मैं अजहरूद्दीन अंसारी उम्र 42 वर्ष पिता स्व0
इब्राहीम ग्राम-मदनपुर, पोस्ट-बड़ागाँव, ब्लाक-बड़ागाँव, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी
का मूल निवासी हूँ। मेरे परिवार में कुल 7 सदस्य रहते है।
सबसे बड़ा लड़का एजाज उम्र 23 वर्ष रियाज उम्र 20
वर्ष लड़की रिजवाना 17 वर्ष जो पढ़ाई कर रही है सदामा उम्र 15
वर्ष कक्षा 8 में पढ़ता है सबसे छोटी लड़की शबाना उम्र 9
वर्ष जो कक्षा 2 पढ़ती है।
मै बुनकरी का
काम करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाता हॅू। यह घटना
हमारे गाँव के ही दबंग पुलिस के मुखबीर की है। नसरूद्दीन ने साहू की जमीन खरीद
लिया था उसी चक में गाँव के चकरोड आने-जाने का रास्ता था। नसरूद्दीन जमीन खरीदने
के बाद चक के चारो तरफ बाउन्डरी घेरवा रहा था, तब हम लोग बोले
की नसरूद्दीन भाई ताजिया आने-जाने के लिए रास्ता दे दो तब वह बोला रास्ता नहीं
दूगा, तब हम लोग बोले की नसरूद्दीन भाई ताजिया आने-जाने के लिए रास्ता दे
दो तब वह बोला रास्ता नहीं दूगा उसकी चक में शंकर जी की मूर्ति थी नसरूद्दीन उसे
भी तोड़वा दिया। जब हम लोग उसकी शिकायत थाना बड़ागाँव में करने गये तो बड़ागाँव
थानाध्यक्ष तेज बहादूर सिंह ने कहा किसको रास्ता चाहिए, तब
हम लोग बोले सबको। तब एस0ओ0 ने कहा कि चलो
बैठो तब हमारे बस्ती के सात लोगो को थाने में बैठा लिया। ग्राम प्रधान चक का नकल
लेकर थाने गये तब भी दरोगा नहीं माना क्यो कि नसरूद्दीन पुलिस का मुखबीर है।
वह एस0ओ0 से मिलकर
मुकदमा कायम करवा दिया। हम लोग बराबर तहसील दिवस पर आवेदन देते रहे कि एक दिन एस0डी0एम
मौके पर आये और आदेश किये कि बाउन्डरी में गेट नहीं लगेगा ताजिया व गाँव के
आने-जाने के लिए यह ऐसे ही छुटा रहेगा। तब से नसरूद्दीन हम लोगो के ऊपर बराबर
मुकदमा पुलिस द्वारा फर्जी केस में फंसाने का लगातार प्रयास करता है, क्योकि
वह काफी पैसा वाला है उसके बड़ागाँव की पुलिस व दरोगा दरवार करने आते है। वह आये
दिन तालाब से मछली निकलवाकर उसी के घर जाते है बड़ागाँव थाने के पुलिस
हम लोगों की फरियाद को नहीं सुनती। नसरूद्दीन के कहने पर हम लोगों के ऊपर इसका
काफी असर पड़ा है क्योकि मैं अकेले कमाने वाले था। इन दबंग द्वारा जो मेरे ऊपर
फर्जी मुकदमा पर मुकदमा लगाया गया, उसी मुकदमे को
देखने मै काफी परेशन रहता हूँ। जिससे मै लाचार व वेवस हॅू जब से मेरे ऊपर मुकदमा
लगाया गया। तब से मेरा सुख चैन छिन लिया गया मुझे नींद नहीं आती काम करने का जी नहीं
करता सर में बराबर दर्द रहता है, चिन्ता बराबर बनी रहती है कि कही
नसरूद्दीन व पुलिस वाले फिर से मुझ फर्जी केस में फंसा दे। यही सोचकर मेरा मन बहुत
घबरात है। मैं अपने बच्चों की पढ़ाई भी ठीक प्रकार से नहीं कर पाता हूँ।
आज भी घटना की
याद करता हूँ तो ऐसी पुलिस व दबंग किस्म के व्यक्ति नसरूद्दीन के ऊपर गुस्सा आता
है जो व्यक्ति मेरा सुख चैन छीना है वह कभी खुश नहीं रह सकता। मै लाचार व बेवस हॅू
क्योकि मै उनकी बराबरी का नहीं हॅू|
अब मै चाहता हॅू
कि मेरे ऊपर लगाये गये फर्जी केसो को खत्म किया जाय और फिर से पुलिस वाले हम लोगो
को कभी परेशान न करे जो दोषी व्यक्ति है उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही किया जाय
ताकि हम सब को न्याय मिल सके।
मै आपको अपनी
कहानी बताकर बहुत हल्कापन महसूस कर रहा हॅू।
साक्षात्कारकर्ता -दिनेश कुमार अनल व प्रभाकर
कुमार
संघर्षरत पीड़ित-अजहरूद्दीन अंसारी
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