Thursday, 10 April 2014

पुलिस वालो ने कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया

अभी भी हमारा समाज और कानून इतना अन्धा हो चुका है कि गलत करने वाले खुलेआम घुमते है, और जो हमारे देष के लिये कुछ करना चाहते है उनको फर्जी केस में फॅसाकर सलाखों के पीछे फेक दिया जाता है। आइये पढ़ते है उनकी जुबान से उन्हीं की कहानी।

मेरा नाम आनन्द कुमार यादव पुत्र श्री राम लाल यादव ग्राम व पोस्ट-पिण्डरा, थाना-फुलपुर, जिला-वाराणसी का निवासी हॅू।

घटना 11 मई 2013 को जब मै सुबह नहाकर बाजार जाने के लिये तैयार हो रहा था, कि अचानक दिन में करीब 11:00 बजे चार पहिया सफेद रंग की प्राईवेट गाड़़ी में 6 पुलिस वाले हमारे घर पर आये। जिसमे दो पुलिस अपने वर्दी में बिना नेम प्लेट के थे और चार लोग सादे डेªस में थे और आते ही मेरी माता जी सुशीला देवी से पुछे कि आनन्द कहा है। माता जी बोली क्या बात है। तब उन लोगों कि बात सुनकर मै घबड़ाकर बाहर निकला। जब मै पुलिस को देखा तो घबड़ा गया। माता जी बोली कि यही आनन्द है। पुलिस वालां से माता जी बोली क्या बात है। इतने में पुलिस हमको पकड़ ली और भद्दी-भद्दी जाति सूचक गाली देने लगे। मेरी माता जी हमको पकड़ने के लिए आगे आयी तो पुलिस वाले मेरी माता जी को धक्का दिये और वो जमीन पर गिर पड़ी और उन्हे चोट आ गयी। मै अपनी माता जी को गिरता हुआ देखकर मेरी आँखों में आँसू आ गया। मै उस समय सोचने लगा कि यह मेरे और मेरे परिवार के साथ क्या होे रहा है। फिर पुलिस वाले मुझे घसीटते हुए जबरजस्ती गाड़ी में बैठाकर सीधे फुलपुर थाने ले गये। एस00 आवास के पीछे वाउण्ड्री में, वहाॅ एक कमरे में बन्द कर दिये और तुरन्त कपड़ा उतरवाने के लिए कहे। मैं कपड़ा उतरवाने की बात सुनकर शर्म से पानी-पानी होे गया। सोचने लगा ये सब क्या हो रहा है। पुलिस वाले ने मेरा कपड़ा जबरजस्ती क्यों उतरवा दिये। उस समय मैं केवल अण्डर वियर में था। एस00 राजकुमार तथा फुलपुर एस00 पर्व कुमार सिंह ने दो सिपाहिओ से मेरा हाथ पकड़वाकर  सीमंेन्ट के पीलर में हाथ फैलवाकर बाध दिये। और पट्टा से एस00 सचिदानन्द राय चोलापुर मुझे पट्टे से कमर के निचले हिस्से पर मारना शुरु कर दिये। हर चार पट्टा मारने के बाद मेरे चोट पर नमक और पानी का घोल डालते थे। जिससे मेरा दर्द और भी बढ़ जाता था। मैं रोता चिल्लाता रहता था लेकिन वहा पर मेरा कोई सुनने वाला नहीं था। मैं उन लोगों से बार-बार दवा के लिए कहता तो हमे चाय पिलाकर फिर से मारना शुरु करते और भद्दी-भद्दी गाली मा बहन गाली देते। उन लोगो का बार-बार यही कहना था। कि मैं जो कह रहा हॅू, तुम उसको कबूल करो। कि इसांन खान की हत्या मैने ग्राम प्रधान सिज्जन यादव व अमित चैबे के कहने पर किया हॅू। फिर उसके बाद पर्व कुमार सिंह भी उसी पट्टे से मारना शुरु कर दिये। मै रोते चिल्लाते बेहोश हो गया। पुलिस वालो ने हमे होश में लाने के लिए

मेरे नाक में मग्गा से पानी डाल रहे थे। कुछ समय बाद जब होश आया तब एस00 राजकुमार फुलपुर ने भी उसी पट्टे से मारना शुरु कर दिये। और मैं रोता चिल्लाता रहा। एस00 राजकुमार ने बोला कि हम जो कह रहे हैं तुम उसी को बोलो नहीं तो हम पोस्टमार्डम में दिखा देगे कि तुमने नदी में कुदकर आत्महत्या कर लिये हो। मैं एस00 राजकुमार से यही बार-बार कह रहा था। कि सिज्जन यादव व अमित चैबे को मैं नहीं जानता। और नाही उनके साथ मेरा कोई सम्बन्ध है। और ना ही मैने इसांन खान की हत्या किया है। मैं बार-बार कह रहा था, कि मैं पढ़ने वाला एक आम इसांन हू। मै पुलिस CRPF और आर्मी की तैयारी कर रहा हॅू। मैने बोला कि कुछ दिन पहले मैने CRPF की परीक्षा दिया था और परीक्षा फल में मेरा निकल भी गया है। मै आम इसांन हू इस घटना से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है। और ना ही मेरा कोई अपराधी रिकार्ड किसी पुलिस चैकी व थाने में नहीं है। दिनांक 12 मई व 13 मई 2013 की रात में लगभग 8-9 10 बजे दो तीन पुलिस वाले शराब पीकर शराब की नशे में आते थे। और जाति सूचक गाली देते हुए थप्पड़ से मेरे गाल पर तथा कोहनी से मेरे पेट में मारते थे। उनकी मार से मुझे काफी पीड़ा होती थी। और मै रोता चिल्लाता था। और मन ही मन सोचता था कि मुझे किस जुल्म की सजा मिल रही है।
S.O पर्व कुमार सिंह और जो सिपाही मुझे रात में मारते और बोलते थे कि अपनी पत्नि और बहन को मेरे पास भेंज दो। तब हम तुम्हें छोड़ देगें। इतना सुनते ही मेरे अन्दर का खून खौल जाता था  और मन कर रहा था कि मैं इन लोगो को जान से मार डालू। लेकिन मैं कर भी क्या सकता था मै तो खुद पुलिस वालो के गिरफ्त में था। इन लोगो से दवा मागते थे तो वो लोग मुझे दवा नहीं दिये। और हमें 3 दिन तक थाने में ही बन्द करके रखे रहे। और मेरे साथ पशु से भी खराब सलुक किया जाता था। हमे न ठीक से खाना देते थे और न ही पानी देते थे, और  ठीक से थाने में सफाई नहीं करवाते थे।

