Wednesday, 21 May 2014

‘‘दलितो को बिना वजय के क्यो प्रताड़ित कर रही है पुलिस’’

मेरा नाम अशोक कुमार उम्र 48 वर्ष पिता स्व0 बंशधारी ग्राम-हर्षनगर वार्ड नं0 2 थाना रावर्ट्सगंज, थाना कोतवाली, जिला-सोनभद्र का निवासी हूँ। मेरे पास दो लड़के है। मैं गरीब व्यक्ति हूँ और किसी प्रकार मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता । मैं अनुसूचित जाति का व्यक्ति हूँ। दिनांक 06 फरवरी, 2013 को समय 7 बजे शाम का है, मै अपने घर पर था अचानक कुछ पुलिस की गाड़ी आई जिसमें पुलिस इंचार्ज भी थे, और आकर पूछे कि तुम्हारा बडा लड़का अजय उर्फ सन्नी कहा है। तब हम बोले साहब क्यो तब दो पुलिस बाले कि कुछ उससे पूछना है, और उसको सोच रहे है। कि कही उसे काम दिलवादे तब हम बोले साहब वह तो घर पर नहीं है। वह अपने मामा के पास गये है। तब बोले कि अपने छोटे लड़के को बुलाओ तब हमे लगा कि कही कोई बात तो नहीं है तब तक हमारे घर में तीन पुलिस वाले उसे पकड़ कर जीप में बैठा लिये और थाने लेकर चले गये। उसका नाम अमन है उसकी उम्र 16 वर्ष है। वह कक्षा 10 में पढ़ता है। उसका छमाही पेपर चल रहा था तब मेरी पत्नी रोने चिल्लाने लगी कही साहब क्या बात है। तब बोले इसे थाने ले जा रहे है। इससे कुछ पूछ-ताछ करके छोड़ देगे, तब हम 10 बजे रात को अपने लड़के से मिलने के लिये गये। लेकिन पुलिस वालो ने न हमे ही मिलने दिया गया और न ही मेरी पत्नी को। पुलिस वाले गेट से ही भगा दिये और बोले बड़े साहब नहीं है वह SSP के पास गये है। वहा से आयेगे तो तुम्हारे लड़को को छोड़ दिया जायेगा, मेरी पत्नी का रोते-रोते बुरा हाल हो गया था। तब हम लोग गेट के बाहर बैठे, तब थाना इन्चार्ज आये बोले कि जाओ कल आना तब हम अपनी पत्नी को लेकर घर आने लगे तब मेरी पत्नी बोली साहब हमे अपने लड़के से मिल लेने दिजिये तब वह भद्दी-भद्दी गाली देते हुए भगा दिये, और कहने लगे कि अभी पुलिस वालो को बुलाकर तुमको और तुम्हारे पति को भी बन्द कर देगे नहीं तो तुम लोग जाओ कल उसे छोड़ देगे, तब हम रोते हुये घर चले गये उस समय हमे लग रहा था कि मेरे बेटे के साथ कैसे पेश आयेगे पुलिस वाले। न तो हमारी बच्चा खाना खायी नहीं मेरी पत्नी। मेरी पत्नी का रो-रो के बुरा हाल हो गया था न नींद ही लग रहा था हम लोग पूरी रात बैठे रहे और सोचते रहे कि कब सुबह हो मै अपने लड़को को थाने से लाओ। पुलिस वालो ने मेरे छोटे लड़को को छोड़ दिया और बड़े लड़के को लाकप में डाल दिया, मेरा छोटा लड़का लगड़ाता हुआ आ रहा था तब अपनी मम्मी से लिपट कर थाने में रोने लगा और अपनी आप बिती बताया कि रात में दो पुलिस वाले हमें बुलाये और मारने लगे और हमें डर लग रहा था कि हमारा हाथ पैर न तोड़ दे। मैं साहब का पैर पकड़कर कहा साहब क्या कर रहे है, समझ में नही आ रहा था। तब बोले कि कोई का गेट चोरी किये हो तब हम बोले साहब हमें कुछ नहीं मालूम है तब पुलिस वाला बोला नहीं बाताओं गें तो तुम्हें करेन्ट लगायेगें तो बताओंगे। मेरे घर वालो का रोते-रोत हालत बिगड़ गयी। मेरी पत्नी को चार वाटल पानी चढा वह बार-बार बेटा-बेटा कहकर बेहोश हो जाती थी। दिनांक 07.02.2013 को हमें पुलिस वाले बोले कि आओं इसे कुछ नहीं होगा इसे छोड़ देगे तब हम लोग घर चले गये दिनांक 08.02.2013 को हम पुलिस थाने गये तो साहब बोले की वह कचहरी में जा रहा हैं उसे छोड़ दिया जायेगा। जब हम कचहरी गये तो पता चला कि वहा 30 ग्राम गाजा नसिली दवा हीरोईन दिखाकर चलान कर दिया उस समय हमें लगा कि हमारा हाट अटैक हो जाये गा। मेरी पत्नी और मेरी बच्ची का रो-रो कर बुरा हाल हो गया तब हम वकील से मिले तब हमें हमारे लड़के से मिलने दिया उसका उम्र 18 वर्ष है तब हमसे बताया कि साहब के सामने नहीं बोली तो तुम्हें यहा लाकर करेन्ट और तुम्हें बरवाद कर दिया जायेगा कभी हम पुलिस वाले से भले नहीं ये तब हमारे लड़के को मिर्जापुर जिला कारागार मे भेज दिया गया। उस समय मेरी पत्नी पागल हो गयी थी और हमे लग रहा था कि हमें कुआ में कूदकर जान दे दे। मै अपनी पत्नी को रिक्सा पर बैठाकर घर ले जा रहा था। उसी समय मेरी पत्नी वेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी न्याय के लिये दर-दर भटक रहा हॅू। लेकिन आज तक कोई न्याय नहीं मिला इस कारण मैं काफी दुःखी हूँ। मै अपने घटना के बारे में बताकर काफी हल्का महसूस कर रहा हूँ। मैं पहली बार अपनी कहानी दूसरो को सुनकर काफी खुश हूँ । मैं अपने न्याय के लिए संघर्ष को जारी रखूगा। संघर्षरत पीड़ित- अशोक कुमार साक्षात्कारकर्ता- पिन्टू गुप्ता

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