आज भी हमारे भारत देश में पुलिस की गुण्ड़ा गर्दी से दबंग व्यक्ति के
मनोबल को प्रोत्साहन करने का ठेका ले रखी है भारत के संविधान को खिलौना समझते हुए,
गरीब व्यक्ति की स्व व्यथा कथा उनकी जुबानी सुने।
मेरा नाम मुरली मुसहर उम्र 35 वर्ष मेरे पिता
का नाम बुझन्न मुसहर ग्राम-थानेरामपुर पो0 थानेरामपुर,
थाना-फुलपुर, जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ। मेरे परिवार में मै व मेरी पत्नी व बच्चें
रहते है। मै गरीब असहाय बेरोजगार जाति का मुसहर हुँ और किसी प्रकार मजदुरी करके
अपना व अपने परिवार का पेट पालते हुए खुशी पूर्वक रहता था। हम लोग आपस में मिल-जुल
कर रहते थे। हमारे घर का घरेलु सामान खत्म हो जाने पर मेरी पत्नी ने सुबह कहा कि
आज घर में कुछ भी सामान नही है जाओं दुकान से कुछ सामान लेकर आओं हम लोग बना-खाकर
काम पर चलते है जब मै पैसा लेकर मीराशाह मडियाहूँ वाले रोड़ पर किराना के दुकान पर
पहुँचा ही था कि विकाश सिंह, दिलिप सिंह हमको भद्दी-भद्दी गाली देते हुए मारने लगे
और कहने लेगे कि यही हमारे खेत में पानी खोला है यह बात सुनकर जब मैं बोल रहा कि
मै पानी नही खोला हूँ तब से विकाश सिंह दिलिप सिंह मुझे लात घूसों से मार कर गिरा
दिया।
फिर मै रोते हुए कह रहा था कि मै पानी नही खोला
हूँ तो बोले साले तुम ही पानी खोले हो और फिर मारने लगे मै पैर पकड़कर रोते हुए
गिड़गिड़ा रहा था कि मै पानी नही खोला हूँ फिर वे बोले कि अगर अब तुम ताल की तरफ जाओंगे
तो जान से मार डालूँगा| यह बात सुनकर मै डर के मारे घर गया और पत्नी से आपबीती
सुनाया तो मेरी पत्नी ने गाँव के लोगो के यहाँ गए तो मेरा आवेदन थाने में दिया गया
तो थाने से दो सिपाही गाँव में आये और पूछ कर चले गए लेकिन कुछ नही बोले।
हम लोग गाँव से 12 लोग थाने पर गये थे तो दरोगा ने पुछा
कि आवेदन कौन लिखा है तो हम लोग बता दिये कि मानवाधिकार कार्यकर्ता ने तो हम लोग
उनका नम्बर दे दिये। दरोगा साहब ने मानवाधिकार कार्यकर्ता से बात किये दरोगा साहब
ने कहा इन लोगो को बुला लो NCR हो जायेगा तो धारा नही लग पायेगा, इसके
बाद कार्यकर्ता भी फोन से कहते थे कि वही रहो घर मत आना हम लोग शाम तक थाने में
रहे लेकिन दरोगा हम लोगो का FIR नही लिखा|
दरोगा साहब अगले दिन आने के लिए कहाँ जब हम घर आये तो दर्द के मारे
कहर रहे थे रात मे नींद नही आ रही थी| रात मे भय बना रहा कि कही वह दबंग व्यक्ति
मुझे न मार डाले यह सोच सोचकर मानों रात पहाड़ की तरह हो गयी है| सुबह होने वाला
नही लग रहा था किसी तरह रात बिताकर फिर सुबह फुलपुर थाने गये तो दरोगा साहब ने
कहाँ कि तुम साले लोग यहाँ से भाग जाओं नही तो तुम लोगो को बन्द कर दुगाँ खाने के
लिए पैसा नही है तुम लोग कैसे केश लड़ोगे यह सुनकर मेरे मन में तमाम तरह कि सोच
आने लगी कि क्या गरीबों के लिए कानून नहीं है यही हमारे देश का संविधान है कि एक
गरीब मुसहर को मारने के बाद दरोगा साहब द्वारा गाली देकर भगा दिया जाता है| थाने
से आये फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता से बातचीत करके कचहरी एस.एस.पी आफिस चलने का
निर्णय लिया गया, वहाँ गये एस.एस.पी आफिस में आवेदन दिया गया लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नही हुई अभी
भी दबंग व्यक्ति चाहे जब जिसको मारने का मन करता है पुलिस के लापरवाही के वजह से
मारपीट कर घुमते है उनके ऊपर पुलिस वाले कोई कार्यवाही नही करते।
अब मै चाहता हूँ कि जो दबंग व्यक्ति मुझे मारे पीटे है उनके ऊपर
कानूनी कार्यवाही हो और मुझे न्याय मिले। मै आपको अपनी आपबीती बताकर बहुत हल्कापन
महसुस कर रहा हुँ |
संघर्षरत पीड़ित -मुरली मुसहर
साक्षात्कारकर्ता - दिनेश कुमार व प्रभाकर प्रसाद
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