Tuesday 21 April 2015

दबंग द्वारा गरीब अनुसूचित जाति के लोगो को प्रताड़ित किये जाना !

मेरा नाम राजकुमार पुत्र स्व0 रमाकान्त उम्र 29 वर्ष ग्राम-तियरा (मानपुर) पोस्ट-विच्छी थाना-राबर्ट्सगंज, जिला-सोनभद्र का निवासी हॅू। मै गरीब अनुसूचित जाति (चमार) का हूँ। मै अपने परिवार का पालन पोषण मजदूरी करके करता हूँ। मेरे 2 लड़के तथा 2 लडकियाँ है।
घटना जुलाई 2012 की है। जब मैं अपनी जमीन जोतने से मना करने गया तो रमाशंकर रमेश यादव, मुनीब यादव, अर्जून यादव, पुत्र स्व0 मंगरू यादव जो कि मेरे गाँव व घर के बगल के ही है। उल्टा मुझे तथा मेरी माँ-बहन को भद्दी-भद्दी गालिया देने लगे तथा लाठी व कुल्हाड़ी लेकर आ गये। और गाली देते हुए कहने लगे कि तुम जब छोटे थे तब हम लोगो ने क्या किया था तुमको मालूम नहीं हैं। तुम्हारे बाप को और तुम्हारे दादा बैजू को ऐसी मार मारे कि हाथ टुकडे-टुकडे हो गये। हम लोगो पर एसी/एसटी कानून कुछ नहीं हुआ जेल जाना तो आसान है तुम्हारा धारा कानून कुछ नही करेगा। हम लोगो के मार से तुम्हारे दादा बाप दोनो मर गये। जिसे हम लोग मारते है। वह ज्यादा दिन तक नही रह सकता। अब तुम इस जमीन को हक जमाने आये हो तो तुम्हारा भी वही हश्र होगा जो तम्हारे बाप दादा का हुआ था।
       इस जमीन का चक्कर छोड़ दो हम लोग इसे लूट लिए तो लूट लिए। मरना है तो फिर वोलो तम्हारा बाप भी था कि बडे से बडे अधिकारी और थाना कोतवाली सभी को प्रार्थना पत्र देते-देते मर गया कुछ नही कर सका। अब तो तुम्हारा भी इलाज हम लोग कर देगे। मै जब छोटा था तब अपने बाप और दादा के साथ हुई घटना को देखा था फिर मेरे दिमाग पर वह दिन याद आया और मै डर के मारे कापने लगा। फिर मेरी जमीन सरहंगो गुण्डो ने जान से मारने की धमकी देते हुए मेरी जमीन जोतने लगे। मैने पूर्व में जिलाधिकारी महोदय को भी प्रार्थना पत्र दिया था जाँच में लेखपाल आये। और मुझे अपने क्वाटर पर बुलाए और बोले कि यहाँ सभी मुख्य पदो पर यादव विरादरी के अधिकारी है। पुलिस यादव की बात ही करेगी।  और सपा का शासन है। मैं कुछ करने में असमर्थ हूँ। क्योकि मैं इसका इल्जाम बहुत भोग चुका हूँ । अब नहीं भोगना चाहता हूँ । मेरे साथ मेरी विधवा माँ व नावालिक एक भाई व बहन है। दबंग बहुत प्रभावशाली वाले हैं। हम दलित गरीब की सुनवाई कही होती नहीं है आये दिन दबंग गाली गुप्ता देते रहते है। तथा जमीन को जोता बोया करते रहते हैं।
      मेरे जमीन का नम्बर 128 ख रकबा 4 विश्आ है। जिसे मेरे पिता रमाकान्त ने रामधारी यादव से अपने गुजर बसर के लिए खरीदा था जब तक रामधारी जीवित था तब तक तो मंगरू व उनके लड़के ने कोई परेशानी नहीं किया। फिर जब रामधारी मर गये तो मंगरू व उनके लड़के लाठी-डन्डे व गुण्डई से जमीन कब्जा कर हम लोगो को जाति सूचक शब्दो का प्रयोग करते है। और कहते है कि  तुम्हारी कही सुनवाई नहीं होगी। इतना ही नहीं कब्जा भी किये तथा उल्टा उपरोक्त आराजी पर काटवंदी का मुकदमा न्यायालय तहसीलदार मजिस्टेªट चल रहा है। जब कि वर्तमान में मुकदमा की तारिख देखते है और गुहार लगाते रहे मगर कोई सुनवाई नही हुई। बाद में मेरे पिता की मृत्यु हो गयी व दबंग मंगरू यादव भी मृत्यु हो चुके है। पुनः मुकदमा राजकुमार व अवधेश कुमार (नावालिक) स्व0 सुमित्रा देवी के नाम से माननीय उपजिलाधिकारी के यहाँ चल रहा है। जब कि मैं मुकदमा लड़ने में असमर्थ हूँ मै यही सोचता हूँ कि भगवान हम गरीबो दलितो का जन्म इस संसार में क्यो दिया। जब यह दुनिया गुण्डो व दबंगो के लिए है। जब न्यायालय और अधिकारी गुण्डो व दबंगो के प्रभाव के आगे नरवस है। मुझे तो लगता है। कि मेरी जमीन अब वापस मुझे नहीं मिल पायेगी। क्योकि मेरे पिता व दादा जैसे मुझे भी हाथ पैर तुडवाना पडेगा और मृत्यु का भोग भोगना पडे़गा ऐसा लगता है। कानून भी दबंगो के लिए है। गरीबो दलितो के लिए तो केवल दिखावा हैं
अपनी कहानी बताने में मुझे बहुत पीड़ा महसूस हो रहा है फिर भी कहानी बता कर कुछ हल्कापन समसूस कर रहा हूँ और हम चाहते है कि हमें न्याय मिले और दबंग लोगो को सजा।
  साक्षात्कारकर्ता                                    संघर्षरत पीड़ित
 श्याम जी$पिन्टू गुप्ता)                              (राजकुमार)                                                                                                          




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