13 मई, 2013 को पुलिस वाले मुझे पुलिस लाईन मनोरंजन कक्ष में विडिओ कान्फेंस के लिये लेकर आये। लेकिन वहा पर मेरा कोई बयान नहीं लिया गया। और पुलिस ने मीडिया को खुद अपना बयान दिया। मेरा विश्वास अब मीडिया वालो से भी उठ गया। जिसको इसांफ का आइना मानते थे।

14 मई 2013 को सुबह मेरा मेडिकल करवाने के लिये मुझे चार पहिया गाड़ी से लाया जा रहा था। रास्ते में S.O पर्व कुमार सिंह ने कहा कि चोट की बात डाक्टर के सामने मत कहना और ना ही चोट दिखाना नहीं तो तुम अभी मेरे हाथ में हो। फिर मैं पुलिस वालो के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिण्डरा डा0 मौर्या से मेरा मेडिकल करवाये। और पुरी चोट को छिपा दिया गया। डाक्टर को जो समझ में आया वो लिखकर रिपोर्ट बना दिया। और फिर वहा से मुझे CGM कोर्ट कचहरी लाया गया। और मुझे मजिस्ट्रेट के सामने भी बोलने का मौंका नही दिया गया। और हमें 14 मई, 2013 को जिला जेल चैकाघाट के जेल में भेंज दिया गया। जब मैं जेल गया तो मुझे अन्दर से काफी दर्द महसुस हो रहा था। कि मै खुब रो रहा था। मन ही मन सोच रहा था। कि मेरा सब कैरियर सब खत्म हो गया। समाज में जो कमाया था सब एक ही झटके में खत्म हो गया। जेल में जब मै डाक्टर के पास गया और अपने कमर के नीचे का भाग दिखाया तो उन्होंने मुझे दर्द का दवा दिये। और सोने के लिए एक फटा पुराना कम्बल मिला। जेल के अन्दर मुझे जिस बैरक में बन्द किया गया था। वहा पर एक कैदी लैट्रीन बाथरुम की सफाई करता था। मच्छर बहुत काट रहे थें। वहा का खाना तो शायद पशु भी नहीं खाते। मै जेल के अन्दर 150 रु0 प्लेट का खाना अलग से खरीद कर खाता था। जेल के अन्दर मैं रोज रोता था। कि हमारे पास अब कुछ नहीं बचा सब खत्म हो गया। दो तीन दिन बाद जेल मे हमारी माता जी और मामा मुझसे मिलने के लिए आये। तब मैं उनको पकड़कर रोने लगा। जिस बैरक में हमें बन्द किया गया था। वही पर हमारा विडिओ कान्फंेस होता था। जिसमें वो हमारा नाम पुछते थे। तो मै अपना हाथ उठाता था। तो वे हमें तारिख बताते और हर 15 दिन में तारिख पड़ती थी। मेरी माता जी और मामा दोनो लोग मिलकर मेरा बेल करवाये। और मैं 27 जून, 2013 केा जिला कारागार चैकाघाट से जमानत पर छुटा और वही से अपने घर चला गया। घर जाने पर हमको काफी शर्मिन्दगी महसुस हो रही थी। कि मै क्या मुह लेकर सबके सामने जाउ। घर के सभी सदस्य हमारा बेशबरी से इन्तजार कर रहे थें और हम परिवार के सामने जाकर रोने लगे। कि हमारा भविष्य खत्म हो गया। मेरे सारे अरमानों पर पानी फिर गया। मेरा सब कुछ लुट गया। मैं समाज में क्या मुह दिखाउगा।मैं घर के बाहर नहीं निकलता था कि पुलिस वाले मुझे फिर फर्जी केश में न फॅसा दे। पुलिस वालो को देखता हू तो अन्दर से काफी गुस्सा और पुरानी बाते मेरे सामने आ जाती थी। जिसके कारण रात में मुझे ठीक से नींद नहीं आती और मन बेचैन हो उठता है। कोई काम करने का मन भी नहीं करता। इस सदमे से मेरा मन हमेशा व्याकुल रहता हैं। जिसके कारण मै ठीक से पढ़ भी नहीं पाता। और मेरा CRPF पुलिस और आर्मी की तैयारी भी नहीं हो पाती। हमेशा डर बना रहता था। कि कही पुलिस वाले मुझे और मेरे परिवार को फिर से किसी फर्जी केश में न फॅसा दे।

हमें अपनी बात बताकर बहुत ही हल्का पन महसुस कर रहा हॅू। कि कोई मेरी बात सुन रहा है। हम चाहते है कि दोषी पुलिस वालो के खिलाफ कार्यवाही हो और हमें न्याय मिले।

 संघर्षरत पीडि़त : आनन्द कुमार यादव
 साक्षात्कारकर्ता :  महेश कुमार गुप्ता और रोहित 

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