आज भी हमारे देश में गरीब असहाय मुसहर
परिवार के लोगों को दबंग व्यक्तियों द्वारा सताने की प्रक्रिया जारी है। जो
बिल्कुल मानवाधिकार के खिलाफ है। जैसे आजादी के पहले लोगों का शोषण किया जाता था।
वह चलन आज भी विद्यमान है। समाज में ऐसे लोगों को सम्मान देते हुए गिरी नजारों से
देखते है। दबंग लोग अपने जीवन को समझते हुए ऐसे असहाय मुसहर के जीवन से खिलवाड़
करने का ठेका ले रखा हैं और उनको हर तरह से समाजिक आर्थिक राजनैतिक कारणों से
प्रताड़ित करते है। आइये एक ऐसे ही दलित मुसहर की स्व0 व्यथा कथा उनकी जुवानी से
सुने जो कि उन्हे घर से बेघर करने की कोशिश की जा रही है।
मेरेा नाम सकलू मुसहर मेरी उम्र 55 वर्ष, मेरे पिता का नाम
स्व0 बालकरन मुसहर
है। मेरे परिवार में 5
लड़के 2 लड़की 4 बहु 5 नाती मै और मेरी पत्नी रहते है। कुल
मिलाकर 17 सदस्य है। मै
ग्राम-वर्जी, पोस्ट-नयेपुर, थाना-फूलपुर, जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ। मै बनी मजदूरी व दोना
पत्तल बनाकर बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण कारता हूँ। पैसे के अभाव में
कभी-कभी हम लोगों के घरों में चुल्हा भी नहीं जलात है भूखो सोना पड़ता है। फिर भी
हम लोग सुख ओर चैन से रहते है। मेरा घर पहले धमहापुर, पोस्ट-कुआर, ब्लाक-बड़ागाँव थाना-फूलपुर,जिला-वाराणसी में था। वहाँ रहने की बहुत
दिक्कत थी जिसके कारण मै सन् 2010 में अपने मामा हरिनाथ व लालचंद के घर वर्जी में आये। और
अपनी समस्या को बताये कि मामा धमहापुर में हम लोगो रहने की बहुत दिक्कत हो रही है
परिवार बढ़ गया है और जमीन दे दो उसका जो पैसा है हमसे ले लो। तब मेरे मामा लालचन्द
बोले कि आप लोग यहाँ आकर रहिए हम आपको दो बिस्सा जमीन देते है जिसका 18 हजार रूपये में
अपने मामा लालचंद को दिया। वे मुझे अपने हिस्से की जमीन विना लिखा-पढ़ी के दिये।
जिस पर मै कच्चा घर और 2
टिन का घर व 5
झोपड़ी बनवाकर अपने परिवार के साथ सुख और चैन से अपना जीवन बीता रहा था। कि अचानक
मेरे जीवन में अंधेरा सा छा गया। 3 साल बाद हरिनाथ (मामा) अपनी जमीन बसपा के नेता राय साहब
विद्रोही जो विल्कुल दबंग किस्म का व्यक्ति है वह नई बस्ती का रहने वाला है उसे 18 विस्सा जमीन 12 हजार रूपये के
हिसाब से बेच दिये । जिसमें हम लोगो का घर बना था। वहाँ 15 डिसमिल जमीन
मेरे मामा लालचंद के नाम से व 15 डिसमिल जमीन लालमनी के नाम से है। जो हमें जमीन दिये और
जहा हमने घर बनवाया था ये लालमन की जमीन थी। जनवरी 2013 में हरिनाथ ने
बताया कि आप लोग जिस जमीन पर हर रहे है वह जमीन हमारी है आप लोग इस जमीन को खाली
करके अपने घर चले जाइये। जबकि उन्हीं के द्वारा हम लोग वहाँ बसे थे। उनकी बात
सुनकर उस समय मेरे होश उड़ गये जी घबराने लगा कि हम लोग बाल-बच्चे व पत्नी को लेकर
कहाँ जाएं मै अपने मामा से कहा मामा आप ये जमीन जो राय साहब को बेच रहे हैं इस
जमनी के लिए हम 18000
रूपये लालमन को दिये है। हम उनकी जमीन में घर बनवाये हैं तब हरिनाथ हमें
भद्दी-भद्दी गाली देने लगे उस समय मुझे बहुत डर लग रहा था मै हाथ जोड़कर कहा मामा
मेरे साथ ऐसा अन्याय मत किजिए नही तो हम लोग घर से बेघर हो जायेगे तब हरिनाथ राय
साहब विद्रोही को बुलवाये और कहने लगे यह जमीन में राय साहब विद्रोही को बेच दिया
हूँ।
अगले दिन लेखपाल और कानूनगों के साथ आये और साथ में राय
साहब विद्रोही आये और हम लोगों को सभी लोग
घर छोड़कर भाग जाने को कह हम लेखपाल साहब का हाथ पैर जोड़ने लगे और बोले साहब हमने
इस जमीन के लिए 18,000 रुपये दिये है तब हरिनाथ बोले मै एक भी पैसा नहीं पाया
हूँ इस समय लोग जबरजस्ती हम लोगो को भगाने की कोशिश कर रहे थे उस समय लेखपाल भी
कागज दिखाया कि यह जमीन हरिनाथ की है हम लोग बोले हम वहा से कहीं नहीं जायेगे फिर
इसके बाद सभी लोग चले गये और 25 मई] 2013
की वह काली व मनहूस रात में जीवन भर नहीं भूल सकता कि रात के 9 बज रहे थे उस समय हमारे घर से थोड़ा दूर पर प्रभाकर के
यहा शादी थी। हमारे परिवार के लोग उस शादी में गये थे उस समय मै घर पर अकेले 3 बहुओं के साथ में था कि हरिनाथ आये और
हमारे चारपाई पर बैठ गये। उसके कुछ देर बाद राय साहब बिद्रोही के साथ 8 से 10 लोग शराब के नशे में आये और हमारे घर (मड़ई) को उजाड़
दिये तथा घरों को रम्मा व फावडे़ से गिरवे लगे। जब हमने देखा कि लोग मेरे घरों को
तोड़ रहे है तो मै भागते हुए वहाँ गया और बोला भईया हमार घर काहें गिरा रहों हो तो
वे लोगों बोले कि यह जमीन हमारी है। हमने पैसा देकर खरीदा है। इतना कहते हुए हम
लोगो का घर गिरा दिए। बताए हम कहा जाये अपना परिवार को लेकर ।
हम चाहते है कि हमे न्याय मिले उसे सज़ा मिले ।
साक्षात्कारकर्ता – दिनेश
कुमार अनल
संघर्षरत पीड़ित – सकलू मुसहर