Thursday, 15 May 2014

‘‘जब भी जेल में मैं अपने बेटे से मिलने जाती हॅू तो मेरा बेटा रोकर कहता है मुझे बचालो माँ ’’



भारत में कब तक गरीब बेरोजगार शिक्षित नौ जवानो को फर्जी मुकदमे में पुलिस अपनी खानापूर्ति के लिए जेल भेजती रहेगी। ऐसी ही कहानी एक असहाय पीड़ित माँ की जुबानी से सुने।
मैं पार्वती राजभर उम्र 55 वर्ष है मेरे पति नन्दलाल उर्फ नन्दू है, मै ग्राम-कुरू, पोस्ट-व थाना- कपसेठी ब्लाक- बडागाँव, तहसील-पिण्डरा जिला वाराणसी की रहने वाली हूँ। मै बहुत गरीब असहाय व्यक्ति हॅू मै अपने परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से करता हॅू मेरे पास पाच लडके व पाच लड़की है मेरा बड़ा बेटा प्रवीण बी0ए तक की पढ़ाई कर दिल्ली में षेयर मार्केट में छोटी सी नौकरी कर रहा था लेकिन पिता की काफी हालत खराब होने के कारण वह घर चला आया वह हमारे साथ दूसरे के खेतो में खेतो में मजदूरी कर हमारा व अपने परिवार का देख भाल कर रहा था उसके भी दो बेटे व दो बेटिया है।
            यह घटना 2 अपै्रल 2013 की है कोइलार में किसी बात को लेकर विवाद हुआ था जिसमें एक महिला की मृत्यु हो गयी थी इस घटना के बाद पुलिस और जनता के बीच काफी विवाद हुआ था। मै और मेरा लड़का प्रवीण इन सबसे अनजान था। इस मामले को लेकर 3 अप्रैल 2013 को कुरू तिराहे पर महिला की लाश को रोककर चक्का जाम किये। उस समय मेरा लड़का टमाटर लेकर कपसेठी सट्टी से बेचकर घर आ रहा था। भीड़-भाड देखकर व विद्यालय अजय राय का भाषण देते देख वह भी सुनने चला गया मुश्किल से थोड़ी देर वह वहा था फिर वापस घर आ गया। फिर वह रोज की तरह अपने घर व बाहर के कामो को करने लगा।
  
