Saturday, 31 October 2015

दबंगो द्वारा किया जा रहा गरीब मुसहर को घर से बेघर !

आज भी हमारे देश में गरीब असहाय मुसहर परिवार के लोगों को दबंग व्यक्तियों द्वारा सताने की प्रक्रिया जारी है। जो बिल्कुल मानवाधिकार के खिलाफ है। जैसे आजादी के पहले लोगों का शोषण किया जाता था। वह चलन आज भी विद्यमान है। समाज में ऐसे लोगों को सम्मान देते हुए गिरी नजारों से देखते है। दबंग लोग अपने जीवन को समझते हुए ऐसे असहाय मुसहर के जीवन से खिलवाड़ करने का ठेका ले रखा हैं और उनको हर तरह से समाजिक आर्थिक राजनैतिक कारणों से प्रताड़ित करते है। आइये एक ऐसे ही दलित मुसहर की स्व0 व्यथा कथा उनकी जुवानी से सुने जो कि उन्हे घर से बेघर करने की कोशिश की जा रही है।
        मेरेा नाम सकलू मुसहर मेरी उम्र 55 वर्ष,  मेरे पिता का नाम स्व0 बालकरन मुसहर है। मेरे परिवार में 5 लड़के 2 लड़की 4 बहु 5 नाती मै और मेरी पत्नी रहते है। कुल मिलाकर 17 सदस्य है। मै ग्राम-वर्जी, पोस्ट-नयेपुर, थाना-फूलपुर, जिला-वाराणसी का रहने वाला हूँ। मै बनी मजदूरी व दोना पत्तल बनाकर बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण कारता हूँ। पैसे के अभाव में कभी-कभी हम लोगों के घरों में चुल्हा भी नहीं जलात है भूखो सोना पड़ता है। फिर भी हम लोग सुख ओर चैन से रहते है। मेरा घर पहले धमहापुर, पोस्ट-कुआर, ब्लाक-बड़ागाँव थाना-फूलपुर,जिला-वाराणसी में था। वहाँ रहने की बहुत दिक्कत थी जिसके कारण मै सन् 2010 में अपने मामा हरिनाथ व लालचंद के घर वर्जी में आये। और अपनी समस्या को बताये कि मामा धमहापुर में हम लोगो रहने की बहुत दिक्कत हो रही है परिवार बढ़ गया है और जमीन दे दो उसका जो पैसा है हमसे ले लो। तब मेरे मामा लालचन्द बोले कि आप लोग यहाँ आकर रहिए हम आपको दो बिस्सा जमीन देते है जिसका 18 हजार रूपये में अपने मामा लालचंद को दिया। वे मुझे अपने हिस्से की जमीन विना लिखा-पढ़ी के दिये। जिस पर मै कच्चा घर और 2 टिन का घर व 5 झोपड़ी बनवाकर अपने परिवार के साथ सुख और चैन से अपना जीवन बीता रहा था। कि अचानक मेरे जीवन में अंधेरा सा छा गया। 3 साल बाद हरिनाथ (मामा) अपनी जमीन बसपा के नेता राय साहब विद्रोही जो विल्कुल दबंग किस्म का व्यक्ति है वह नई बस्ती का रहने वाला है उसे 18 विस्सा जमीन 12 हजार रूपये के हिसाब से बेच दिये । जिसमें हम लोगो का घर बना था। वहाँ 15 डिसमिल जमीन मेरे मामा लालचंद के नाम से व 15 डिसमिल जमीन लालमनी के नाम से है। जो हमें जमीन दिये और जहा हमने घर बनवाया था ये लालमन की जमीन थी। जनवरी 2013 में हरिनाथ ने बताया कि आप लोग जिस जमीन पर हर रहे है वह जमीन हमारी है आप लोग इस जमीन को खाली करके अपने घर चले जाइये। जबकि उन्हीं के द्वारा हम लोग वहाँ बसे थे। उनकी बात सुनकर उस समय मेरे होश उड़ गये जी घबराने लगा कि हम लोग बाल-बच्चे व पत्नी को लेकर कहाँ जाएं मै अपने मामा से कहा मामा आप ये जमीन जो राय साहब को बेच रहे हैं इस जमनी के लिए हम 18000 रूपये लालमन को दिये है। हम उनकी जमीन में घर बनवाये हैं तब हरिनाथ हमें भद्दी-भद्दी गाली देने लगे उस समय मुझे बहुत डर लग रहा था मै हाथ जोड़कर कहा मामा मेरे साथ ऐसा अन्याय मत किजिए नही तो हम लोग घर से बेघर हो जायेगे तब हरिनाथ राय साहब विद्रोही को बुलवाये और कहने लगे यह जमीन में राय साहब विद्रोही को बेच दिया हूँ।
        अगले दिन लेखपाल और कानूनगों के साथ आये और साथ में राय साहब विद्रोही  आये और हम लोगों को सभी लोग घर छोड़कर भाग जाने को कह हम लेखपाल साहब का हाथ पैर जोड़ने लगे और बोले साहब हमने इस जमीन के लिए 18,000 रुपये दिये है तब हरिनाथ बोले मै एक भी पैसा नहीं पाया हूँ इस समय लोग जबरजस्ती हम लोगो को भगाने की कोशिश कर रहे थे उस समय लेखपाल भी कागज दिखाया कि यह जमीन हरिनाथ की है हम लोग बोले हम वहा से कहीं नहीं जायेगे फिर इसके बाद सभी लोग चले गये और 25 मई] 2013 की वह काली व मनहूस रात में जीवन भर नहीं भूल सकता कि रात के  9 बज रहे थे उस समय हमारे घर से थोड़ा दूर पर प्रभाकर के यहा शादी थी। हमारे परिवार के लोग उस शादी में गये थे उस समय मै घर पर अकेले 3 बहुओं के साथ में था कि हरिनाथ आये और हमारे चारपाई पर बैठ गये। उसके कुछ देर बाद राय साहब बिद्रोही के साथ  8 से 10 लोग शराब के नशे में आये और हमारे घर (मड़ई) को उजाड़ दिये तथा घरों को रम्मा व फावडे़ से गिरवे लगे। जब हमने देखा कि लोग मेरे घरों को तोड़ रहे है तो मै भागते हुए वहाँ गया और बोला भईया हमार घर काहें गिरा रहों हो तो वे लोगों बोले कि यह जमीन हमारी है। हमने पैसा देकर खरीदा है। इतना कहते हुए हम लोगो का घर गिरा दिए। बताए हम कहा जाये अपना परिवार को लेकर ।
हम चाहते है कि हमे न्याय मिले उसे सज़ा मिले ।

