Monday, 20 April 2015

हिन्दुस्तान में हम मुस्लिम को क्यों जीने का अधिकार नही क्यों जूर्म कर रहे है। पुलिस प्रशासन वन विभाग दबंग और स्वस्थ्य विभाग!

मेंरा नाम अब्दुल रहीस खान उम्र-32 पुत्र-सजब खान जाति मुस्लिम हूँ। ग्रामवपोस्ट-चुर्क,चैकी-चुर्क,कोतवाली- राबर्ट्सगंज ,तहसील-राबर्ट्सगंज-जिला-सोनभद्र का निवासी हूँ। मेरे पास कोई लड़का लड़की नही हमारे बस्ती में 30-35 घर है। जिसकी आबादी लगभग सौ से ढेड सौ है। हम गरीब लोग मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार भरण-पोषण करते है।
घटना दिनांक 5 फरवरी, 2014 की रात समय लगभग 08:00 बजे अचानक हमारे घर 5-6 गाड़ी फोर्स आयी जिसमें वन रेंजर जगदीश कुमार वन दरोगा संजय दुबे बबुआ यादव पुलिस विभाग दरोगा विनोद यादव पुलिस चैकी की अन्य पुलिस हमारे बस्ती में आये। हमारे समुदाय के बच्चें महिलाओं और पुरुषों को बड़ी बेरहमी से डंडा, थप्पड़, लातो से शरीर के सभी अंगो पर मरने लगे। जिससे चारों तरफ हाहाकार मच गया, चारों तरफ बचाओं-बचाओं की चीख पुकार निकल रही थी। चारों तरफ खून ही खून बह रहा था। जिधर देखो रोने चिल्लाने की आवाज आ रही थी। हम लोगों ने वहाँ पर अधिकारियों से पुछ रहे थे कि साहब हम लोग गरीब को अनानास किस जूर्म के लिए मारा जा रहा है। हम लोग यहाँ पर करीब 30-35 वर्षों से यही पर रह रहे है। इस तरह की घटना पहले कभी नही हुई उसी समय बस्ती के दबंग ओम प्रकाश यादव व इन्द्र बहादुर सिंह अपने आदमियों के साथ आये और बोले की मारों सालों मुसलमानों को उनके आदमियों ने प्रशासन के साथ मिलकर मारना शुरु कर दिये साथ ही साथ हम लोगों का कच्चा मकान तोड़ना शुरु कर दिये। जब हमारी बच्चियाँ और बस्ती के औरतो ने इसका विरोध किया तो उन लोगों खुलेआम जल्लादो की तरह महिलाओं और बच्चियों के साथ जोर जबरजस्ती करने लगे। हमलोग बच्चियाँ और महिलाओं को बचाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन विरोधियों की संख्या के आगे हम लोगों कुछ नही कर पाये। महिलाओं और बच्चियाँ रो-रोकर अधिकारियों और अल्हा ताला से मदद की गुहार लगा रही थी, लेकिन उन लोगों का पीड़ा सुनने वाला कोई नही था। जब विरोधी ने हम लोगों का मकान साथ हो टिनसिट तोड़ना शुरु किये तो लग रहा था की हम लोगों का पुरी-पुरी दुनियां ही उजड़ गयी है। हमारे घर का पुरा सामान अनाज बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी कपड़ा तथा नगद 5000/- रुपये सब उठा ले गये। उस समय विरोधियों की लगभग 70-80 की संख्या में थे जो फर्शा, कुल्हाडी, गैता, सब्बल से लोग मेरा घर तोड़ रहे थे।
दबंग ओम प्रकाश यादव, इन्द्र बहादुर सिंह के आदमी एक टैक्टर में लाठी-डण्डे से मौजूद थे। जिनके आगे हम लोगों के मुह से आवाज नही निकल रहा था वो लोग हम लोगों के बच्चियाँ के साथ जबरदस्ती छेडछाड़ करने लगे। उस समय हम लोगों को ऐसा महसुस हो रहा था कि अल्ला हमलोगों को किस गलती की सजा दे रहा है। वहाँ पर किसी को हम लोगों पर दया नही आ रही थी। हम लोगों के आँखों से आँसु ऐसे बह रहा था कि रुकने का नाम नही ले रहा था। हम लोगों का जो सामान लुटे थे वे सब बस्ती के अन्य बिरादरी (हिन्दु धर्म) के लोगों में बाँट दिये।
