आज भी हमारे भारत देश में अतिवंचित समुदाय मुसहर समुदाय के लोगो को
अन्याय बिना जूर्म के थाने में बन्द करके व अपने वर्दी की शान में कानून का
उल्लंघन करते हुए मुसहर की जिन्दगी से खिलवाड करना व उनके जीवन को बरवाद करने का
ठेका ले रखी हैं जिसमें संविधान का पन्ना भी जर्जर होकर आवाज देती है कि आज भी ये
खाकी वर्दी बाले पैसे वालो से मिलकर उनकी बातो को मानते है।
आईये
ऐसे ही एक पीडि़त की जुबानी से सुने।
मेरा नाम मुन्ना मुसहर उम्र 30 वर्ष मेरे पिता का नाम स्व0 बुझारत
मुसहर हैं मेरे परिवार में एक लड़का 2 लड़की व पत्नी रहती हैं। मै ग्राम-लखनपुर, पोस्ट-लखनपुर, थाना-चोलापुर, जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ। मैं गरीब बेरोजगार जाति का मुसहर हूँ,
मैं बनी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों का भरण-पोषण करता हूँ। फिर भी हम
लोगो बडी सुकून से अपने जीवन को हॅसी-खुशी से बिता रहे थे। कि अचानक मेरे जीवन में
अन्धेरा सा छा गया। मै 9 अगस्त, 2014 की रात मनहूस दिन कभी नहीं भूल
सकता, उस समय मै मैजिक से बनारस कबीर मठ लहुराबीर में बनारस कन्वेशन में जा रहा था
जो मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकर्ता द्वारा कार्यक्रम में आने का सूचना
दिया था मै खुशी मन से कार्यक्रम में भाग लेने जा रहा था कि चोलापुर थाने के सामने
सोनू सिंह, अजय सिंह व थाने के दरोगा, सिपाही मैजिक गाड़ी को रोककर थाने के अन्दर मुझे ले गये और वहाँ हमको
भद्दी-भद्दी गाली देते हुए बोले कि तुम यहाँ से अपना घर छोड़ कर भाग जाओं, यह बात
कहते हुए सोनू सिंह व अजय सिंह व दो सिपाही हमको मारने-पीटने लगे और बोले कि तुम यहाँ
से भाग जाओं नही तुमको फर्जी केस में फसा कर थाने में बन्द कर देगे। यह बात सुनकर
मैं डर के मारे काँप रहा था कि कही पुलिस वाले इन लोगो से मिलकर मुझे फर्जी केस
में न फसा दे यह सोच-सोचकर रो रहा था कि साहब हम कोई गलत काम नहीं कि यह है साहब
छोड़ दो लेकिन पुलिस वाले मुझे भद्दी-भद्दी गाली देते हुए हमे थाने में बन्द कर
दिये।
इसके बाद सोनू सिंह व अजय सिंह जे0सी0वी0 को ले जाकर हमारा घर
गिरवाने लगे। मैं थाने में सोच रहा था कि कही मेरी पत्नी व बच्चे को भी पुलिस वाले
से मिलकर सोनू सिंह व अजय सिंह हमको थाने में बन्द न करवा दे। यह सोच सोचकर हम
मेरा दम घुट रहा था। आँखों से आसू रूकने का नाम ही नही रुक रहा था। मन ही मन में सोच
रहा था कि कही मुसहर होने व गरीब होने के कारण तो ऐसा नहीं हो रहा हे यह सब सोच
रहा था कि शाम के 5:00
बजे एक जीप पुलिस वाले के साथ मेरी पत्नी थाने पर आयी उसे देखते ही मेरे रोगटे खडे
हो गये कि मेरी पत्नी को पुलिस वाले क्यों लाये है। थाने में मेरी पत्नी को वाहर
बैठाये थे और बोले कि अभी तुम यहाँ बैठो इसके बाद जे0सी0बी लेकर सोनू सिंह व अजय
सिंह लखनपुर मुसहर बस्ती मेरे घर पर गये। जे0सी0बी लगाकर मेरा घर गिरवा दिया, मेरी
झोपड़ी में रखे सारे सामन को कुअे में डाल दिये, जिसमें मै दिनांक 7/6/2014 को
भट्ठा मालिक से 20,000 हजार रुपये एडवांस के रुप में लिया था कि हम आप के यहा 20
जोड़ी मजदूर लाकर ईट पथाई का काम करेगें। इसी बीच दिनांक 7/8/2014 को झोले में रखा
पैसा घर का अनाज दो भर की सिकड़ी सब कुछ ले गये घाव की चोंट के कारण मै कही नहीं
जा पा रहा था किसी तरह मै गाडी पकड कर रौनाबारी आया वहा के लोग मुझे एस0एस0पी आफिस
आवेदन दिलाये के लिए ले गये। जब मैं अपना आवेदन लेकर एए0एस0पी आफिस में गया तो
चोलापुर थाना के दरोगा वहा पहले से मौजूद था। उसे देखकर मुझे डर लगने लगा कि कही
यहा भी पुलिस वाले मुझे मारने पीटने न लगें। मै किसी तरह हिम्मत जुटा के एस0एस0पी0
को आवेदन दिया। बगल में दरोगा खडा होकर मुस्कुरा रहा था। आवेदन देने के बाद हम
रौनाबारी वापस आ गये। धीरे-धीरे एक सप्ताह हो गया इसके बाद मै आई0जी के कार्यालय
में आवेदन दिया। लेकिन वहाँ भी कोई सुनवाई नहीं हुई तब मै डर रहा थ कि सोनू सिंह व
अजय सिंह कही मेरी पत्नी व मेरे बच्चें को न मार दे।
यह सोच-सोच कर रात में नींद नहीं लगती कुछ खाने का मन नहीं करता
हमेशा सोचता हॅू कि मेरे पत्नी मेरे बच्चे किस हाल में होगे यही सब सोच रहा था कि
मेरी पत्नी किसी तरह वहाँ से जान बचा कर रौनाबारी मेरे पास आई सब बाते बताते-बताते
रोने लगी। उसके साथ मै भी रोने लगा बच्चों व पत्नी की दशा देखते हुए मै परेशान हो
गया और सोचने लगा कि क्या हम गरीब को रहने खाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है
क्या हम लोग समाज में जीने योग्य नहीं है। क्या हम लोग को हमारा अधिकार नहीं मिल
सकता फिर मैं अपने परिवार को सन्तावना देते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को सोचते हुए
आये कोई पहल नहीं किया अब मै चाहता हॅू कि जो मेरे अधिकार का हनन हुआ है जो दबंग
व्यक्ति मेरे परिवार के ऊपर अत्याचार किये है। उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो और
मुझे न्याय मिले।
मैं आपको अपनी बातो को बताकर बहुत हल्कापन महसूस कर रहा हॅू और आशा
कर रहा हू कि हमें न्याय मिले ।
संघर्षरत पीडि़त - मुन्ना मुसहर
साक्षात्कारकर्ता - प्रभाकर
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