साक्षात्कारकर्ता – दिनेश कुमार अनल
संघर्षरत पीड़ित  सकलू मुसहर


मेरी जिन्दगी तबाह कर दी पुलिस वालो ने !

आज के समाज में जहाँ पुलिस वालो को लोगो की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गयी है वही पुलिस वालो ने लोगों के जिन्दगी के साथ खेलवाड़ करके गरीब असहाय जनता को फर्जी ढंग से चोरी, डकैती, हत्या इत्यादि के जुल्म में फसाकर अपनी वर्दी के ऊपर एक स्टार और बढ़वा दे रहे। आइऐ सुनते है ऐसी ही एक पीड़ित गरीब असहाय अनुसूचित जाति के घसिया समुदाय की स्वः व्यथा कथा उसकी जुवानी से।
       मेरा नाम लाला घसिया पुत्र रनेश घसिया उम्र 17 वर्ष, निवासी ग्राम-रौंप, पोस्ट- सहिजनकला, थाना-कोतवाली, जिला-राबटर्सगंज, सोनभद का मूल निवासी हूँ। मै अपने माता-पिता का दूसरा संतान हूँ।
        दिनांक 9 जनवरी 2012 को मेरे बस्ती में पुलिस की 8 नं0 गाड़ी आयी उस समय सुबह के लगभग 8:00 बज रहे थे उस समय मैं अपने घर पर सोया हुआ था कि अचानक चार पुलिस वाले वर्दी में मेरे घर के अन्दर घुस गये और हमे उठाकर पकड़ लिये और माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गालिया देने लगे। जब मैनें पूछा कि साहब क्या बात है। आप हमें क्यों पकड़ रहे है तो पुलिस वालों ने डण्डें से मेरे जांघ पर तेजी से मारने लगे तो मै जोर से चिल्लाने लगा और मेरे माता-पिता ने पूछा कि क्या बात है। साहब तब पुलिस वालो ने मेरे माता-पिता को गाली देते हुए उनको ढकेल दिये और भद्दी-भद्दी गाली देते हुए बोले चोर पैदा किये हो इसकी जिन्दगी मैं खराब कर दूगा। तब मैं इतना सुनते ही मैं तेजी से रोने लगा और मेरे साथ ही मेरे माता-पिता भी रोने लगे। कि आज यह दिन देखना पड़ रहा है। तब दो पुलिस वाले ने मुझसे पुछा कि साले रात में सलवार समीज पहनकर गाड़ी लुटते हो और चोरी करते हो और तुमलोग सोते हो। तब मैं बोला नहीं साहब मैने कोई चोरी नहीं किया है। तब चार पुलिस वालो ने मेरे जांघ पर मेरे माता-पिता के सामने लाठी से जानवारो की तरह मार रहे थे और मैं चिल्ला रहा था कि साहब मुझे छोड दो मैने कोई चोरी नहीं की है। तब पुलिस वाले हमको और हमारे बस्ती के राम सूरत तथा तपेश्वर को भी गिरफ्तार कर लिया। सभी लोगों को जीप में बैंठाकर कोतवाली-राबर्ट्सगंज ले गयी और हम लोगो को लाकआप में बन्द कर दिये।
       हमलोग चिल्ला रहे थे कि साहब हम लोग बेकसुर है। हमलोगों को छोड़ दीजिए। सारा दिन हमलोगों को भूखें रखे और पानी तक नहीं दिये। मुझे प्यास लगी तो मैने पुलिस वालो से बोला कि साहब मुझे प्यास लगी है पीने के लिए पानी दे दीजिए। तब दो पुलिस वाले लाक-अप खोलकर आये और हमलोगों को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुऐ लाठी से मेरे जांघ व पीठ पर मारने लगे और बोले कि तुम लोगे यह बोले कि तुम लोग यह बोल दो कि गाड़ी तुमने ही चोरी की है। अगर तुमलोग यह कबूल कर लो कि गाड़ी तुमलोगों ने ही लुटा है तो में तुम लोगो को छोड़ दूगा। तब मै बोला कि साहब जब मैने चोरी नहीं की है तो झुटे कैसे वोल दू कि चोरी मैने किया है तब पुलिस वालो ने थप्पड़ से मेरे गाल पर 45 बार मारे जिससे मेरे नाक से खून निकलने लगा मुझे गस्ती सी आ गयी। पुलिस वालो से मै बोला कि साहब मेरी पीठ और जांघ बहुत तेजी से दर्द कर रहा है अगर कोई दर्द की दवा है तो दे दीजिए जिसे मै कुछ तो दर्द ठीक हो जायेगा। 

