Tuesday, 21 April 2015

अपनी किस्मत पर रोऊँ या बेटी के !

       किसी माँ की बेटिय दहेज की बली चढ़ने के लिए पर गुजरती रहेगी उन्हे दहेज के नाम पर ससुरल मे कब तक सताई व मारी जाइ गी ऐसी ही कहानी एक गरीब माँ की जुबानी !
मेरा नाम सोम्मर है मेरी उम्र 50 वर्ष है मेरे पति प्रकाश है, मै ग्राम-बहेरा, थाना-करमा, ब्लाक-करमा जिला-सोनभद्र की रहने वाली हूँ। मेरी दो लडकियाँ व एक लडका है सभी विवाहित है। हम लोग बनी मजदुरी कर अपना जीवन गुजार एक लडके व लडकी की शादी की इसके बाद कोई चिन्ता नही थी, लेकिन बेटी मालती की शादी के बाद ससुराल वालो द्वारा पैसा माँगना तथा बेटी के ऊपर अत्याचार किये जाने के कारण मन बहुत दुःखी रहता है।
        21 जून, 2012 को कन्हैया पुत्र इन्द्रबहादुर ग्राम-करकीमैना, थाना-करमा, जिला-सोनभद्र में शादी किया। उस समय लगा कि अब सब जिम्मेदारी से मुक्ति मिल गयी। बड़ी बेटी और दामाद ने अच्छा घर-बार देखकर यह रिस्ता बताया था। लेकिन धीरे-धीरे यह सब भ्रम खत्म होता दिख रहा था। एक दिन मेरी बेटी का फोन आया, मेरी बेटी ने रो-रोकर अपने साथ हुये अत्याचार के बारे में बताया। यह सुनकर मैं घबरा गयी और कुछ पैसों का इन्तजाम कर उसे लेने चली गयी। बेटी की मा होने के कारण उसके ससुराल में कुछ नहीं बोला और बेटी को लेकर वापस अपने घर आ गयी। उसकी हालत देखकर मै बहुत दुःखी हो गयी उससे चला नहीं जा रहा था और वह रोने लगी। वह भी मुझे देखकर रो रही थी। घर पर जो कुछ घरेलु हल्दी-प्याज था उसको लगाकर बांध दी फिर कुछ पैसे का इन्तजाम कर उसे दवा दिलाने ले गयी। वह अपने मुह से कुछ नहीं कह पा रही थी लेकिन उसकी हालत देखकर मुझे बहुत तकलीफ हो रहा था हमे चिन्ता हो रही थी कि क्या बात हैं कि उन लोगों ने इतना बुरा हाल कर दिया हैं। 
       लेकिन गरीबी और जानकारी न होने के कारण चुपचाप बैठ गयी, लेकिन मन दिन-रात परेशान रहने लगा। कुछ दिन बाद धीरे-धीरे बेटी की भी तबीयत सुधर गयी। वह भी बाहर व अन्दर के कामो में मदद करने लगी। लेकिन मेरा मन बार-बार उसके तरफ ही जाता। तभी एक दिन उसके ससुराल वालो का फोन आया कि दशहरा बाद विदाई कराने आयेगें तो मै बोली कि कुछ दिन और रूक जाइए। तब यह बोले कि अगर बाद में विदाई देगे तो टी0वी0 और पंखा सब कुछ देना होगा। गरीब के कारण जो कुछ भी शादी में अपनी हैसियत से अधिक दे चुकी थी। मै बोली अगर बाद में विदाई करूगी तो कहा से इन्तजाम कर करूगी तो मैने सोचा कि उनकी के तारीख पर रखकर विदाई कर दिया। अभी बेटी को ससुराल गये 3-4 दिन ही हुए थे कि फिर फोन आया कि दहेज न मिलने के कारण जलाने की धमकी दी जा रही है। और भाग जाने के लिए कह रहे है। यह सुनकर फिर भागी परायी उसे लेने आयी। गरीबी इंसान को बेवस व लाचार बना देती हैं। हम चुपचाप अपनी बेटी को लेकर चली आयी। उस दिन तो ऐसा लग रहा था कि कहा मैने उसकी शादी कर दी। यह सब देखकर समझ में नही आ रहा था कि क्या करू किससे क्या कहॅू। अपनी किस्मत पे रोऊॅ या बेटी के। चुपचाप मजदूरी में लग गयी। काम करती थी लेकिन दिमाक हमेंशा बेटी के तरह ही रहता। भगवान यह मेरी बेटी के साथ ही क्यों हुआ। वह भी चुपचाप रहने लगी। इन्ही की चिन्ता से मेरी बड़ी बेटी भी दुबली व कमजोर हो गयी। खाने-पीने का कुछ भी मन नहीं करता। आज पड़ोस में भी जाना मना हो गया। रात को सोती हॅू तो उसी की चिन्ता बनी रहती है। उन दिन के बाद से आज तक उसे ससुराल वालों ने कोई खबर नहीं ली। मेरी बड़ी बेटी जब जाती है तो मेरी समधन उससे बात तक नहीं करती है। इस कारण मन में हमेशा डर रहता है कि कहीं यह लोग इसकी शादी की तैयारी तो नही कर रहे है। मेरी बेटी उसी के साथ जाना चाहती हैं। वह बोलती हैं। माँ शादी एक बार होती है। मै चाहती हूँ कि अगर वह मेरी बेटी के साथ अन्याय न करे उसे अच्छे से रखे तो आकर वह विदाई कराके ले जाये।
       मै चाहती हूँ कि लड़का पक्ष वाले कहे और हमारी बात सुन किसी सही निर्णय पर पहूँच कर बेटी की भविष्य को ध्यान में रखकर उचित निर्णय ले। उसके साथ किसी भी तरह का शारीरिक एवं मानसिक यातना न दिया जाय। तब मैं उसके ससुराल वालों के साथ बेटी को बिदाई के लिए तैयार हूँ।
  साक्षात्कारकर्ता                                      संघर्षरत पीड़िता
      पिन्टू गुप्ता                                         सोम्मर

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