आज के समाज में जहाँ पुलिस वालो को लोगो
की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गयी है वही पुलिस वालो ने लोगों के जिन्दगी के साथ
खेलवाड़ करके गरीब असहाय जनता को फर्जी ढंग से चोरी, डकैती, हत्या
इत्यादि के जुल्म में फसाकर अपनी वर्दी के ऊपर एक स्टार और बढ़वा दे रहे। आइऐ सुनते
है ऐसी ही एक पीड़ित गरीब असहाय अनुसूचित जाति के घसिया समुदाय की स्वः व्यथा कथा
उसकी जुवानी से।
मेरा नाम लाला घसिया पुत्र रनेश घसिया उम्र 17 वर्ष, निवासी
ग्राम-रौंप, पोस्ट- सहिजनकला, थाना-कोतवाली, जिला-राबटर्सगंज, सोनभद
का मूल निवासी हूँ। मै अपने माता-पिता का दूसरा संतान हूँ।
दिनांक 9 जनवरी 2012 को मेरे बस्ती में पुलिस की 8 नं0
गाड़ी आयी उस समय सुबह के लगभग 8:00 बज रहे थे उस समय मैं अपने घर पर सोया हुआ था कि अचानक चार
पुलिस वाले वर्दी में मेरे घर के अन्दर घुस गये और हमे उठाकर पकड़ लिये और माँ-बहन
की भद्दी-भद्दी गालिया देने लगे। जब मैनें पूछा कि साहब क्या बात है। आप हमें
क्यों पकड़ रहे है तो पुलिस वालों ने डण्डें से मेरे जांघ पर तेजी से मारने लगे तो
मै जोर से चिल्लाने लगा और मेरे माता-पिता ने पूछा कि क्या बात है। साहब तब पुलिस
वालो ने मेरे माता-पिता को गाली देते हुए उनको ढकेल दिये और भद्दी-भद्दी गाली देते
हुए बोले चोर पैदा किये हो इसकी जिन्दगी मैं खराब कर दूगा। तब मैं इतना सुनते ही मैं
तेजी से रोने लगा और मेरे साथ ही मेरे माता-पिता भी रोने लगे। कि आज यह दिन देखना
पड़ रहा है। तब दो पुलिस वाले ने मुझसे पुछा कि साले रात में सलवार समीज पहनकर गाड़ी
लुटते हो और चोरी करते हो और तुमलोग सोते हो। तब मैं बोला नहीं साहब मैने कोई चोरी
नहीं किया है। तब चार पुलिस वालो ने मेरे जांघ पर मेरे माता-पिता के सामने लाठी से
जानवारो की तरह मार रहे थे और मैं चिल्ला रहा था कि साहब मुझे छोड दो मैने कोई चोरी
नहीं की है। तब पुलिस वाले हमको और हमारे बस्ती के राम सूरत तथा तपेश्वर को भी
गिरफ्तार कर लिया। सभी लोगों को जीप में बैंठाकर कोतवाली-राबर्ट्सगंज ले गयी और हम
लोगो को लाकआप में बन्द कर दिये।
हमलोग चिल्ला रहे थे कि साहब हम लोग बेकसुर है।
हमलोगों को छोड़ दीजिए। सारा दिन हमलोगों को भूखें रखे और पानी तक नहीं दिये। मुझे
प्यास लगी तो मैने पुलिस वालो से बोला कि साहब मुझे प्यास लगी है पीने के लिए पानी
दे दीजिए। तब दो पुलिस वाले लाक-अप खोलकर आये और हमलोगों को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी
गाली देते हुऐ लाठी से मेरे जांघ व पीठ पर मारने लगे और बोले कि तुम लोगे यह बोले
कि तुम लोग यह बोल दो कि गाड़ी तुमने ही चोरी की है। अगर तुमलोग यह कबूल कर लो कि
गाड़ी तुमलोगों ने ही लुटा है तो में तुम लोगो को छोड़ दूगा। तब मै बोला कि साहब जब
मैने चोरी नहीं की है तो झुटे कैसे वोल दू कि चोरी मैने किया है तब पुलिस वालो ने
थप्पड़ से मेरे गाल पर 45
बार मारे जिससे मेरे नाक से खून निकलने लगा मुझे गस्ती सी आ गयी। पुलिस वालो से मै
बोला कि साहब मेरी पीठ और जांघ बहुत तेजी से दर्द कर रहा है अगर कोई दर्द की दवा
है तो दे दीजिए जिसे मै कुछ तो दर्द ठीक हो जायेगा।
2 घण्टे बाद फिर पुलिस और एस0ओ0 साहब आये और कह रहे थे कि तुम लोग सलवार समीज पहन कर रात में
चोरी करते है और दिन मे सोते हो,एस0ओ0 साहब हमलोगों को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गाली दे रहे थे। यह सब
सुन कर लग रहा था कि जैसे कान का पर्दा क्यों नहीं फट जाता। तब एस0ओ0 साहब बोले कि इन सब इतना
मारो की वह कबूल कर ले कि चोरी मैने ही किया है। तब एस0ओ0 साहब के कहने पर पुलिस
वाले हमलोगो लाठी,
लात घुसे तथ थत्पड़ से आल पीठ,तथा पैर पर मारने लगे। मैं चिल्ला रहा था और कर रहा था कि साहब
मुझे छोड़ दो मैं चोरी नहीं की है लेकिन पुलिस वाले दिनांक 9 जनवरी,2012 की रात लगभग 7:00 बजे सादे कागज पर मेरा हस्ताक्षर लेकर छोड़ दिया और मेरे ऊपर
फर्जी चोरी छिनैती का केस लाद दिेय। जिसकी सूचना न्यायालय द्वारा मेरे वकील
ने दिया तब हमलोग (लाला,
राम सूरत) को दिनांक 27 मार्च,2014 को जब लोग कचहरी पर तारिख देखने गये थे तो हमको और राम सूरत
को कचहरी परिषद से पुलिस गिरफ्तार की और शाम 4:00 बजे मिर्जापुर जिला-कारागार में बन्द कर दी। जिसमें हमलोग ने
दिनांक 12 अप्रैल,2014 को न्यायालय से जमानत कराकर छुटे है।
आप लोगो को अपनी बातो को बताकर मेरा मन हल्का हुआ और हम चाहते है
पुलिस वालो को उसकी सजा मिले और हमे न्याय मिले।
साक्षात्कारकर्ता - फरहद शबा खानम
संघर्षरत पीड़ित - लाला घसिया
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