      2 घण्टे बाद फिर पुलिस और एस00 साहब आये और कह रहे थे कि तुम लोग सलवार समीज पहन कर रात में चोरी करते है और दिन मे सोते हो,एस00 साहब हमलोगों को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी गाली दे रहे थे। यह सब सुन कर लग रहा था कि जैसे कान का पर्दा क्यों नहीं फट जाता। तब एस00 साहब बोले कि इन सब इतना मारो की वह कबूल कर ले कि चोरी मैने ही किया है। तब एस00 साहब के कहने पर पुलिस वाले हमलोगो लाठी, लात घुसे तथ थत्पड़ से आल पीठ,तथा पैर पर मारने लगे। मैं चिल्ला रहा था और कर रहा था कि साहब मुझे छोड़ दो मैं चोरी नहीं की है लेकिन पुलिस वाले दिनांक 9 जनवरी,2012 की रात लगभग 7:00 बजे सादे कागज पर मेरा हस्ताक्षर लेकर छोड़ दिया और मेरे ऊपर फर्जी चोरी छिनैती का केस लाद दिेय। जिसकी सूचना न्यायालय द्वारा मेरे वकील ने दिया तब हमलोग (लाला, राम सूरत) को दिनांक 27 मार्च,2014 को जब लोग कचहरी पर तारिख देखने गये थे तो हमको और राम सूरत को कचहरी परिषद से पुलिस गिरफ्तार की और शाम 4:00 बजे मिर्जापुर जिला-कारागार में बन्द कर दी। जिसमें हमलोग ने दिनांक 12 अप्रैल,2014 को न्यायालय से जमानत कराकर छुटे है।
       आप लोगो को अपनी बातो को बताकर मेरा मन हल्का हुआ और हम चाहते है पुलिस वालो को उसकी सजा मिले और हमे न्याय मिले।   

साक्षात्कारकर्ता - फरहद शबा खानम
संघर्षरत पीड़ित - लाला घसिया

Friday, 30 October 2015

जमीन के कारण ले ली महिला की जान !

