Wednesday 29 April 2015

’’दरिन्दों ने पिता की निर्मल हत्या कर मासूम बच्चियों के उपर से साया छीना’’

आज भी हमारे दे मे समुदाय के दबंग व्यक्ति भी  अपने लोगो के उपर जूर्म व अत्याचार कर रहे है।यहा तक कि आदमी ही आदमी को अपना शिकार बना रहा है। आइये ऐसे ही एक पीड़िता महिला की कहानी उसी की जुवानी से सुने।
मेरा नाम मुन्नी देवी उम्र 50 वर्ष है मै जाति की मुसहर हूँ। मेरे पति का नाम नन्द लाल मुसहर है। मै निवासी ग्राम-नेवादा, थाना-लंका, जिला-वाराणसी की हूँ। मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मेरे घर का पूरा परिवार दिन भर पेड़ से पत्ता तोड़ते है। तब जाकर शाम को चुल्ला जलता है, दोना पत्तल बनाकर दुकान पर बेचते है, मेरे पास दो बेटा और 5 बेटी है। बेटे का नाम राजकुमार, पिन्टू-बेटी का नाम- शकुन्तला, फूलगेना, शीला, रिक्का, गीता है।
                घटना दिनांक 28 अप्रैल, 2014 को समय (रात्रि) 10:00 बजे का है। उस दिन सुबह के समय मेहमान आने वाले थे। मै सोची की दरवाजे पर से जानवरों (सुअर) हटाकर दुसरे जगह पर बाध दे। मेहमान आयेगे तो साफ सुथरा रहेगा तो अच्छा लगेगा, लेकिन मुझे क्या पता की जानवर बाधने के चक्कर मे मुझे अपने पति से हाथ धोना पड़ेगा नही तो मै जानवर बाधती ही नही जैसे ही दरवोज से जानवर बाधकर हटी इसके तुरन्त बाद छेदी, सिरबन्सु, नन्हे, संजय आकर बोले कि हम सुअर यहा पर बाधने नहीं देगे। हम बोले कि भैया घर में बेटी की शादी पड़ी है। मेहमान आयेगे तो अच्छा नहीं लगेगा लेकिन लोग माने नहीं हमको गन्दी-गन्दी गाली देने लगे और हमको ढकेलने लगे तब वे लोग विनित सिहं प्रधान को बुलाकर लाये प्रधान भी बोले कि सब को जाने से मार दो इतना सुनते ही मै जानवर को हटा ली| मैं सोची की कौन इस झगडे में पड़ने जायेगा। घर में बेटी की शादी पड़ी है। यह सब सोचकर मैं चुप होकर घर में चली गयी। दिन भर बीत गया रात में मैं मेरा पुरा परिवार खाना खाकर सोने जा रहा था। उस समय लगभग 10:00 बज रहा था। दरवाजे क तरफ नजर पड़ा तो देखे की मेरे दरवाजे के तरफ रमेश पुत्र बसन्ता, अजय पुत्र मुन्ना, नन्हें पुत्र मुन्ना, विनित सिंह सभासद छेटी, कैलाश, बली व संजय दिम्मक पुत्र गुलेल सभी लोग एक गुट एक राय बनाकर किसी के हाथ में हाकी किसी के हाथ में छुरा सबके हाथ मे कुछ न कुछ औजार था। घर में घुस कर वे लोग हमको भद्दी-भद्दी गाली देते हुये मारने लगे मेरा पूरा परिवार रोने चिल्लाने लगा मेरे पति को लाठी, डण्डे व राड से मारने लगे जब मारते हुये बुरी हालत में कर दिये तब गले में छुरा भोक दियें। मेरे पति चिल्लाते हुये दम तोड़ दियें काई बीच बचाव भी नही किया सारे लोग तमाशा देख रहे थे। मेरे बहु उर्मिला को भी कुछ लोग पकड कर मार रहे थे, और लोग हमको पकड़े थे, कुछ लोग पकड़कर इतना मारे की नाक मुँह से खून निकलने लगा और मेरी बेटी का बेइज्जती करके उसका शूट फाड दिय। 
               मेरी बेटी के बचाने के लिये लोगो से गुहार लगायी लेकिन किसी ने बोलने की साहस नहीं किया, मेरे पूरे परिवार को कई भागो में बाटकर इतना मारे की मेरे पति का जान ही ले लिये। हत्यारों को जरा सा रहम नहीं आया की उसके घर में शादी पड़ी है, मै जितना भी सामान बेटी केा दहेज में देने के लिये खरीदी थी सब मेरा लुटकर चल गये। गाँव के छट्टू पुत्र स्व0 कल्लू, पतालू पुत्र स्व0 दुबई, राजकुमार पुत्र स्व0 नेता, राजेश पुत्र बाढू वगैरह तत्काल 100 नम्बर पर फोन किये तो पुलिस पहुँची तब तक सभी लोग मेरे पति के गले में चाकू भोक कर भाग निकले मौके पर पुलिस वाले पहुँचकर मेरे पति की लाश को पोस्ट मार्टन करने क लिये भेज दिये। करीब 12:00 बजे के लगभग बंशु पुत्र बसंता, मनीष पुत्र मुन्ना, कैलाश पुत्र लाचंद, संजय पुत्र मुन्ना, छेदी पुत्र फागू को गिरफ्तार कर मु0 सं0 166/2014 धारा 147,304,323 आई0पी0सी0 मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की गयी। लेकिन तीन लोग भाग निकले थे। लेकिन पुलिस प्रशासन तीनो लोगों को कभी छान बिन करने नहीं आयी। टिम्मक पुत्र गुलेल, नन्ने पुत्र मुन्ना रमेश से तीना लोगों ने पुलिस वालों को पैसा देकर आराम से अपने घर में हैं। शाम को सब टिम्मक पुत्र गुलेल, नन्ने पुत्र मुन्ना, रमेश काम करके सब आते जाते है तो हमको भद्दी-भद्दी गाली देकर धमकी देते है और बोलते हैं कि तुम्हारे घर में सबको मार डालेगे तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती अगर तुम लोग कुछ करना भी चाहोगीं तों पुलिस वाले कुछ नहीं करेगे।
एक तरफ पति के मरने का गम एक तरफ लोगों का धमकी अन्दर ही अन्दर खौफ सा बन गया है तथा बेटी की शादी भी नही हो पायी, उसकी चिन्ता बनी है अब क्या होगा हम बच्चों की परवरीश कैसे करेगें। रात को नींद नहीं आती हैं बेचैनी बनी रहती है। मन में चिन्ता बना रहता है। रात-दिन रोती रहती हूँ कुछ खाने पीने में भी अच्छा नहीं लगता बेटी की भी चिन्ता बनी है की कौन शादी करेगा मेरा सब कुछ लूट गया अब मुझे तभी चैन आयेगा जब मेरे पति के हत्यारों केा सजा मिलेगा।
आप को अपनी बात बताते हुए अच्छा लग रहा है कि भला मेरे दुःख को कोई बाट रहा है।


साक्षात्कारकर्ता- छाया कुमारी                                      
संघर्षरत पीडिता- मुन्नी मुसहर



                                                              

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