Friday 26 June 2015

भट्ठा मालिक व पुलिस प्रशासान द्वारा मजदूर पर अत्याचार!

मैं दुधई कन्नौजिया  उम्र 42 वर्ष पुत्र मिठाई लाल निवासी ग्राम-आदीपुर, पोस्ट-पहाड़पुर टड़वा, तहसील- अकबरपुर, थाना- सम्मनपुर, जिला-अम्बेडकरनगर का रहने वाला हूँ। मै ईट भट्ठे पर मजदूरी करता हूँ और अपने परिवार का भरण-पोषण करता हूँ। मेरे परिवार में मेरी पत्नी सहित 3 बच्चें है। 
            मैं मायाराम के भट्ठे पर रोशनगढ़ तहसील-अकबरपुर, थाना-सम्मनपुर, जनपद-अम्बेडकरनगर में जो अकबरपुर-बसखारी रोड पर ए0आर0आर0 मार्का ईट भट्ठा स्थिति है वहाँ पर दिनांक 27 जनवरी, 2014 से बुग्गी व घोड़ा द्वारा कच्ची ईट की ढूलाई किया था। मेरे द्वारा भट्ठा मालिक से 250 रुपया प्रति हजार कच्चे ईट की ढूलाई तय किया था। मुझे हर हफ्ते खर्च मिल जाता था। इस दौरान मैने जब हिसाब मांगता था तो कहते थे कि अगले महीने दे दूगा तुम लोग काम करो पैसा मिल जायेगा। मैंने करीब मैने 2 लाख 21 हजार 120 कच्चे ईट की ढूलाई की थी। तब छः माह बाद ईट भट्ठा बन्द हो गया तब भट्ठा मालिक बम्बई चले गये। उस समय उनके साथ काम देख रहे| मालिक के साले से हिसाब मांगा तो उन्होने कहा कि मालिक बम्बई गये हैं। 15 दिन में आ जोयगे तब हिसाब कर लेना | उस समय जेब मे मेरे एक भी पैसा नहीं था। घर पर राशन भी नहीं था और ब्याज पर कुछ पैसा लिखा था और राशन वाले दुकानदार का भी बकाया था, उसने राशन देने के इन्कार कर दिया था। मैं यह सोच रहा था कि राशन कहा से लाऊँगा और अपने बच्चों को क्या खिलाऊँगा। इस तरह से दोस्तों से कुछ रुपये माँग कर मैं 15 दिन में आ जायेगे यह कहकर मैं पैसा उधार लिया था| उस समय मेरे जेब में एक भी पैसा नहीं था। घर पर राशन भी नहीं था और ब्याज पर कुछ पैसा लिया था और के राशन की व्यवस्था किया।
       जब मै 15 जुलाई 2014 को पुनः ईट भट्ठे पर सुबह 8:00 बजे पहॅूचा तो उस समय मालिक भट्ठे पर मौजूद थे। मै उस समय कुछ खाना पानी नहीं किया था। मैने कहा मालिक मेरा हिसाब कर दीजिए तो मालिक ने कहा कि कैसा हिसाब तुम्हारा कोई पैसा बाकी नहीं है। मै यह सुनकर मैं दंग रहा गया जैसे मेरे पैर के नीचे से जमीन खिकस गयी। मुझे चक्कर आने लगा और घबडाहट होने लगी और ओेठ सूखने लगा। मुझे कुछ समय में नहीं आ रहा था कि मै क्या करूँ। फिर मैने किसी तरह से हिम्मत बाधते हुए हाथ जोकर मालिक पुन अपने हिसाब के बारे में कहा लेकिन मालिक व उसके साले ने कहा कि धोबी-धक्कड की जाति यहाँ से चले जाओ नहीं तो धक्के मार करके बाहर कर दूगा। मैने उनका पैर पकडते हुए कहा कि मालिक हम भूखे मर जायेगे हम बरवाद हो जायेगे। भट्ठा मालिक व उनके साले ने हमको भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए हमको लात घॅूसा से मारने लगे और मेरे आखों के सामने अंधेरा छा गया। मुझे भट्ठे से बाहर फेंक दिया। मै किसी तरह से अपने रिश्तेदार रमेश के घर गया उनसे आप बीती सारी बात बताई। और उन्होने मुझे कुछ रूपये देते हुए पूरी मदद करने को कहा।
मै वहाँ से अपने घर पर आया। उस वक्त यह घटना अपने परिवार वालो को नहीं बताया। अगले दिन मै अपने रिश्तेदार के साथ श्रीमान् जिलाधिकारी महोदय, अम्बेडकरनगर के यहा गया तो उन्होने एस0ओ सम्मनपुर से जाच करने का निर्देश दिया। उसके बाद मै जब थाने पहुचा तो देखा कि पहले से ही भट्ठा मालिक वहा पर मौजूद थे और उन्होने देखते ही कहा कि यही आदमी है साहब। इस पर दरोगा साहब ने मुझे भद्दी-भद्दी गाली देते हुए कहा कि तुम फर्जी तरीके से मजदूरी मांग रहे हो तुम्हारा कोई बकाया नहीं है। ज्यादा नेतागीरी करोगे तो किसी फर्जी मामले में जेल भेज दूगा। मै किसी तरह से घर आया और रात भर करवटे बदलता रहा और मै यही सोंच रहा था कि ऊपर वाला मेरा कोई परीक्षा ले रहा है। हम चाहते कि भट्ठा मालिक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो और हमे न्याय मिले।
            मैं अपनी कहानी बताकर हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।
साक्षात्कारकर्ता – मनोज कुमार सिंह       
संघर्षरत पीड़ित - दुधई कन्नौजिया        

                              

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