Wednesday 3 June 2015

मेरी बर्बादी का दिन मुझे पता होता तो मै जीवन भर कुवारी ही रहती।

      हर लड़कियों की तरह मेरे भी सपने थे। मेरी शादी होगी और एक हमसफर होगा। जो मेरे दुःख दर्द को समझेगा और बाटेगा लेकिन मुझे क्या पता था मेरे सपने सिर्फ सपनों में ही सीमट कर रह जायेगे। और उसके बदले मिलेगी बदकिस्मती। मेरी बर्बादी का दिन अगर मुझे पता होता की आयेगा तो मै जिन्दगी भर कुँवारी ही रहती।
मेरा नाम श्वेता कुमारी उम्र 19 वर्ष है। मेरे पिता का नाम स्व0 रामजनम राम और माता का नाम आशा देवी है। मेरी तीन बहन और एक भाई है। बहनों में मैं सबसे छोटी हूँ। मै निवासिनी एस 23/81-पी-25 ढेलवरिया, चौकाघाट पानी टंकी थाना-जैतपुरा वाराणसी की हूँ। मै हाई स्कूल का फार्म भरी थी, लेकिन परीक्षा नही दे पायी। जिसके लिये मैने अपना परिवार और इज्जत दाव पर लगाकर उसके पास गयी, आज वो मुझे इस कगार पर लाकर खड़ा कर दिया।
मेरे पति का नाम प्रीतम पाण्डे उम्र 22 वर्ष ससुर का नाम उमानन्द पाण्डे, सास का नाम, मीरा देवी ननद किर्ती पाण्डे, देवर का नाम किशन पाण्डे निवासिनी प्लाट न0 33 चौकाघाट ढेलवरिया, थाना जैतपुरा जिला वाराणसी के है।
मुझे नही पता था कि मेरा पति प्रीतम पाण्डे मेरे साथ विश्वासघात करेगा। मैने अपने जिन्दगी के बहुत सारे सुख के सपने देखे थे, लेकिन सारे सपने अधुरे रह गये। मेरा पति प्रीतम पाण्डे मेरा पड़ोसी है। हम लोगों को मोबाइल से बात करते-करते प्यार हो गया और हम दोनों लोग बिना घर के इजाजत से 7 महीना पहले मारकण्डे मन्दिर से शादी किये। और शादी कर के मेरे पति अपने घर में ले गये, लेकिन मेरे ससुराल में सास-ससुर दरवाजे के अन्दर घुसने नही दे रहे थे। हम इसको नही रखेगे तब मोहल्ले वाले मेरी सास-ससुर को समझाये कि छोड़ा जायदा जउन भल तउन भल तोहार लड़का भी त गलती कइले ह।
मुहल्ले वाले का बात सुनकर मेरी सास अन्दर आने दी। लेकिन अन्दर आने के बाद हम भुखे पेट सो गये, मेरे पति अपने हाँथ से निकालकर खाना खाये लेकिन हमसे नहीं मांगे और कहने लगे की हम तुम्मारा सकल भी नहीं देखना है। सुबह होते ही मेरी ननद प्रिती पाण्डे और उसका छोटा देवर धड़धड़ाकर घर में घुस गयी, और हमको मारने लगी, मैं हड़बड़ाकर उठ गयी कि कौन मुझे मारने लगा, मै रोने लगी लेकिन मेरे पति अपने बहन को कुछ नही बोले चुपचाप खड़े होकर देख रहे थे। मै रोते-रोते खाना बनाने लगी, मै खाना बनाकर सबको खिलाई लेकिन जब मै खाने चली तो मेरी ननद आगे से थाली छिन ली, मै भुखे पेट रह गयी शाम होते ही मेरे ननद अपने ससुराल चली गयी। मेरी सास कहती थी की यह दूसरी जाती की है इसको हम नौकरानी बनाकर रखेगे।
सुबह सोकर उठने में देर हो जाता था तो सब लोग हमको गाली देने लगता था। सुबह-सुबह इतनी गन्दी-गन्दी गाली देते थे कि सुना नही जाता था। मेरी सास हमको पहनने के लिये फटा साड़ी और ब्लाउज दी थी। हम उसको सिलकर पहनते थे। करते भी तो क्या करते अपने माता-पिता के घर भी नहीं जा सकते थे, क्योंकि अपने माता पिता से बिना बताये हम घर से निकल गये थे। यही सब सोचते-सोचते दिन कट जाता है। बीस दिन हुआ था ससुराल में रहे इक्कीसवे दिन मेरी सास हमको मेरे पति को घर से निकाल दिये। उस समय ऐसा लग रहा था न घर के हुये न घाट के किसी तरह मेरे पति किराया का कमरा नाटी इमली में खोजे उसी जगह किराये पर रहने लगे, मेरे पति के पास पैसा नही था, मेरे पास मोबाइल था, उसको बेचकर घर का राशन मगाये हम सोचे की अभी परेशान है, जब सब ठीक हो जायेगा तब काम करेगे तब अपना गृहस्थी खुद सभालेगे। लेकिन जैसा मै सोची थी बिल्कुल उल्टा हो गया मेरा पति अपने घर जाकर खाँ लेता था और मैं भुखे पेट सो जाती थी, घर में खाने के लिये कुछ नही रहता था, लेकिन मेरे पति को कोई फर्क नही पड़ता था की मेरी पत्नी खाना खायी है या नही धीरे-धीरे मेरा तबियत भी खराब होने लगा, पड़ोस के लोग मुझे डाक्टर को दिखाने ले गये तो पता चला कि मैं गर्भवती हूँ। डाक्टर की बात सुनकर मुझे बहुत चिन्ता हो गयी मै सोचने लगी की मेरा पति मुझे खिला ही नही पा रहा है तो बच्चा को कहा परवरिश करेगा, जब अपने पति से बतायी कि मुझे बच्चा है तो मेरा पति सुनकर मारने लगा बोला तुम जहाँ से आयी हो वह जाओ मै तुम्हारे साथ नही रह सकता, जब से तुमसे शादी किया हूँ। मेरी जिन्दगी बर्बाद हो गयी।
अपने माता-पिता के मर्जी से शादी किया होता तो न जाने कितना दहेज मिलता, तुम पता नी कहाँ से मेरे जाल में फँस गयी मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे छोड़ कर चली जाओ कम से कम मुझे छुटकारा मिल जायेगा तुमसे अगर मुझे छोड़ कर नही जाओगी तो इसी तरह भुखे पेट मरोगी। मैं दिन रात भुखे पेट रोते-रोते मुझे चक्कर आने लगता मै चाहती हूँ कि मेरा पति जिस तरह मुससे शादी किया है, उसी तरह निभाये क्योंकि मैने अपने माता-पिता के खिलाफ शादी किया है, पता नहीं वे लोग हमे इस हाल में मुझे अपनायेगे की नही आप से बात तो जरूर कर रही हूँ’ लेकिन मेरा पैर हाँथ काँप रहा है। मै क्या करू कुछ समझ में नही आ रहा है। अपने पति के पास जाने में डर लग रहा है कहीं मुझे जान से न मार डाले रात दिन चिन्ता लगी रहती है, डर के मारे नींद नही आती है। मैं डर-डर के अपने मैके गयी लेकिन वह लोग हमको अपना लिए| हम चाहती हूँ की मेरे पति व ससुराल वालो को सज़ा मिले और हमे न्याय मिले|
आपसे अपनी कहानी बता जरूर रही हूँ लेकिन मन शान्त नही है।
                                                                      
साक्षात्कारकर्ता- छाया कुमारी  
संघर्षरत पीडिता- स्वेता कुमारी



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