आज भी हमारे भारत देश की पुलिस दबंग व्यक्तियों से मिलकर
गरीब दलितों को फंसाने का ढेका ले रखी है। आइये ऐसी ही एक पीडि़त व्यक्ति की स्व
व्यथा कथा सुने उन्ही की जुबानी।
मेरा नाम भोला मुसहर उम्र-50 वर्ष
मेरे पति का नाम दमडीं मुसहर मेरी पत्नी का नाम लालती देवी ग्राम-धरसौना, पोस्ट-चोलापुर, थाना-चोलापुर, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी का
मूल निवासी हूँ। मेरे आठ लड़के व एक लड़की है। जिसमें से 3
लड़का व एक लड़की की शादी कर दिया हूँ और 4
लड़के मेरे साथ रहते है। उन्हें लेकर मैं विजय दशमी के बाद से झोटा सिंह के भट्ठे
पर निकबू मार्का ईट भट्ठे पर ईट पथाई का काम परिवार समेत करता था काम करके जो भी
रुखी-सुखी मिलता था। वह खां पीकर कर अपने परिवार के साथ खुश थे कि दिसम्बर 2014
को दिन में 9 बजे झोटा सिंह
के भट्ठे पर दो सिपाही आये और मुझे बुलाये। मैं डरते हुए हाथ जोड़कर कहाँ साहब
क्या है तब एक सिपाही ने कहाँ तेरा क्या नाम है। हम अपना नाम डरते-डरते हुए भोला
बताये तो एक सिपाही ने फोन करके भट्ठे से दूर खड़ी दो गाड़ी बुलाकर मुझे पकड़ लिये
तब मैं कहाँ साहब भट्ठा मालिक के यहाँ चलिए मैं चल रहा हूँ। तब दो सिपाही ने माँ
बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए मेरे गाल पर एक चाटा मारे।
उस समय मेरे आँख के सामने अन्धेरा सा छा गया मुझे कुछ
नही दिखाई दे रहा था और दो सिपाही पकड़कर मुझे गाड़ी में जबरी बैठा लिये, तब भट्ठा मालिक
भी मुझे नही छुड़ाया। तब पुलिस वाले मुझे लेकर थाने आये दिन भर थाने में बैठाये थे
फिर रात में थाने में 2
रोटी सब्जी दिये कि भोला खा लो सुबह तुम्हारी विदाई हो जायेगी यह सुनकर मुझे और डर
लगने लगा मैं डर के मारे रोटी भी नही खाया थोड़ी से पानी पीकर दिवाल के सहारे
बैठकऱ सुबह होने का इन्तजार कर रहा था। रात में मच्छर भी बहुत काट रहे थे सुबह के
इन्तजार में रात मानव पहाड़ जैसा लग रहा था। घर वाले की चिन्ता बराबर सताती थी कि
मेरे बच्चे न जाने कुछ खाये होगे कि नही यही सोचते-सोचते सुबह हुआ तो दरोगा साहब
ने कहा कि तुम लोग मंदिर की चोरी किये हो उसी के लिये तुम लोगो को बुलाया गया है।
मैं बोला साहब हम तो अपने बच्चों के साथ ईट भट्ठे पर ईट पाथने का काम करता हूँ तब
दरोगा साहब ने कहां माधर चोद साले दिन में ईट पाथते हो रात में चोरी करते हो यह सुनकर
मैं डर के मारे काँपने लगा जैसे मेरे पैर से जमीन खिसक गयी हो दरोगा द्वारा हम
लोगों का चालान करके कचहरी भेजा गया, जहाँ पर मेरे
परिवार के पास पैसा व जमानत दार न होने के कारण जमानत नही हो सका तो मुझे चौकाघाट जेल
भेज दिया गया। चौकाघाट जेल में मुझसे शौचालय की नाली
व प्लास्टिक के थैले निकालना होता था जिस समय मैं पेशाब की नाली से हाथ डालकर थैले
निकालते थे। बहुत तेज बदबू आती थी जब खाना खाने बैठते थे तो वहाँ भी बदबू आती थी।
कुछ खाने का मन भी नही करता था परिवार व बच्चों की याद बहुत आती थी। मेरे बच्चे
किस हाल में होगे, यह
सोच सोचकर आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नही ले रहा था, तभी
एक कैदी आया बोला साले माधर चोद यहां नाटक कर रहा है, चल झाडू मार नही
तो तुझे मारुगा यह सुनकर मैं डर के मारे झाडू लेकर सफाई करने लगा इसके बाद 1
माह 13 दिन के बाद मेरा
जमानत हुआ पहला तारीख 1
अप्रैल, 2015
को पड़ा तो हम संजय हमारी पत्नी लालती तीनों साथ में कचहरी गये तारीख देखकर
पाण्डेयपुर से विक्रम पकड़कर घर आ रहे थे, चोलापुर थाने के
सिपाही 2 बजे चोलापुर
थाने में गाड़ी से उतार लिये। हमको उतार कर थाने में ले जाकर सिपाही द्वारा कहा
गया कि तुम लोग के ऊपर गैगेस्टर लगा दिया। फिर मुझे चौकाघाट जेल में शौचालय व झाडू
लगाने का काम मिलेगा। मैं मन ही मन में सोच रहा था कि क्या अब मेरी जिन्दगी उस चार
दिवारी में रहेगी पिछली बार का कर्ज अभी पूरा हुआ ही नही तब से पुलिस द्वारा मुझे
फर्जी केस मे फंसा दिया गया। हम चाहते है कि जो मुझे फर्जी केस में फसाया है उसके
साथ कानूनी कार्यवाही हो और उसे सजा मिले और हमें न्याय मिले।
हम
अपनी बातो को बताकर हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।
साक्षात्कारकर्ता
- प्रभाकर प्रसाद
संघर्षरत
पीडि़त- भोला मुसहर
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