आज भी दबंग व्यक्ति पैसे व गुण्डई के बल पर गरीब कमजोर व्यक्ति को हमेषा सताने व फर्जी केस में फसाने तथा जान से मारने का ठेका ले रखा है और कानून को खिलौना समझने लगे है क्योकि कानून के रक्षक भी उन्हीं की सुनते हैं वे भी चन्द्र पैसा की लालच में अपने वर्दी को बेचकर कानून का उल्घन करते है। आइए ऐसी हकीकत स्व व्यथा कथा पीडि़त की जुबानी से सुने।
    मेरा नाम राजेश सरोज उम्र 28 वर्ष मेरे पिता का नाम महादेव ग्राम-मरही] पोस्ट-सेवसीपुर] थाना- जलालपुर] जिला-जौनपुर का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में दो भाई एक बहन व मेरी पत्नी, पिता, और मेरे तीन बच्चें रहते है। हम लोगो का परिवार बहुत खुल था मै मेहनत मजदूरी का काम करता हूँ हमारे घर के परिवार मुन्ना की पत्नी को जिसका नाम पूनम है। उसे दिनांक 1 जुलाई 2014 को पास के दबंग व्यक्ति रामाश्रय पुत्र विदेशी सरोज अजय, विजय, संजय पुत्र रामश्रय को मारने लगे और बोल रहे थे कि अपने पति को काम करने वाहर क्यों भेजी उस समय वह महिला थर--थर कांप रही थी और जोर-जोर से रो रही थी। उसकी दशा देखकर हम लोग उस महिला को बचाने के लिए गये और उस महिला को छुडाये जिसका परिणाम कि उसी रंजीस को लेकर दबंग हम लोगों को प्रताडि़त करते रहे। यहा तक कि दबंग व्यक्ति मुझे व मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दिया।
 हम लोग उसकी धमकी के डर से पूनम के साथ पराउगंज चौकी पर गये वहा मेरा रिर्पोट लिखा गया। लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं कि गयी। पुलिस उन दबंगो से मिली हुई थी। उधर मैं चौकी पर बैठा था कि 1 जुलाई, 2014 को मेरे घर के वगल में जो उमासिंह की जमीन थी उसी को लेने के लिए दबंग व्यक्ति व मेरे परिवार से पूरानी रंजीश चल रही था जो जमीन की कीमत मेरे परिवार द्वारा एक लाख बीस हजार रुपये में तय था लेकिन दबंग व्यक्ति रामाश्रय सरोज उसी मजीन को लेने के लिए सामने वाले एक लाख पचास हजार रुपये में तय किये उस समय हम लोग पैसे के आभाव में जमीन को छोड़ दिये लेकिन दबंग व्यक्ति हमारे परिवार को बार-बार गाली गलौज झगड़ा, मार-पीट करता रहा और बोला की तुम गोलो को जान से मार दूगा। तुम लोग पूनम को लेकर पराउगंज चौकी पर गये थे वह झगड़ा एक 1-7-2014 को सुबह में हुआ, उसी समय में पूनम को लेकर चौकी पर गया था। वहा कि पुलिस रिर्पोट तो लिखना दूर हमको भद्दी-भद्दी माँ-बहन की गाली देकर मुझे चौकी पर 3 घण्टा बैठाया था। उस समय पुलिस की रवैया को देखकर मुझे डर लग रहा था मन घबरा रहा था मेरे घर से 8:20 मिनट शाम को फोन आया कि दबंग व्यक्ति रामाश्रय व उनके लड़के के साथ चनुआ शट्टी छित्तुपुर से गुण्डा किस्म में व्यक्ति जिया लाल सरोज पुत्र-कल्लू सरोज अपने कुछ साथियों के साथ मरही गाँव में आया जो दबंग व्यक्ति के रिश्तेदार थे ये व्यक्ति अपनी बाईक भगवती सिंह के आज के बगीचे में खण्डा किये थे जो गाँव से थोड़ा दूर या दबंग व्यक्ति के घर पैदल आया वहाँ लोग दारु पीकर पूनम को मारने लगे पुनम जोर से चिल्लाने लगी और जान बचाने की गोहार लगाने लगी किसी प्रकार दबंगो के चंगूल से बचकर हमारे घर भाग कर आयी|