यह घटना 2 मई 2013 की है दिन भर काम से थक के घर के वाहर अपने परिवार के साथ सोया था मैं भी कुछ दूर पर सोई थी उस दिन रात के करीब 2 बज रहे थे पुलिस की एक जीप गाड़ी व मोटर साईकिल में 25 पुलिस वाले मेरे घर आये और आकर मेरा दरवाजा खटखटाने लग तबसे मेरी बहु जाग गयी और दरवाजा खोली वही मेरा लड़का नीये गमछा ओढ़कर सोया था। पुलिस वाले ने उसका गमछा खिचकर बोले की तुम्हारा नाम प्रवीण है तब वह बोला हाँ तो उसे पकड़कर ले जाने लगे वह बोला अपनी माँ से मिलकर आ रहा हॅू लेकिन फिर भी वह जबरदस्ती जीप तक ले गये तभी मुझे जगाने मेरी जेठानी का नाती आया वह सुनकर की प्रवीन को पुलिस ले गयी है मै दौड़कर सड़क पर आयी। मेरा बेटा जीप मे बैठा था मै पुलिस से बोली साहब मेरे बेटे को कहा ले जा रहे है, उसका क्या कसूर है, वह बोले कपसेठी थाने ले जा रहे है कहते हुए उसे लेकर चले गये। मेरे आँखो के सामने बिना कोई कसूर बताये वह मेरे बच्चे को ले गये यह देखकर मै रोने लगी। मै बेवहस हो गयी। उन पुलिस वालो से अपने बच्चें को कैसे बचाऊ यहीं सीचती रही आखे से नींद गायब हो गयी थी। दिल घबरा रहा था मन नहीं माना आधे घण्टे बाद मै और मेरी जेठानी दो मोटर साईकिल से कपसेठी थाने गये। उस समय सुबह के 3:00 बज रहे थे। थाने के वाहर दो चैकीदार खेड़े थे, मैं उनसे पूछी की मेरा बेटा प्रवीण कहा है वह इशारा करते हुए कहा वह जेल में बन्द है। मै गयी मेरा बेटा रो रहा था मै उसे देखकर रो रही थी कुछ देर बीच जाने के बाद मै थानेदार साहब से पूछी साहब मेरे लड़के को क्यों पकड़कर लाये है आखिर उसने किया क्या है तब वह बोले कोइलार काण्ड में ले आये है। वह चक्का जाम देखने गया था मै बोली साहब वहा तो गाव के सभी लोग देखने आये थे विद्यायल में अजय राय व विधायक अनुप्रिया पटेल भी आई थी आखिर मेरे लड़के ने ऐसा क्या कर दिया कि आप उसे पकड़ लिये तब वह बोले दरोगा ने कहा तुम्हारे गाँव के मुखविर ने बताया है उसी से जाकर  पूछो मै तुम्हारे लड़के का नाम भी नहीं जानता था मै बोली साहब ऐसे कितनों का नाम मै आप से बताती हूँ उन्हे पकड़ लिजिए तब दरोगा ने कहा यहा से चली जाओं उनकी बाते सुनकर बाहर चली आयी मन में डर था कि मेरा बेटा उनके चंगूल में है उसके साथ कही बुरा सलूक न करे तभी एक सिपाही मेरे पास आया और मुझे थाने के वाहर भगा दिया। थाने से कुछ दूर मै बैठी थी वहा पर भी आकर पुलिस वाला मुझे भगा दिया। मै डर के मारे कुछ दूर जाकर बैठ गयी तभी करीब 9:00 बजे मेरे बेटे का चालान कर दिया गया। उसे देखकर मै रोने लगी और घर चली आयी। उस समय ऐसा लग रहा था कई दिनों से सोई नहीं हॅू शरीर में जान ही नहीं था घर आयी तो मेरे बहु का रो-रोकर बुरा हाल था, समझ में नहीं आ रहा था कि अपने को सम्भालू या बहु को उस दिन जहा मदत की आस रही वहा दौड़कर जाती हर जगह निरासा ही हाथ लगता। उस दिन तो नहीं 4 मई, 2013 को कचहरी गयी वहा मेरा लड़का पेसी में आया था। मुझे देकर वह आवाज दिया उसके पास गयी वह परेशान था कि माई हम कुछ नहीं किये है अन्यायास पुलिस पकड़ ली। ढाढस बढ़ाया कि कुछ नहीं हो गा लेकिन मन ही मन डर लग रहा था कुछ देर बीत जाने के बाद पुलिस उसे जेल ले गयी वह हमारे जीवन का सहारा है चुप-चाप रोते हुए उसे देखती रही क्या करती घर वापस आ गयी।  
            जब कभी पैसा होता है तो जेल में मिलने आती हूँ मुझे देखकर मेरा बेटा रोने लगता है कहता है माँ मुझे बचा तो मैने कुछ नहीं किया है यह सब सुनकर बहुत दुखी हो जाती हूँ अपने आसूओं को रोकते हुए उसे ढाढ़स देती हूँ कुछ नहीं हो गा। तुम छुट जाओगे जमानत के लिए लिए दौड रही हूँ लेकिन जब इस घटना से सम्बन्धित कोइलार के लोगों की जमानत होगी तभी मेरा बेटा जेल से छुटेगा वकील की इसी तसल्ली का इन्तजार कर रही हूँ।
            इस घटना के बाद डर से मेरे दो बच्चें व गाँव के सभी लड़के गाँव छोड़कर भाग गये है। मै चाहती हॅू कि मेरे बेटे को छोड़ दिया जाय उसके ऊपर जो भी गलत आरोप लगे है उसे खत्म कर दिया जाय मेरा बेटा दो मिनट तक चक्का जाम क्षेत्र मे खड़ा होने का कुसूरवार है जबकि घटना मेरे घर से 4 किलोमीटर का है उस गाँव से हमारा कोई सम्बन्ध नही है फिर भी वेकसूर मेरे लड़के को पकड़ा गया।

संघर्षरत पीड़िता - पार्वती देवी
साक्षात्कारकर्ता- दिनेश कुमार अनल

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