचक गालियाँ दिये, बोले-शाली कमीनी
लंगड़ी मुझे रास्ता दिखाओगी कहते हुए भद्दी-भद्दी गालिया दिये। मैं उनकी बाते सुनकर
सन्न हो गयी और अन्दर जाकर खूब रोई। उस समय लगा मेरी जिन्दगी बेकार है, जीने से क्या
फायदा, लेकिन माँ-बाप का
मुँह देखकर सोचती उनकी बदनामी होगी और पति के आने का इंतजार करने लगी।
रात को जब पति आये तो उनसे मैने रो-रोकर अपनी
कहानी बतायी तो वो बोले मैं जाकर पूछता हूँ और वह चले गये। जब एक घण्टे बाद पति
आये तो बिना कुछ बोले मुझे बेल्ट से मारने लगे। मेरे ऊपर मिट्टी का तेल छिड़कर
जलाने जा रहे थे। मैं वहाँ से चिखते हुए नही भागती तो आज मैं आपके सामने नही होती।
मैं बाहर सोसाइटी में अपने आपको बचाने के लिए भागी। उस रात मैं रोती रही, किसी ने मेरी
सहायता नही किया। उस समय मेरे पेट में बच्चा था। मुझे डर था कि कही उसे भी चोट न
लग जाये। इसी प्रकार आये दिन मुझे मारते-पिटते रहते और मैं सोचती की वह मेरे पति
है, पति परमेश्वर का
रूप होते है, लेकिन क्या पता
था पति नही वे पापी है।
2010 में मेरे भाई की शादी पड़ी थी, मैं आना नही
चाहती थी, लेकिन वे मुझे
धोखे से मायके भेजवा दिये, बोले तुम चलो शादी बितने पर तुम्हे लेने आऊँगा, लेकिन अब तक उनकी
कोई खबर नही मिली। मेरा बच्चा इतनी मुश्किल से हुआ, मेरी जान जाने से
बची, लेकिन ससुराल
वालों ने कोई खोज-खबर नही ली। अब पता चला है कि इसी 21 मई को पंचायत
में वो बोले कि मैं इसे नही रखना चाहता हूँ, छोड़-छोड़ौती चाहते
है। जब से मैने इनकी बाते सुनी है, मेरा जीना हराम हो गया है। रोज एक मौत मरती
हूँ। मैं उसी घर जाना चाहती हूँ, क्योकि पति सिर्फ एक होते है, शादी एक बार होती
है। उसी चिन्ता में मैं रात दिन सोती नही हूँ। किसी के पास नही जाती क्योंकि लोग
पूछने लगते है। जिन्दगी बिरान हो गयी है। यदि वो मुझे नही अपनायेगे तो मैं दूसरी
शादी नही करुँगी। उनकी यादों में ही जी लूँगी। मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ कि मुझे
अपना ले। मेरी खुशियाँ मुझे वापस मिल जाये। आप लोगों से अपनी व्यथा बताकर मन का
बहुत अच्छा लग रहा है। अब मुझे विश्वास है कि ,इंसाफ जरूर मिलेगा।
साक्षात्कारकर्ता-
चन्द्रशेखर व मीना कुमारी
संघर्षरत पीड़िता
-कुसुम देवी
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