मेरा नाम बसन्ती देवी पत्नी बालेश्वर दास ग्राम-खेसनरो, पोस्ट-पिहरा कहुआर, थाना-गाँव, जिला-गिरिडिह की मूल निवासी हूँ। वर्तमान में ग्राम-गरहा, पोस्ट-मसनोडीह, थाना-डोमचाच, जिला-कोडरमा में रह रही हूँ।
मेरी
घटना यह है कि मेरी शादी मेरे पति बालेश्चर दास से हुई तो मेरे पति और मेरे ससुराल
ने मेरे माईके वालो से कहा की मेरा पत्नी मर गई मुझे एक लडकी है। तो मेरा माईक
वाले सोचे की चलो एक लड़की है। तो क्या होगा शादी कर के अपने ससुराल चली जाएगी और
जब मेरे माईके वाले लड़का देखने गए तो घर में जीस लडकी के बारे में वो बताए थे वो
ही लड़की थी और कोई बच्चा नहीं था यह सब देखकर मेरी शादी मेरे माईके वाले वाले वही
कर दिये और जब मेरी शादी हुई हम अपने ससुराल गए तो वहा सबकुछ देखकर दंग रह गए हम
देखे की वहा पर तीन बच्चा था दो लड़का और एक लड़की हम जब अपने पति से पूछे तो वो
बोले की यह तीनो बच्चा मेरा है तो हम बोले कि आप तो बोले थे कि मुझे एक लड़की है।
तो मेरा पति बोले कि हम झूठ बोले थे क्यो कि अगर हम झूठ नहीं बोलते तो मेरी शादी
तुमसे नहीं होती हम यह सब कुछ देखकर और अपने पति का बात सुनकर बहुत रोए और खाना भी
नहीं खाए।
फिर हम सोचे कि मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था यह सोच कर हम अपने पति
व उन तीनो बच्चो का अपने बच्चो की तरह ख्याल रखने लगे इसी तरह समय बीतता गया, और मुझे भी तीन लड़की और दो लड़का हुआ हम अपना पूरा परिवार को अच्छी
तरह सम्भाले मेरे दोनो सौतले बेटे बडे हो गए और बेटी भी हम उन तीनो का शादी करके
घर वसा दिये मेरी भी दो लड़की का शादी हम कर दिये। इसी तरह हम अपने
जीवन का 20 वर्ष अपने घर परिवार व गृहस्थी को
सम्भालने में लगा दिये मेरा दोनो सौतेले बेटो का घर संजय और सुनील का घर बस गया।
तो मेरे पति हमको मारने-पिटने लगे व गन्दी-गन्दी गाली देते और तरह-तरह के तने देने
लगे जब हम अपनी दूसरी बेटी निर्मला का विवाह तय किये तो अपने बेटो व पति को शादी
का खर्चा मागे तो मेरे पति हमको शराब पीकर मारने-पीटने लगे और कहे कि मेरे पास
पैसा नहीं है।
हम नहीं देगे तो हम यह सब सुनकर बहुत हम रोए क्यो कि उस घर में हम जब
से गए थे। खुद कमाकर अपना व अपने बच्चों का पालन-पोषण किये, मेरे पति बोले की तुम मेरा घर छोड़कर चली जाओ हम जब यह सुने तो मेरे
होश उड गए कि जब घर सम्भालना था तब कुछ नहीं बोले और जब सबकुछ ठीक हो गया तो मुझे
घर से बेदखल कर रहे है। हम अपने पति से तंग आकर अपने दोनो सौतेल बेटो के पास गए
जिन्हे मेरे अपने सीने से लगाकर पाला था। सोचे शादय वो कुछ कहेगे हम उनको सारी बात
बता दियें लेकिन वो दोनो कुछ नहीं बोले क्या की यह सब करामत उन्हीं लोग का था| मै
तंग आकर हम अपने माईके चहले आए और कुछ दिन रह कर हम अपने ससुराल आए और अपने पति से
बोले की जमीन व सम्पत्ती बाट लिजिए तो बहुत कहने पर मेरे पति तैयार हुए फिर पंचायत
का आदमी आयां और पंचायत बैठाकर सम्पत्ती को चार भाग में बाटा गया दो भाग सौतेले
बेटो के नाम से दो भाग मेरा बेटो के नाम से और फिर मै अपने पति को मिली कालोनी में
रहने लगे लेकिन मेरे पति हमको चैन से नही रहने देते। कभी शराब पी कर आते घर पेशाब
कर देते घर में बना खाना बाहर ले जाकर फेक देते घर का सारा बर्तन चपटा कर देते अगर
हम कह बोलते तो मुझे गाली देते मारते हम सब कुछ सह कर भी वही रहे लेकिन एक दिन
मेरे पति हमको बहुत मारे और बोले तुम यह से चली जाओं नहीं जो हम तुम्हें जान से
मार देगे हम वह बात सुनकर बहुत डर गए और सोचे की आखिर मैने किसी का क्या बिगाडा है
जो मुझे ऐसा सजा मिल रही है। हम तंग आ कर अपने माईके डोमचाच गरहा आ गए हम वहा से इस
लिए चले आए कि मेरा तीन छोटे-छोटे बच्चों है अगर हमको कुछ हो गया तो उनका क्या
होगा उनको कौन पालेगा यही सोच कर हम वहा से अपने तीनो बच्चों को लेकर चले आए। हम
यह कुछ दिन रह कर हम फिर हिम्मत कर के ससुराल गये ।हम वहा जब गये तो देखे की मेरे
पति घर का सारा सामान बेच दिये घर में कुछ नहीं था। हमको उस दिन बहुत रोना औ रहा
था मेरा दिमाक नही काम कर रहा था। कि अब हम क्या करे कैसे रहेगे क्यों घर में जो
भी कुछ था हम बहुत मेहनत मजदूरी कर के लाये थें। फिर भी हम कुछ नहीं ओले और वहा ये
चुपचाप चले आए हम अभी एक साल से माईके में है। मेरे पति अभी तक हमको लेने नहीं आये
और लगातार फोन करके धमकी देते थे और फोन पर गन्दी-गन्दी गाली देते है।
उनकी गाली
सुनकर और उनकी धमकी सुनकर नातो हमको भूख लगा और नाही प्यास। रात को नींद भी नहीं
आता बहुत बेचैनी सा लगता है। रात-दिन अब यही चिन्ता सताती है। कि अब क्या होगा
मेरा सौतेले बेटा भी हमको फोन करके कहता है एक लाख अस्सी हजार दो नही तो हमको जहा
पर रह रही हो वही आकर जान से मार देगे यह सब सुनकर मेरा दिल तड़प जाता है कि जिसको
कभी भी सौतेला बेटा नहीं समझा हमेशा अपना बेटा समझकर पाला उनका घर वसाया वही बेटा
हमको जान से मारने की धमकी देता है हम अब क्या करे हमको कुछ समझ में नहीं आता आप
सबको अपनी बात बता कर बहुत हल्का महसूस कर रही हूँ हम चाहते है मुझे न्याय मिले और
मेरा घर फिर से बस जाये।
साक्षात्कारकर्ता-ओंकार
संघर्षरत
पीड़िता -बसन्ती देवी
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