 उस समय मेरा छोटा भाई राकेश चचेरा भाई सुनील मौके पर मौजूद थे। पूनम को बचाने आये तो दबंग व्यक्ति धार दार हथियार से लैस और मेरे भाई को गुप्ती चाकू चैन से बार करने लगे जिससे मेरे भाई को पेट पीट फेफडे में तीन जगह जान लेवा हमला किये जिससे व धायल होकर जमीन पर गिर गया उस समय मेरी माँ दुलारी देवी मौके पर गयी और बेटे की दशा देकर रोने चिल्लाने लगी और उन गुण्डो के पैर पकड़कर अपने बेटे की जान की दुहाई भागने लगी लेकिन वह निर्दयी पापी मेरी माँ की बातो की नही सुने शराब के नशे में धूत मेरी माँ के पेट में गप्ती व चाकू से मारने लगे मेरी माँ छटपटाकर जमीन पर गिर गयी उसका पूरा लाद बाहर निकल गया पुरा शरीर खुन से लथपथ था मेरी माँ कुछ कहती इसके पहले ही मेरी माँ कुछ कहती मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गयी|
 उस समय पुलिस मुझे चौकी पर बैठाये रहे अगर पुलिस वाले हमे नहीं बैठाये होते तो मेरी माँ की हत्या न हुई होती | हमारे भाई को चाकू गुप्ती लगी उधर जब मैं अपने घर आया तो वहाँ हालात को देखकर मैं आवाक हो गया मेरे पैर से मानव जमीन खिसक गयी मैं माँ की लाश से लिपट कर रोने चिल्लाने लगा मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था| लेकिन किसी प्रकार अपने आपको सम्भालते हुए लोगों को समझाये इधर दबंग व्यक्ति मारने के बाद पराउगंज पुलिस चौकी पर पहूँचे उल्टा आवेदन मेरे खिलाफ दिये कि राजेश सरोज व उसके परिवार वाले मुझे बहुत मारे पीटे तब पुलिस वाले उन दोनों व्यक्ति को बैठा लिए उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न करते हुए उन्हे छोड़ दिये| घटना की सूचना मेरे परिवार वाले 100 नम्बर डायल करके पुलिस को दिये थे और 108 नम्बर डायल करके एम्बुलेंश बुलाया गया उस गाड़ी से अपनी माँ व भाई को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जलालपुर गये जहाँ डाक्टर द्वारा मेरी माँ को मृतक घोषित कर दिया गया और मेरे भाई को राजकीय चिकित्सालय रेफर कर दिया गया पुलिस प्रशासन के दरोगा बीएचयू भर्ती कराने की राय दिये मेरा भाई उस हास्पिटल में 15 दिन भर्ती रहा जो सात दिन कोमा में था आठवे दिन उसे होश आया उसका आपरेशन 14 सेमी में किया गया था। हम लोग भाई को अपने से दूर उसके ससुराल में रखे है मेरे भाई को यह पता नही था कि मेरी माँ मर चुकी है मै रिन कर्ज लेकर अपने भाई के इलाज में 3 लाख रुपये लगाया|
 दबंग व्यक्ति से आज भी हम लोगों को डर व भय है। एक दिन दबंग व्यक्ति मोबइल नम्बर 7817996654 नम्बर से फोन करके माँ बहन की भद्दी-भद्दी गाली व जान से मारने की धमकी दे रहे थे और कहते थे कि अभी एक हत्या हुई है। मैं तुम्हारे परिवार को मौत के घाट उतार दूंगा पुलिस वाले हम लोगों के साथ जातियता किये और दबंग व्यक्ति से मिलकर पैसे के बल पर लोगों को गाली देते थे ऐसी पुलिस व दबंग व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो ताकि ये व्यक्ति किसी दूसरे के जीवन से खिलवाड जा कर सकें। आज भी घटना को याद करता हूँ तो पूरे रोगते खडे हो जाते है। रात में नींद नहीं आती भूख नहीं लगती। घर में बराबर चिन्ता बनी रहती हैं दबंग़ व्यक्ति से डर बहुत लगता है माँ की बहुत याद आती है।
    आपको अपनी बातो को बताकर हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।
साक्षात्कारकर्ता - दिनेंश कुमार अनल और प्रभाकर
संघर्षरत पीडि़त - राजेश सरोज
                        