दिनांक 26 फरवरी, 2014 समय लगभग 10:00 बजे सुबह पर मैं अपनी बच्चियाँ और अन्य पीड़ित/पीड़िता के साथ जिला अस्पताल लोढी सोनभद्र में अपने इलाज और मेड़िकल बनवाने गये। वहाँ पर न तो मेरा इलाज हुआ और न ही परिवार के लोगों का हास्पितल पर पहले से पुलिस वाले मौजुद थे। फिर हम लोग पुलिस अधीक्षक कार्यालय गये और वहाँ पर घटना का प्रार्थना पत्र भी दिये परन्तु कोई कार्यवाही नही हुई।
      दिनांक 23 जुलाई, 2014 को पुनः समय लगभग 10:00 बजे सुबह 8 गाड़ी पुलिस वाले आये। जिसमें वन विभाग के वन रेन्जर जगदीश कुमार, वन दरोगा संजय दुबे, विनोद यादव व गाँव के दबंग ओम प्रकाश यादव, इन्द्र बहादुर सिंह अपने साथ टैक्टर और आदमी लेकर आये जो हम लोगों को बहुत ही बेरहमी से जानवरों की तरह मार रहे थे। उन लोगों ने औरतों और बच्चियों को भी नही छोड़ा। चारों तरफ बचाओं-बचाओं की चीख पुकार निकल रही थी। हम लोग दर्द से कराह रहे थे। परन्तु हम लोगों का कोई पीड़ा सुनने वाला नही था। हम लोगों के घर में रखा समान को दबंगो ने तोड़ डाला और हम लोगों के बच्चियाँ और महिलाओं के साथ जोर जबरदस्ती भी किये। हमारे घर का सामान अनाज बकरा-2, बकरी-3, मुर्गी-मुर्गा-15, कपडा, 5000 रुपये सब उठा ले गये। हम लोग खुन से लगभग जिला अस्पताल लोढी में अपना और बच्चियाँ को इलाज कराने तथा मेेड़िकल बनवाने गये तो डॉक्टर बोले की मेड़िकल का 500 रुपये दोगे तो मेड़िकल बनाये नही तो मेड़िकल नही बनायेगें। हम लोग डॉक्टर के सामने बहुत गिड़ गिड़ाये की साहब वन विभाग के पुलिस प्रशासन दबंग लोगों ने हम लोगों को मारा-पिटा सब रुपया पैसा सब उठा ले गये। हम लोग पैसा कहाँ से लायेगें। परन्तु डॉक्टर ने हम लोगों का एक नही सुना और बिना पैसे के मेडिकल नही बनाये। हम लोग अपना रिपोर्ट लिखवाने सीधे पुलिस अधीक्षक कार्यालय चुर्क गये। वहाँ पर पहले से चैकी इन्चार्ज हम लोगों को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी जाति सूचक गाली देकर भगा दिये और केाई सुनवायी नही हुयी। अब हम लोगों को हमेशा डर बना रहता कि हमारे समुदाय के लोगों का क्या होगा। जब हमलोगों के आँखो के सामने औरतो और बच्चियाँ को मारा-पिटा जाता है और जबरदस्ती किया जा रहा है तो न रहने पर बलात्कार, हत्या व जाने से व मार दे। इसी बात की चिन्ता के मारे हम लोग कही काम पर भी नही जा रहे है। मैं समझता हूँ कि आज के समाज में जब अधिकारी बीक चुके है। क्यों की प्रशासन, कानून तथा डाॅक्टर का कर्तव्य होता है लोगों का मदद करना लेकिन वो लोग उल्टा रक्षक न बनकर भच्छक बन गये। अगर यही रवैया रहा तो गरीब जनता का क्या हाल होगा लोगों का जीना दुश्वार हो जायेगा। आज हम लोगों के पास पैसा, रुपया आनाज तथा कमाने का सब साधन उठा ले गये। आज हम लोगों पर भुखमरी के कगार पर है। उन दबंगों व विरोधियों से हमेशा डर बना रहता है। जब-जब समुदाय में ऐसी घटना घटी तब-तब हम लोग भिख मांगने के कगार पर आ गये। आज हमारी कौन अल्ला-ताला से फरियाद करते है कि अब इस तरह का सजा दुश्मनों के साथ सपनों में भी न हो। 
     हमें अपनी बात बताकर कुछ हल्का पन महसुस हो रहा है कि अब हम लोगों को इन्साफ मिलेगा। मैं आप लोगों का जीवन भर अभारी रहुगां।


 साक्षात्कारकर्ता -पिन्टू गुप्ता  व महेश गुप्ता           
 संघर्षरत पीड़ित- अब्दुल रहीस खान                                          

                                






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