Wednesday 3 June 2015

पत्नी व बच्ची को गाँव में छोड़ दूसरे महिला को पास जीवन बिता रहा है।

 अभी भी हमारे समाज में पुरुषवादी सोच कितनी निम्न स्तर की है लड़की से शादी करके उसको घर की नौकरानी समझ कर घर के चार दिवारी में कैद कर लेते हैं और अपने वाहर दुसरी महिला के साथ मजा लेते है। आइये एक ऐसी महिला की दर्द भरी कहानी उसी की जुवानी से सबरू कराते है।
            मेरा नाम संगीता उम्र 25 वर्ष है मै जाति की चमार हूँ। हम लोग पाँच बहन चार भाई मैं ग्राम-फरीदपुर पोस्ट-सारनाथ सुल्तानपुर वाराणसी की निवासी हूँ|
मेरी शादी 6 साल पहले बबलू पुत्र हरिनाथ ग्राम- नोआये पोस्ट-थाना गद्दी, जिला-जौनपुर में हुई है मेरे मैके वालो की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है फिर भी मेरे माता-पिता रीति रिवाज के साथ मेरे शादी की थी और दहेज व समान भी दिया गया था। इस समय मेरे पास दो बच्चें है बेटा का नाम करन और बेटी का नाम रोशनी है।

मेरे सास का नाम साबित्री देवी, तथा देवर का नाम बहादूर जेठ का नाम गुड्डू दुसरे देवर का नाम नीरज है। मेरे पति बम्बई में एक स्टील के कम्पनी में काम करते है। हम ससुर के साथ रहते है। जेढ साल तक सब ठीक था जब से मेरे पति बम्बई गये है तब से उनके अन्दर परिवर्तन होने लगा है। सोचती रहती हूँ आखिर क्या बात है क्यों घर पर नहीं आते है फोन भी नहीं करते है। मन में सोचती थी कि आखिर मेरे साथ क्या हो रहा है इधर पति के न रहने पर मेरी सास ननद खाना नहीं देती थी, जब कुछ बोलते थे। मेरा देवर मारने लगता था कहता था भाग जाओं अपने घर यहाँ पर तुम्हारा कोई नहीं है। मैं रोते-रोते सो जाती थी मेरे बच्चे भी भूखे सो जाते थे। एक दिन मेरा भाई(राजेश) बम्बई परीक्षा देने गया था परीक्षा देने के बाद वह सोचा कि चलकर अपने जीजा से भी मिल लेगे जब मेरा भाई अपने जीजा से मिलने गया घर में प्रवेश करते ही देखा की मेरे जीजा के कमरे में एक महिला सोयी है। मेरा भाई देखते ही उल्टे पाव लौटकर आ गया। यह सब देखकर वह सोचते हुए रास्ते भर आया की मेरी बहन ससुराल में दो बच्चों को लेकर खट रही है। और ये यहाँ मजा ले रहा है। मेरा भाई तुरन्त हमको फोन करके बोला तुम अभी ट्रेन पकड़कर बच्चों के साथ बम्बई चली आओ मै फोन पर ही अपने भाई से पूछी क्या बात है लेकिन मेरा भाई बोला फोन पर तुमको क्या बात बताये, मैं अपने भाई के बुलाने पर बम्बई गयी मेरा भाई मुझसे मिलकर सारी बातो को बताया, मै अपने मन में सोचने लगी कि मेरा पति मेरे और बच्चों के साथ विश्वाष घात कर रहा है। मैं सोचते-सोचते अपने पति के पास पहुँची वहाँ पर पहूँची तो धीरे-धीरे मैने सारी बातो को पता किया तो बात सही निकला।
मैने अपने पति को बहुत समझाया लेकिन मेरा पति नहीं माना बोला कि तुम चुपचाप घर चली जाओं नही तो तुमको मार डालेगें, मै अकेले परदेश में करती भी तो क्या करती, कभी रात को आता कभी नहीं आता था ज्यादा मैं बोलती थी मारने लगता था, घर में खर्च के लिये भी पैसा नहीं देता था। बम्बई में मेरे पति जहाँ रहते थे वहाँ के आस-पास की महिलायें बताने लगी की तुम्हारा पति तुम्हारे न रहने पर रोज शाम को एक महिला को साइकिल पर बैठाकर लाता था, और सुबह बैठाकर ले जाता था। मैं सबकी बात सुनकर चुप रहती थी, कुछ समझ में नही आता था। कि क्या करू मै बस बच्चों को लेकर रोती रहती थी एक दिन मेरा पति हमको मार पीटकर जबरजस्ती घर पर पहुँचा दिया और धमकी दे रहा था कि यी, तुम यहाँ से चली जायो नहीं तो तुमको हम मार डालेगें मैं डर के मारे उनके साथ अपने ससुराल चली आयी। मेरे पति हमको ससुराल में छोड़कर चले गये| मैं जब अपने सास, ननद से सारी बाते बतायी तो मेरी सास उल्टे हमको गाली देने लगी, मेरे बातो पर विश्वाष नहीं कर रही थी।
मेरे पति जब होली को घर पर आये तो हमसे बात नहीं कर रहे थे, मैं बहुत समझाना चाहती थी, लेकिन मेरे पति को मेरी बात सुनना पसन्द नहीं था। मेरे पति होली के बाद बिना मुझसे बताये बम्बई भाग गये, ये बात मेरी ननद ने बतायी की भैया भाग गये। मन सोचने लगी की मै कर भी क्या सकती हूँ पति पत्नी का जुडाव न होने से इसका फायदा सास-ससुर ननद, देवर जेठ उठाने लगे जब जिसको मन करता था वह गाली देने लगता था जेठ देवर मारकर घर से ही भगाने लगे, मैं सोचने लगी की कितने दिन बच्चों को लेकर भूखे रहगे इसलिये मै अपने मैके चली आयी थी। उसी तरह हो जाये तो अपने परिवार और बच्चों के साथ रहे। उस महिला का साथ छोड़ दे। बनारस में कहीं भी नौकरी करे और मेरी सास ससुर हमे प्रताड़ित करना छोड़ दे।
आप से मिलकर भी बहुत अच्छा गला मुझे उम्मीद है कि मुझे न्याय जरूर मिलेगा।

साक्षात्कारकर्ता - छाया कुमारी                                          

संघर्षरत पीड़िता -संगीता देवी  

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