Thursday, 29 October 2015

ससुराल द्वारा मेरी बेटी को प्रताड़ित किया गया व दहेज न देने पर भगा दिया गया।

आज भी हमारे देश में महिला की जिन्दगी को वर्बाद करने में जरा सी भी संकोच नहीं करते। उन्हे अपमानित करना उन पर हसना पुरुषों की आतद है आइये एक ऐसी ही पीड़िता की कहानी उसी के जुबानी से सुने।
            मेरा नाम अमरावती देवी उम्र 60 वर्ष मेरे पति का नाम मूलचन्द्र मुसहर ग्राम-थानेरामपुर, पोस्ट-थानेरामपुर, थाना-फूलपुर, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी की मूल निवासी हूँ। मै अपनी लड़की की शादी ग्राम-खुर्द पसिपाही, पोस्ट-कठिराव, थाना-नेवढिया, जिला-जौनपुर में दिनांक 9 दिसम्बर, 2009 को पूरे हिन्दू रीति-रिवाज के साथ किये थे। जो कुछ हो सका हम उन्हे दिये। शादी के बाद कुछ दिन तक सब कुछ ठीक-ठाक था मेरी बेटी जब दोवारा ससुराल गयी तो मेरे दामाद धर्मेन्द्र व सास शान्ति देवी द्वारा हमारे बेटी को बात-बात पर मार-पीट कर घर से निकाल देते थे कि तुम अपने माँ-बाप से सिकड़ी, अगूठी माँगकर लाओं तभी तुमको रखेगे | यह सब मेरी बेटी सहती लेकिन कभी हम लोगो से नहीं कहती थी एक बार मेरी बेटी को बहुत मार दिये थे| हमारी बेटी हमारे घर थानेरामपुर आयी तो कुछ दिन मेंहनत मजदूरी करके खिलाये इसके बाद सिपा बीबी के घर पंचायत हुआ कि हमे सिकडी अगूठी नही चाहिए आप लड़की का विदाई कर दिजिये फिर मै पंचायत की बात मानकर फिर हम लोगो ने अपनी लड़की विदाई कर दी ससुराल जाने के बाद मेरी बेटी को धर्मेन्द्र व उसकी सास शान्ति देवी द्वारा मार-पीट कर घर से भगा दिया गया। उस समय मेरी बेटी रोते हुए त्रिलोचन की तरफ चली गयी उसका दिमाक काम नहीं कर रहा था तो वह भठ्ठा पर जा रही थी। 
       तभी उसे देखकर एक औरत अपने घर रख लिया और जब मेरी लड़की की लापता की सुचना मिली तो मै खुर्द पसिपाही गयी तो वह लोग बोले की तुम्हारे लडकी यहा से भागकर तुम्हारे घर गयी है तुम लोग छिपा कर रखे हो यह सूनकर मै रोते हुए वापस घर आने लगी। पास में पैसा भी नहीं था कि गाडी पकडकर अपने घर आ जाऊ किसी तरह पैदल अपने घर आ गयी आयी शाम हो गया था रात में नीद आ रही थी कि मेरी बेटी कहा होगी कही मेरी बेटी को मार तो नहीं दिये|गयी यहो सोचते-सोचते सुबह हुआ तो मै फूलपुर थाने पर गयी तो वहा से पुलिस वाले मुझे कठिराव पुलिसचौकी पर भेजे पुलिसचौकी पर जाकर मै आवेदन दिए तो दो पुलिस वाले मेरे साथ खुर्द पसियाही मेरे दामाद के घर गये तो मेरे दामाद धर्मेन्द्र सास शान्ति घर पर नहीं मिलें।
सुबह कठिराव पुलिसचौकी पर गये तो पुलिसचौकी के दिवान ने कहा कि खुर्द पसिपाही नेवढ़िया थाना अन्र्तगत अंतर्गत अन्तरगत\आता है तुम नेवढ़िया थाने पर जाओ नेवढ़िया थाने पर गये तो वहा तैनात दरोगा पुलिस वाले बोले कि तुम्हारी लड़की का किसी से चक्कर रहा होगा इस लिए वह भाग गयी होगी पर कहते हुए पुलिस वाले मेरे लड़की की शादी का कागज को फेककर बोले चलो जाओं यहाँ से वहा तो ऐसा होता है हम लोग किससे-किससे जुझेगें। चलो भाग जाओ तब देा पुलिस वाले बोले दो हजार रुपये दो मै तुम्हारे दामाद को पकड कर लाऊगा तो तुम्हारी लड़की मिल जायेगी। मै बोली साहब बनी मजदूरी करके किसी तरह खर्च चलाते है मेरे पास इतना पैसा नहीं है तब पुलिस वालो ने कहा तब यहा क्यो आयी हो चलो भाग जाओ यह सुनकर मै सोचने लगी की गरीबो की सुनने वाला कोई नहीं है यही एक उम्मीद थी वह भी टूट गयी। 
सुबह हुआ तो दो सिपाही वाले मेरे घर आये और बोले की तुम अपना आवेदन लो जलालपुर जाओं तब जलालपुर थाने पर गयी तो जलालपुर के दरोगा ने कहा कि नेवढ़िया थाने पर जाओ यह हमारे थाने के अंर्तगत नहीं आता है तब मै फिर नेवढ़िया थाने पर गयी तो उमाशंकर सिपाही द्वारा कहा गया कि तुम अपनी लड़की को खोजकर लाओं तब कुछ होगा तब मै अपनी लड़की का पता कर रहे थे इसी बीच मेरी लड़की का पता चला कि हमारी लड़की जलालपुर ईट भट्ठा नेवादा में मिली उसे लेकर अपने घर गयी मेरी बेटी के पास एक लड़का है तै उसको बनी मजदूरी करके देख-रेख कर रही हूँ।
      मै आप को अपनी आपबीती बातो को बताकर हल्कापन महसूस कर रहा हॅू।

साक्षात्कारकर्ता -   प्रभाकर प्रसाद

संघर्षरत पीडिता - अमरावती देवी

Wednesday, 28 October 2015

दबंग व्यक्ति व पुलिस के मिली भगत से फर्जी केस में फंसे गरीब !

