मेरा नाम उर्मिला राजभर उम्र 30 वर्ष है। मेरे पति का नाम उदल राजभर है। मैं जाति की राजभर हूँ। मैं ग्राम-राजपुर (खरखसीपुर) पोस्ट-पचगड़ा, थाना-अदलहाट, जिला-मिर्जापुर की निवासी हूँ। मेरे पति मजदूरी करते है। मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मेरे तीन बेटा एक बेटी है। मेरे बेटे का नाम अजय कुमार जिसकी उम्र 15 वर्ष है। दूसरे बेटे का नाम विजय जिसकी उम्र 10 वर्ष तथा तीसरे बेटे का नाम विशाल जो कि 8 वर्ष का है, जो इस समय कक्षा तीन में पढ़ता है। तथा बेटी का नाम गुन्जा 6 वर्ष की हैं। मै अपने पुरे बच्चों को पढ़ा लिखा नहीं पा रही हूँ क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है।
मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई कि मेरी बहन सोनी कुमारी
को कोई व्यक्ति बहला फुसलाकर भगा ले गया तो मैं एकदम घबरा गयी और मै भागकर अपने
मैके सरायमोहाना थाना-सारनाथ, जिला-वाराणसी पहुँची । मै अपने माँ की स्थिति देखकर
धबडा गयी मेरी माँ कैसे अकेले इतना संघर्ष कर रही है। रात 8 बजे दो सिपाही व दरोगा मेरी बहन सोनी को लेकर आये उस
समय मै रिचार्ज कूपन लेने चली गयी थी। जब मैं घर पर नहीं आयी तब तक दरोगा बैठे थे।
जब मैं घर पर आयी तो दरोगा बोला तुम अपनी बहन को अपने पास रखना पहुँची हो, तब हम बोले हा साहब अपने पास क्यों नहीं रखना चाहेगे।
तब दरोगा साहब बोले कोई भी आये डराये धमकाये पैसा मागे लेकिन तुम लोग मत देना इतना
कहकर दरोगा जी चले गये। दरोगा के जाने के बाद एक वकील आया और बोला कि हम तूम्हारे
बहन को खोजने में पेट्रोल खर्च किये है और इधर-उधर से खोजकर लाये है। तब हम बोले
कि आप मेरी बहन को नहीं खोजे है मेरी बहन को दरोगा साहब लाये है। तब वकील बोला कि
तुम्हारे बहन को श्याम जी, लक्ष्मीना के पास भेज देगे, चाहे तुम्हारे बहन को मारे या काटे फिर तुम अपनी बहन
को नहीं पाओगी।
मै वकील से बहस कर ही रही थी कि वकील मेरी बहन का
हाँथ पकड़कर लेकर चला गया। लक्ष्मीना के घर मै डर के मारे दौड़कर सरायमोहाना थाने पर गयी। जब थाने पर गये तो देखे कि दरोगा पुलिस
शराब-मीट लेकर खा पी रहे थे। मै धबरायी हुयी बोली साहब मेरी बहन को वकील उठा ले
गये। तब दरोगा जी बोला की बाहर बैठो हमको खा लेने दो, जब दरोगा खाकर आये तो हमसे सारी बात पूछे हम दरोगा जी
को वकील के सारे कारनामो को बताये, फिर उसके बाद दरोगा बोले चलो तुम्हारे घर चलते है। तब
से वकील थाने पर आ पहुचा वकील को देखते ही दरोगा जी गन्दी-गन्दी गाली देने लगे
इतने में वकील डर के मारे भाग गया। एक पुलिस वाले थाने में से आते समय मेरे साथ
अभद्र तरीके से व्यवहार किया। तब हमको गुस्सा आ गयी। मै भड़ककर गाली-गलौज देने लगी
तब दरोगा साहब बोले कि हम तुम्हारे पैर पर अभी गिरवा रहे हम बोले पैर गिरने से कुछ
नहीं होगा मेरा बयान इसके खिलाफ लिखिये नही तो हम एस.एस.पी. से जाकर सब कुछ कहें
गे। जो मेरे साथ हुआ है।
हम थाने पर विल्कुल हंगामा मचा दिये थे। अन्त में
दरोगा बोला तुम लेटर लिखकर दो एस.ओ. के सामने इसको पेश करेगें मैं उस समय जिदीया
गयी थी। मेरे शरीर में आग लग गया था, मै सोच रही थी मेरे साथ ऐसा क्यों किया। क्या हम लोग
गरीब है इसलिए आज मेरे साथ ऐसा किया है कल दूसरी महिला के साथ करेगा मै बिल्कुल
ठान ली थी कि जब तक इसको सजा नहीं मिलेगी तब तक हम चैन से नहीं बैठूगी। शनिवार को
सी.ओ. कार्यालय में मेरा बयान लेने के लिये बुलाया गया साथ में एक महिला पुलिस भी
थी, हमको सिखा रही थी कि तुम बयान पलट दो या मेरे कान मे
धीरे से कह दो हम बडे़ साहब से कह देगे क्योंकि पुलिस वाले की नौकरी चली जायेगी।
उसके बाल बच्चें कैसे रहेगे इतना सुनकर मेरा गुस्सा भड़क उठा मैं बोली कि आप एक
महिला होकर महिला के इज्जत के बारे नहीं सोच रही है आप क्या रक्षा करें महिला का
हम तो न अपना बयान पलटेगे और न ही आप के कान मे कुछ कहेगें जिस तरह मेरे साथ हुआ
है आप के साथ होता तो क्या करती मेरे साथ जो हुआ आगे किसी भी किसी बहन बेटी के साथ
न हो इस लिए मैं पुलिस वालो को सबक सिखाकर रहूगी।
हम चाहते है कि हमें न्याय मिले और पुलिस वालो को सजा।
संघर्षरत पीड़िता:-उर्मिला राजभर
साक्षात्कारकर्ता:- छाया कुमारी
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