मेरा नाम बविता देवी पत्नी राजपति निषाद
उम्र 30 साल है। निवासी ग्राम-बदलपुर(सोनगाँव) तहसील व
कोतवाली-अकबरपुर जनपद-अम्बेडकरनगर की रहने वाली हॅ। मैं जाति की केवट हॅू। मेरे
परिवार मे पति राजपति व बच्चे व ननद है। मेरे पति खेती बाड़ी का काम करते जिससे
परिवार का भरण-पोषण होता हैं।
यह घटना 14 मई 2012 को दबंगो ने
जबरजस्ती मेरे जमीन पर दिवाल उठा लिया। जब मैं अपने परिवार के साथ रोकने गयी और
पूछी भाई जी ये जमीन मेरी है तो वे हम लोगों को मारने-पीटने लगे। गन्दी-गन्दी
गालिया देने लगे और कहने लगे यह सब मेरा है तुम्हारी कुछ नहीं है जबकि 50 सालो से उस जमीन
पर रास्ता बना है। इसके पूर्व सन् 2009 को थानाध्यक्ष द्वारा जमीन की जाॅच कराकर रास्ता
खुलवाया गया था। लेकिन मुझे पता नहीं था किसी दिन इस रास्ते का विवाद बहुत बड़ा काल
बन जायेगी। उस वक्त अपनी रियाईसी जमीन मिल गई है। सब ठीक-ठाक चलती रही लेकिन मई 2012 को यह विवाद
दोबारा दबंग दिनेश, राकेश सहित दर्जनो लोगो ने मेरे घर पर हल्ला बोल दिया उस
वक्त घर पर मेरे पति भी नहीं थे वह बाजार गये थे। उस वक्त मै हैरान रह गयी। आखिर
यह सब क्यो हो रहा है जबकि यह जमीन मेरी है दबंग गन्दी-गन्दी गालिया दे रहे थे जब
मना किया। कि क्यो गाली दे रहे हो तो मारने-पीटने लगे। मेरा पूरा परिवार दर्द से
कहर रहा था। मेरे शरीर के रोगटे गटे खडे़ हो गये। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
हम लोग रोते गिड़गिड़ाते रहे। उस वक्त मेरी कोई सुनने वाला नहीं था। मेरी ननद व
बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था। उस वक्त मैं दंग रह गयी क्या जमाना आ गया है। जिसकी
लाठी उसी की भैंस मेरे पति को जब पता चला तो भागते-भागते आये।
उस वक्त
मुझे सिर्फ रूलाई आ रही थी। मेरे पति बौखला गये थे। मेरे ननद की कान की बाली छीन
ली। उस वक्त गाँव मे चारो तरफ सन्नाटा छा गया था। मेरे पति व मै थाने गयी तो पुलिस
सिर्फ अश्वासन देकर उल्टे पाव वापस भगा दिया। उस दिन भूख-प्यास सब खत्म हो गयी।
मेरे बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल था। जब पुलिस नहीं आयी तो मुझे लगा कि पुलिस
दबंगो के साथ मिली है। मेरे परिवार वालों को काफी चोट आयी। मेडिकल भी नहीं हुआ। उस
वक्त मैं पूरे परिवार के साथ इलाज करवा रही थी। बार-बार कानून पर रूलाई आ रही थी।
क्या कानून है, जहा न्याय की उम्मीद न हो। उस दिन रात भर नींद नही आयी
सिर्फ रात भर करवटे बदलती रही। बार-बार मेरे अन्दर डर भय बनी हुई थी कि कहीं दबंग
आकर फिर न मारे-पीटे बहुत घबराहट हो रही थी। मै आज भी पुलिस प्रशासन से न्याय
की भीख माग रही हूँ। बस एक ही उम्मीद हो सकता है मुझे न्याय मिल जाय। जब तक मुझे
न्याय नहीं मिल जाती। उसके लिए मैं अपनी संघर्ष जारी रखॅूगी।
मैं अपनी पीड़ा को बताकर काफी हल्का पन
महसूस कर रही हूँ। मुझे उम्मीद है कि आज नहीं तो कल मुझे जरूर न्याय मिलेगा।
साक्षात्कारकर्ता - मनोज कुमार सिंह
संघर्षरत पीड़िता- बविता देवी
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