आज भी हमारे भारत देश की पुलिस दबंग व्यक्तियों से मिलकर गरीब दलितों को फंसाने का ढेका ले रखी है। आइये ऐसी ही एक पीडि़त व्यक्ति की स्व व्यथा कथा सुने उन्ही की जुबानी।
मेरा नाम भोला मुसहर उम्र-50 वर्ष मेरे पति का नाम दमडीं मुसहर मेरी पत्नी का नाम लालती देवी ग्राम-धरसौना, पोस्ट-चोलापुर, थाना-चोलापुर, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ। मेरे आठ लड़के व एक लड़की है। जिसमें से 3 लड़का व एक लड़की की शादी कर दिया हूँ और 4 लड़के मेरे साथ रहते है। उन्हें लेकर मैं विजय दशमी के बाद से झोटा सिंह के भट्ठे पर निकबू मार्का ईट भट्ठे पर ईट पथाई का काम परिवार समेत करता था काम करके जो भी रुखी-सुखी मिलता था। वह खां पीकर कर अपने परिवार के साथ खुश थे कि दिसम्बर 2014 को दिन में 9 बजे झोटा सिंह के भट्ठे पर दो सिपाही आये और मुझे बुलाये। मैं डरते हुए हाथ जोड़कर कहाँ साहब क्या है तब एक सिपाही ने कहाँ तेरा क्या नाम है। हम अपना नाम डरते-डरते हुए भोला बताये तो एक सिपाही ने फोन करके भट्ठे से दूर खड़ी दो गाड़ी बुलाकर मुझे पकड़ लिये तब मैं कहाँ साहब भट्ठा मालिक के यहाँ चलिए मैं चल रहा हूँ। तब दो सिपाही ने माँ बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए मेरे गाल पर एक चाटा मारे।
उस समय मेरे आँख के सामने अन्धेरा सा छा गया मुझे कुछ नही दिखाई दे रहा था और दो सिपाही पकड़कर मुझे गाड़ी में जबरी बैठा लिये, तब भट्ठा मालिक भी मुझे नही छुड़ाया। तब पुलिस वाले मुझे लेकर थाने आये दिन भर थाने में बैठाये थे फिर रात में थाने में 2 रोटी सब्जी दिये कि भोला खा लो सुबह तुम्हारी विदाई हो जायेगी यह सुनकर मुझे और डर लगने लगा मैं डर के मारे रोटी भी नही खाया थोड़ी से पानी पीकर दिवाल के सहारे बैठकऱ सुबह होने का इन्तजार कर रहा था। रात में मच्छर भी बहुत काट रहे थे सुबह के इन्तजार में रात मानव पहाड़ जैसा लग रहा था। घर वाले की चिन्ता बराबर सताती थी कि मेरे बच्चे न जाने कुछ खाये होगे कि नही यही सोचते-सोचते सुबह हुआ तो दरोगा साहब ने कहा कि तुम लोग मंदिर की चोरी किये हो उसी के लिये तुम लोगो को बुलाया गया है। मैं बोला साहब हम तो अपने बच्चों के साथ ईट भट्ठे पर ईट पाथने का काम करता हूँ तब दरोगा साहब ने कहां माधर चोद साले दिन में ईट पाथते हो रात में चोरी करते हो यह सुनकर मैं डर के मारे काँपने लगा जैसे मेरे पैर से जमीन खिसक गयी हो दरोगा द्वारा हम लोगों का चालान करके कचहरी भेजा गया, जहाँ पर मेरे परिवार के पास पैसा व जमानत दार न होने के कारण जमानत नही हो सका तो मुझे चौकाघाट जेल भेज दिया गया। चौकाघाट जेल में मुझसे शौचालय की नाली व प्लास्टिक के थैले निकालना होता था जिस समय मैं पेशाब की नाली से हाथ डालकर थैले निकालते थे। बहुत तेज बदबू आती थी जब खाना खाने बैठते थे तो वहाँ भी बदबू आती थी। कुछ खाने का मन भी नही करता था परिवार व बच्चों की याद बहुत आती थी। मेरे बच्चे किस हाल में होगे, यह सोच सोचकर आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नही ले रहा था, तभी एक कैदी आया बोला साले माधर चोद यहां नाटक कर रहा है, चल झाडू मार नही तो तुझे मारुगा यह सुनकर मैं डर के मारे झाडू लेकर सफाई करने लगा इसके बाद 1 माह 13 दिन के बाद मेरा जमानत हुआ पहला तारीख 1 अप्रैल,  2015 को पड़ा तो हम संजय हमारी पत्नी लालती तीनों साथ में कचहरी गये तारीख देखकर पाण्डेयपुर से विक्रम पकड़कर घर आ रहे थे, चोलापुर थाने के सिपाही 2 बजे चोलापुर थाने में गाड़ी से उतार लिये। हमको उतार कर थाने में ले जाकर सिपाही द्वारा कहा गया कि तुम लोग के ऊपर गैगेस्टर लगा दिया। फिर मुझे चौकाघाट जेल में शौचालय व झाडू लगाने का काम मिलेगा। मैं मन ही मन में सोच रहा था कि क्या अब मेरी जिन्दगी उस चार दिवारी में रहेगी पिछली बार का कर्ज अभी पूरा हुआ ही नही तब से पुलिस द्वारा मुझे फर्जी केस मे फंसा दिया गया। हम चाहते है कि जो मुझे फर्जी केस में फसाया है उसके साथ कानूनी कार्यवाही हो और उसे सजा मिले और हमें न्याय मिले।
हम अपनी बातो को बताकर हल्कापन महसूस कर रहा हूँ।

साक्षात्कारकर्ता - प्रभाकर प्रसाद                        
संघर्षरत पीडि़त- भोला मुसहर
                        


क्यों हम गरीब को झुठे केस में फसाती है पुलिस !


मेरा नाम रामू घसिया पुत्र - स्व0 छल लाल घसिया, उम्र-25 वर्ष जाति-आदिवासी (घसिया) हमारे पास 2 लड़की है, मैं ग्राम-रौप (घसिया बस्ती), पोस्ट-सहिजन कला, थाना-राबटर्सगंज, जिला-सोनभद्र का मूल निवासी हूँ।

घटना दिनांक 25 फरवरी, 2015 रात समय लगभग 1:00 बजे को हमारे गाँव के राजकरन घसिया की हत्या पशु तस्करों द्वारा की गयी। पता चला कि पशु तस्कर जंगल के रास्ते पशुओ को पकड़ कर जंगल के रास्ते से बिहार झारखण्ड में ले जाकर बेच रहे है। उसी समय राजकरन घसिया और बस्ती के लोग रात में पशु तस्कर को पकड़ने के लिए जंगल में गये थे। पशु तस्कर 5-6 की संख्या में हथियार से लैस थे, सभी पशु तस्करों से मिलकर राजकरन घसिया की हत्या कर दिये जो इस समय पुलिस की गिरफ्त में है। मैं व मेरा भाई और मेरा भतीजा उस समय काम करने के लिए डी0डी0 आहुजा कम्पनी इलाहाबाद गये हुए थे। जिससे हम गरीब अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। जब हमलोगों को इस घटना की जानकारी हुयी तो हमलोग वापस अपने घर आ गये और अपने-अपने परिवार के साथ रहना शुरु कर दिये। दिनांक 8 मार्च, 2015 को दो पुलिस वाले एक मोटर साइकिल से हमलोगों के घर पर आ गये। हमलोगों की गैर मौजुदगी में हमलोगों के परिवार की महिलाओं को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी जाति सूचक गालियां देने लगे। बोले कि लाला, नरेश, रामू को बोल देना कि उन लोगों के ऊपर हत्या के जुर्म में गुण्डा एक्ट का केस लगा हुआ है। सभी लोग कचहरी जाकर जमानत करा लो नही तो जेल जाओंगे। जब हमलोग इलाहाबाद से वापस आये तो हमलोगों के परिवार की महिलाये और बस्ती के लोगों से इस बात का पता चला तो हमलोग के होस उड़ गये। घर में हमारी बीवी, भाभी व पतोहू ये सब सारी बाते पता रही थी और रो रही थी। उन्ही लोगों को देखकर मुझे भी रोना आ गया। सभी लोग सोच रहे थे कि अब हमलोग क्या करें | किस तरह से अपना जमानत कराये, क्योंकि हम गरीब बेरोजगार किसी तरह से बनी मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे है।

 मेरे जेल जाने से मेरा परिवार दाने-दाने को मोहाल हो जायेगा और भीख मांगने की स्थिति पैदा हो जायेगी। यही सोचकर मै भी रो रहा था अगले दिन सुबह में मेरे भाई और मेरा भतीजा कचहरी गये और वहां पर वकील से मिले और अपने ऊपर लगे फर्जी गुण्डा एक्ट के बारे में जांच कराये परन्तु कुछ पता नहीं चला और हमलोग घर वापस आ गये। घर आने पर अपने परिवार को बताये कि वकील के पास गये थे परन्तु ऐसी कोई घटना का पता नही चला। 10-20 दिन बाद हमलोगों के बस्ती में एक गाड़ी पुलिस जीप से आयी और हमलोगो के परिवार को माँ-बहन की भद्दी-भद्दी जाति सूचक गाली व धमकी देने लगी और बोले कि लोगों को जल्दी गिरफ्तार करवाओं नही तो तुम लोग भी जेल जाओगी। तब हमलोग फिर अगले दिन कचहरी गये और वहाँ पर वकील से मिले तो पता चला कि हमलोगों के ऊपर हत्या के जुर्म में गुण्डा एक्ट लगा हुआ है। हम सभी लोग कचहरी से वापस घर आये तो परिवार के साथ हमलोगों का भी रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। जब परिवार का मुखिया नही रहेगा तो घर का खर्च कैसे चलेगा। उस दिन हमारे घर में चुल्हा नही जला बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। हमलोगों का परिवार दाना-दाना के लिए तरस जायेगा। लोग भुखे मर जायेगे। यही सब सोचकर रो-रहे थे। उस समय आँखों से आँसू नही जैसे खून निकल रहा हो। मेरी पत्नी और बच्चें का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। हमलोगों को न भुख लग रही थी और ना ही नींद आ रही थी।

 मैं अपना जमानत कराने के लिए जमीन गिरवी रख दिया तो जाकर मेरा जमानत हुआ। कभी-कभी रात कर डर के मारे नींद नही आती। अब तो काम करने का भी मन नही करता हमेशा डर बना रहता है कि पुलिस वाले कब हमको जेल में ना डाल दे, यही ख्याल मन में हमेशा बना रहता है कि जब पुलिस वाले हमको जेल में बन्द कर देगे तो हमारे परिवार और बच्चों का क्या होगा। पुलिस वाले हमलोगो को फर्जी गाजा, शराब तथा हत्या के जुर्म में फसाकर बन्द न कर दे। पुलिस वाले हमलोगों को इज्जत से कब देखेगे तथा फर्जी धारा लगाना बन्द कर देगी। 

मैं ये सब बाते बताकर अपने शरीर से हल्कापन महसुस कर रही हूँ।

  साक्षात्कारकर्ता  - महेश कुमार गुप्ता $ पिन्टू गुप्ता                           संघर्षरत पीडि़त - रामू घसिया